18-03-2019, 07:30 PM
पहली रात
रात पिया के संग जागी रे सखी
पहली रात के बारे में भाभियों और मेरी मम्मी ने भी बहुत कुछ ,... मर्द बड़े बेसबरे होते हैं , तुरंत ही ,... कुछ देर तो ना नुकुर ,...
लेकिन असली सीख मुझे मेरी जेठानी ने दी , अपने देवर के बारे में उनसे ज्यादा किसे मालूम होता ,... बोलीं ,...
' ज्यादा मत ना नुकुर करना ,... वो तुझे सीरियसली ले लेगा ,.. और रात भर बस ललचाता रहेगा ,... "
साढ़े आठ बजे ही मैं सुहागरात वाले कमरे में , ... मेरी ननदें एकदम खुल के ,...
" भाभी एक बार इस्तेमाल के पहले दिखा दीजिये , कल इस्तेमाल के बाद देख लेंगे ,...
बस अब आधा , एक घण्टे की बात है ,... "
पौने नौ बजे मेरी जेठानी इनको लेकर हाजिर हुईं ,...
और खेद कर सब ननदों को भगाया , लेकिन जाते जाते आपस में , मुझे सुना सुना कर ,...
" चल यार , बस आधे घण्टे में ,... इतनी तेज चीख निकलेगी न इस कमरे से ,... अरे छत पर रहने की कोई जरूरत नहीं , नीचे तक सुनाई देगा ,... ( मेरा कमरा अकेले छत पर था , बाकी सब लोगों का कमरा नीचे ,... मेरे कमरे के अलावा सिर्फ छत ही थी बड़ी सी ऊपर ) घडी मिला लेना ठीक साढ़े नौ बजे,… "
लेकिन साढ़े नौ बजे तक तो उन्होंने पहली चुम्मी ही नहीं ली , ऐसे झिझकते शरमाते ,... लेकिन ललचाते , ...
बस बगल में बैठे नदीदों की तरह ,...
भाभी उनकी ९ बजे गयी थीं , ...
( तीन बातें उन्होंने मेरे कान में बोली थीं , पहली की वो बाहर से ताला लगा देंगी और सुबह ९ बजे ही वो खोलेंगी , और दूसरी तकिये के नीचे वैसलीन की शीशी रखी है, पान खिला देना और दूध बाद में । )...
और साढ़े नौ बजे तक मैं समझ गयी थी की मेरी जेठानी ने एकदम सही समझाया था ,...
ये मेरा ' वो ' कुछ ज्यादा ही सीधा , भोला ,... शर्मीला ,...
और मैंने कुछ ज्यादा तड़पाया बेचारे को तो वो ऐसे ही ,...
पहली चुम्मी रात में पौने दस बजे , बड़ी हिम्मत कर के ली उन्होंने
वो भी तब जो मैंने पान अपने होंठों से उनके होंठों के बीच ,
और तब बड़ी हिम्मत से उनके लालची होंठों ने मेरे होंठ गपुच लिए ,...
फिर तो सरक कर हम दोनों रजाई के अंदर ,... और तब उनके हाथों ने थोड़ी हिम्मत की ,...
मेरी बैकलेस चोली , सिर्फ एक छोटी सी गाँठ ,... और वो खुल गयी।
उनकी उँगलियाँ मेरी पीठ पर टहलती रहीं , और मैं दहकती रही।
मैं समझ गयी वो बिचारे मेरी ब्रा का हुक ढूंढ रहे हैं , लेकिन ब्रा जान बूझ कर मेरी भाभी ने कहा था फ्रंट ओपन पहनना , और उन्हें कहाँ समझ ,...
मैंने ही उनका हाथ हटाने के बहाने , और जैसे ही उनका हाथ मेरी फ्रंट ब्रा के हुक पर पड़ा ,...
जैसे कारूं का खजाना मिल गया मेरे बालम को , ....
मैंने झूठे भी रोकने की कोशिश नहीं की ,...
और मेरे जोबन ,... उनकी मुट्ठी में ,... वो एकदम पागल ,
... गूंगे की गुड़ की तरह छुआ , सहलाया , और थोड़ी हिम्मत कर दबाना मसलना भी शुरू कर दिया।
कस कर वो मुझे अपनी बाँहों में भींचे थे , और उनसे ज्यादा कस के मैंने उन्हें पकड़ रखा था ,...
बिन बोले , उनके पाजामा के अंदर का तन्नाया खूंटा मेरी जाँघों के बीच , मुझे उनकी हालत बता रहा था।
बेसबरा, बुद्धू
मैंने और कस के उन्हें भींच लिया , और अबकी मेरे होंठों ने उनके होंठों को बस हलके से छू भर लिया , इतना काफी था , अबकी का उनका चुम्मा , चुम्मी नहीं सच में चुम्मा था , साथ में दोनों हाथ मेरे उभारों पर , ...
उस दुष्ट की उँगलियाँ आग लगा रही थीं ,
जैसे किसी बच्चे को वो खिलौना मिल जाए जिस के लिए वो जनम जनम से तरस रहा हो ,
बुद्धू थे , नासमझ भी लेकिन इतने भी नहीं , ...एक बार चोली खुल जाने के बाद जैसे उनको , ...
और मैं भी तो ,....
मेरी भाभियों ने लाख समझाया था , नाड़ा मत खोलने देना पहली रात आसानी से ,...
लेकिन मैं भी तो उतनी ही बावरी हो रही थी ,....
और मैं समझ गयी थी गलती से भी हमने ना नुकुर की तो ये नदीदों की तरह बस ललचाते रह जाएंगे ,...
ऊपर से वो मोटा खूंटा मेरी जाँघों के बीच धंसा उनकी हालत बिना उनके कहे अच्छी तरह बता रहा था , ...
और जब उन्होंने नाड़ा खोलने की कोशिश की तो बस मैंने हलके से एक बार उनका हाथ पकड़ा , उन्ह आह की , ...
धीमे से बदमाश बोला , ...
और मेरा लहंगा , उनका पजामा एक साथ ,...
हाँ एक बेईमानी की मैंने ,.... मेरी पैंटी ,... मैं जान गयी थी वो एकदम ही ,... उनके बस का नहीं था , ...
एक छोटा सा हुक था ,... बस जब उनका हाथ पैंटी सरकाने की कोशिश कर रहा था ,...
मैंने अपने हाथ से हलके से ,... और पैंटी मेरी देह से अलग होकर ,... वै
से भी हम दोनों रजाई के अंदर थे ,.. लाइट्स सारी बंद थीं ,
बस थोड़ी सी चांदनी रोशदान से आ कर ,...
एकदम ९० डिग्री , तना कड़ा ,...
मेरी ननदों ने साढ़े नौ बजे , दरवाजा बंद होने के बाद चीख की फोरकास्ट की थी
और मौसम के फोरकास्ट की तरह वो एकदम गलत निकला , ...
लेकिन एकदम गलत भी नहीं , ....
सवा दस ,.... बहुत दर्द हुआ ,... बस जान नहीं निकली , ...
लेकिन मैं जानती थी , अगर मैं चीखी तो ये कहीं ,...
मैंने दोनों हाथों से कस के चददर को पकड़ा , दांतों से होंठों को कस के काट लिया ,
बस किसी तरह चीख निकलने से रोका अपने को
वो मेरे अंदर थे ,
पर आठ दस मिनट के अंदर ,
एक बार
उईईईईईई , नहीं ,... ओहहहह उईईईईईई ,....
जोर की चीख मेरी लाख कोशिश करने के बाद भी निकल गयी ,
पूरी देह दर्द से चूर थी , मेरी ,...
और साथ ही बाहर से ढेर सारी लड़कियों की हंसी , मजाक एक से एक ,... और सिर्फ मेरी ननदे ही नहीं कुछ काम करने वालियां भी जो रिश्ते से ननदें ही लगती थी ,
नाउन की लड़की ,... दुलारी
" कैसे फटी हो भौजी कैसे फटी , तोहरी ,.... "
उस की ही आवाज थी।
जोर की हंसी और फिर चलो
अब फट गयी है टाइम देख लो , कल भाभी विस्तार से बातएंगी न
एक छोटी ननद की आवाज आयी 10. २८
" तानी धीरे धीरे डाला , बड़ा दुखाला रजऊ ,.... "
किसी ननद ने कहा , तो दुलारी बोली
" अरे धीरे डालने का दिन नहीं है आज , ... शादी कर के लाये हैं , हचक के डालेंगे ,... और हचक के पेलेंगे नही तो भौजी की फटती कैसे , १७ साल से नैहर में भैया के लिए बचा के रखी थीं। "
" चलो चलो तुम सब नीचे आज फड़वातीं हूँ तुम सब ननदों की ,... पता चलेगा ,... मेरे मायके वाले हैं न ,... "
ये मेरी जेठानी की आवाज थी।
" अरे हम भौजाइयां भी तो हैं , चलो आज किसी ननद की बचेगी नहीं , तुम सब को बताएंगी हम , कैसे रोज तुम्हारे भाई हमारे ऊपर चढ़ाई करते हैं न एकदम वैसे ही ,... अपनी ऊँगली तो रोज करती होगी , आज भौजाइयों की ऊँगली का मजा लो ,... "
दूसरी जेठानी बोलीं।
रात पिया के संग जागी रे सखी
पहली रात के बारे में भाभियों और मेरी मम्मी ने भी बहुत कुछ ,... मर्द बड़े बेसबरे होते हैं , तुरंत ही ,... कुछ देर तो ना नुकुर ,...
लेकिन असली सीख मुझे मेरी जेठानी ने दी , अपने देवर के बारे में उनसे ज्यादा किसे मालूम होता ,... बोलीं ,...
' ज्यादा मत ना नुकुर करना ,... वो तुझे सीरियसली ले लेगा ,.. और रात भर बस ललचाता रहेगा ,... "
साढ़े आठ बजे ही मैं सुहागरात वाले कमरे में , ... मेरी ननदें एकदम खुल के ,...
" भाभी एक बार इस्तेमाल के पहले दिखा दीजिये , कल इस्तेमाल के बाद देख लेंगे ,...
बस अब आधा , एक घण्टे की बात है ,... "
पौने नौ बजे मेरी जेठानी इनको लेकर हाजिर हुईं ,...
और खेद कर सब ननदों को भगाया , लेकिन जाते जाते आपस में , मुझे सुना सुना कर ,...
" चल यार , बस आधे घण्टे में ,... इतनी तेज चीख निकलेगी न इस कमरे से ,... अरे छत पर रहने की कोई जरूरत नहीं , नीचे तक सुनाई देगा ,... ( मेरा कमरा अकेले छत पर था , बाकी सब लोगों का कमरा नीचे ,... मेरे कमरे के अलावा सिर्फ छत ही थी बड़ी सी ऊपर ) घडी मिला लेना ठीक साढ़े नौ बजे,… "
लेकिन साढ़े नौ बजे तक तो उन्होंने पहली चुम्मी ही नहीं ली , ऐसे झिझकते शरमाते ,... लेकिन ललचाते , ...
बस बगल में बैठे नदीदों की तरह ,...
भाभी उनकी ९ बजे गयी थीं , ...
( तीन बातें उन्होंने मेरे कान में बोली थीं , पहली की वो बाहर से ताला लगा देंगी और सुबह ९ बजे ही वो खोलेंगी , और दूसरी तकिये के नीचे वैसलीन की शीशी रखी है, पान खिला देना और दूध बाद में । )...
और साढ़े नौ बजे तक मैं समझ गयी थी की मेरी जेठानी ने एकदम सही समझाया था ,...
ये मेरा ' वो ' कुछ ज्यादा ही सीधा , भोला ,... शर्मीला ,...
और मैंने कुछ ज्यादा तड़पाया बेचारे को तो वो ऐसे ही ,...
पहली चुम्मी रात में पौने दस बजे , बड़ी हिम्मत कर के ली उन्होंने
वो भी तब जो मैंने पान अपने होंठों से उनके होंठों के बीच ,
और तब बड़ी हिम्मत से उनके लालची होंठों ने मेरे होंठ गपुच लिए ,...
फिर तो सरक कर हम दोनों रजाई के अंदर ,... और तब उनके हाथों ने थोड़ी हिम्मत की ,...
मेरी बैकलेस चोली , सिर्फ एक छोटी सी गाँठ ,... और वो खुल गयी।
उनकी उँगलियाँ मेरी पीठ पर टहलती रहीं , और मैं दहकती रही।
मैं समझ गयी वो बिचारे मेरी ब्रा का हुक ढूंढ रहे हैं , लेकिन ब्रा जान बूझ कर मेरी भाभी ने कहा था फ्रंट ओपन पहनना , और उन्हें कहाँ समझ ,...
मैंने ही उनका हाथ हटाने के बहाने , और जैसे ही उनका हाथ मेरी फ्रंट ब्रा के हुक पर पड़ा ,...
जैसे कारूं का खजाना मिल गया मेरे बालम को , ....
मैंने झूठे भी रोकने की कोशिश नहीं की ,...
और मेरे जोबन ,... उनकी मुट्ठी में ,... वो एकदम पागल ,
... गूंगे की गुड़ की तरह छुआ , सहलाया , और थोड़ी हिम्मत कर दबाना मसलना भी शुरू कर दिया।
कस कर वो मुझे अपनी बाँहों में भींचे थे , और उनसे ज्यादा कस के मैंने उन्हें पकड़ रखा था ,...
बिन बोले , उनके पाजामा के अंदर का तन्नाया खूंटा मेरी जाँघों के बीच , मुझे उनकी हालत बता रहा था।
बेसबरा, बुद्धू
मैंने और कस के उन्हें भींच लिया , और अबकी मेरे होंठों ने उनके होंठों को बस हलके से छू भर लिया , इतना काफी था , अबकी का उनका चुम्मा , चुम्मी नहीं सच में चुम्मा था , साथ में दोनों हाथ मेरे उभारों पर , ...
उस दुष्ट की उँगलियाँ आग लगा रही थीं ,
जैसे किसी बच्चे को वो खिलौना मिल जाए जिस के लिए वो जनम जनम से तरस रहा हो ,
बुद्धू थे , नासमझ भी लेकिन इतने भी नहीं , ...एक बार चोली खुल जाने के बाद जैसे उनको , ...
और मैं भी तो ,....
मेरी भाभियों ने लाख समझाया था , नाड़ा मत खोलने देना पहली रात आसानी से ,...
लेकिन मैं भी तो उतनी ही बावरी हो रही थी ,....
और मैं समझ गयी थी गलती से भी हमने ना नुकुर की तो ये नदीदों की तरह बस ललचाते रह जाएंगे ,...
ऊपर से वो मोटा खूंटा मेरी जाँघों के बीच धंसा उनकी हालत बिना उनके कहे अच्छी तरह बता रहा था , ...
और जब उन्होंने नाड़ा खोलने की कोशिश की तो बस मैंने हलके से एक बार उनका हाथ पकड़ा , उन्ह आह की , ...
धीमे से बदमाश बोला , ...
और मेरा लहंगा , उनका पजामा एक साथ ,...
हाँ एक बेईमानी की मैंने ,.... मेरी पैंटी ,... मैं जान गयी थी वो एकदम ही ,... उनके बस का नहीं था , ...
एक छोटा सा हुक था ,... बस जब उनका हाथ पैंटी सरकाने की कोशिश कर रहा था ,...
मैंने अपने हाथ से हलके से ,... और पैंटी मेरी देह से अलग होकर ,... वै
से भी हम दोनों रजाई के अंदर थे ,.. लाइट्स सारी बंद थीं ,
बस थोड़ी सी चांदनी रोशदान से आ कर ,...
एकदम ९० डिग्री , तना कड़ा ,...
मेरी ननदों ने साढ़े नौ बजे , दरवाजा बंद होने के बाद चीख की फोरकास्ट की थी
और मौसम के फोरकास्ट की तरह वो एकदम गलत निकला , ...
लेकिन एकदम गलत भी नहीं , ....
सवा दस ,.... बहुत दर्द हुआ ,... बस जान नहीं निकली , ...
लेकिन मैं जानती थी , अगर मैं चीखी तो ये कहीं ,...
मैंने दोनों हाथों से कस के चददर को पकड़ा , दांतों से होंठों को कस के काट लिया ,
बस किसी तरह चीख निकलने से रोका अपने को
वो मेरे अंदर थे ,
पर आठ दस मिनट के अंदर ,
एक बार
उईईईईईई , नहीं ,... ओहहहह उईईईईईई ,....
जोर की चीख मेरी लाख कोशिश करने के बाद भी निकल गयी ,
पूरी देह दर्द से चूर थी , मेरी ,...
और साथ ही बाहर से ढेर सारी लड़कियों की हंसी , मजाक एक से एक ,... और सिर्फ मेरी ननदे ही नहीं कुछ काम करने वालियां भी जो रिश्ते से ननदें ही लगती थी ,
नाउन की लड़की ,... दुलारी
" कैसे फटी हो भौजी कैसे फटी , तोहरी ,.... "
उस की ही आवाज थी।
जोर की हंसी और फिर चलो
अब फट गयी है टाइम देख लो , कल भाभी विस्तार से बातएंगी न
एक छोटी ननद की आवाज आयी 10. २८
" तानी धीरे धीरे डाला , बड़ा दुखाला रजऊ ,.... "
किसी ननद ने कहा , तो दुलारी बोली
" अरे धीरे डालने का दिन नहीं है आज , ... शादी कर के लाये हैं , हचक के डालेंगे ,... और हचक के पेलेंगे नही तो भौजी की फटती कैसे , १७ साल से नैहर में भैया के लिए बचा के रखी थीं। "
" चलो चलो तुम सब नीचे आज फड़वातीं हूँ तुम सब ननदों की ,... पता चलेगा ,... मेरे मायके वाले हैं न ,... "
ये मेरी जेठानी की आवाज थी।
" अरे हम भौजाइयां भी तो हैं , चलो आज किसी ननद की बचेगी नहीं , तुम सब को बताएंगी हम , कैसे रोज तुम्हारे भाई हमारे ऊपर चढ़ाई करते हैं न एकदम वैसे ही ,... अपनी ऊँगली तो रोज करती होगी , आज भौजाइयों की ऊँगली का मजा लो ,... "
दूसरी जेठानी बोलीं।