26-11-2020, 09:27 AM
तूफान थमने का नाम नहीं ले रही थी । जिस चलते कमरे में मदारी और शिल्पा थे उस कमरे के दरवाजे खटखत किए जा रहे थे इतनी जोर की हवा चल रही थी । शिल्पा के फोन पर सरजू का कॉल आया ।
"Hello मेमसाब सरजू बोल रहा हूं। माफ़ करिएगा आज अपने घर गया था किसी काम से लेकिन तूफान कि वजह से नहीं आ सकुंगा । फस गया हूं ।"
"कोई बात नहीं । मैं भी ..........." फोन कट गया। शिल्पा ने देखा तो बैटरी low था।
शिल्पा मदारी की तरफ देखते हुए "आपके पास्फोन है तो दीजिए ना ।"
मदारी जेब में हाथ रखा लेकिन फोन नहीं मिला । "अरे मेमसाब फोन दफ्तर में ही भूल गया ।"
"Oh God अब क्या करे ?"
"देखिए मेमसाब अब कोई चारा नहीं बचा । सरजू क्या कर रहा होगा ?"
"वो अपने घर फस गया । "
"फिर तो आप था है रह जाइए । क्योंकि यह तूफान ऐसे नहीं थमने वाला ।"
शिल्पा के पास वैसे भी कोई चारा नहीं बचा । वो आखिर करे तो करे क्या ? मान गई । मदारी ने सबसे पहले कमरे कि सफाई की । दोनों अंदर ही बेठे थे । शिल्पा खटिया पे बैठी थी । मदारी साफ सफाई करके सामनेवाले खटिए पे बैठा ।
"वो घर देखने के चक्कर में फस गए ।" मदारी ने कहा
"अरे नहीं ऐसा नहीं है । मौसम का भी तो ठीक से पता नहीं चला ।"
"वैसे आप फिर एक और बात हमारे घर आ ही गई ।" मदारी हस्ते हुए बोला ।
"इस बार तूफान है । ठंडी हर बार की तरह ।"
"रुकिए में आपको रजाई देता हूं ।"
मदारी अपने खटिए पे पड़ा रजाई शिल्पा को दे दिया। शिल्पा ने रजाई ओढ़ लिया । दरअसल शिल्पा का शाल हवा में ही उड़ गया था जिसकी वजह से उसके पास कुछ रहा नहीं । रही बात बगल के कमरे की तो उसके लिए तूफान से गुजरना पड़ेगा । दो कमरों में थोड़ा फैसला भी है । अब सिर्फ एक रजाई ही बची थी ।
"मेमसाब आपके लिए टीवी चालू कर दूं ?"
"नहीं अभी तो बिजली चली गई है । भूल गए क्या ?"
"अरे हा वो तो है ।"
"वैसे एक बात पूछनी थी । वो को दरवाजा था बड़े बड़े तालों से लगा हुआ उसमे था क्या ?"
"पता नहीं मेमसाब कुछ लोग कहते है कि उसने बहुत सारे महंगे कपड़े पड़े हुए है घरवालों के लिए ।"
"फिर किसी ने कोशिश क्यों नहीं की लेने की ?"
"उसमे अलग सा जादू है ।'
"कैसा जादू ?"
"ऐसा है मेमसाब उसमे की उसे छूने से खुलता है । कहते है जो अच्छा आदमी हो और किसी दो की ज़िन्दगी को बचाए वोही उस दरवाजे को खोल सकता है । लेकिन उस दरवाजे के अंदर पड़ा खजाना किसी अच्छे काम के लिए इस्तमाल वो करे वरना अगली सुबह खजाना हमेशा के लिए गायब।"
"बाप रें । तुमने किसी की ज़िन्दगी बचाई ?"
"मौका नहीं मिला ेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे लेकिन ऊपरवाले ने चाहा तो मौका मिल जाएगा ।"
"लेकिन इसे लूटने की कई लोगो ने कोशिश की होगी ।"
"कई लोगो ने कि लेकिन कुछ नहीं मिला। इसे पाने की शर्तें बहुत ही अजीब है । एक तो किसी को मौटसे बचाओ और उसकी ज़िन्दगी को बदलो ।"
"क्या पता तुम्हे मिल जाए कोई मदद करने के लिए ।"
"अगर मिल जाए तो भी क्या ? अब इस बुढ़ापे की उम्र में कर भी क्या लूंगा ।"
मदारी के रूम में लालटेन था । मदारी लालटेन जलता है और ऊपर रख देता है । धीरे धीरे कमरे में ठंड बढ़ने लगी । मदारी है तो बुड्ढा और ऊपर से टकला भी। ठंडी तो बहुत लगने लगी उसे। थोड़ा सा कापने लगा । शिल्पा को मदारी के लिए बुरा लगा। इतनी ठंडी में जाप रहा है । खुद को भिबुटनी ही ठंडी लगी हुई है ।
"आपको ठंडी लग रही है ।"
"नहीं मेमसाब कोई ठंडी नहीं लग रही हमें ।"
"ठंड से शरीर कापा रहा है आपका ।"
"मैं कुछ कर लूंगा ।"
"आ जाइए रजाई में ।"
"हमारे पास एक ही है और आप उसे इस्तमाल करे ।"
"आ जाइए रजाई में कुछ नहीं होगा ।"
"लेकिन कब तक एक में रहेंगे ?"
"आ जाओ वरना तबियत खराब हो जाएगी ।"
मदारी और शिल्पा अब एक ही खटिए में आ गए एक ही रजाई में । रजाई एक और अंदर दोनो । मदारी कप्ता हुआ रजाई में घुसा । रजाई में घुसते ही शिल्पा के शरीर से उसका शरीर लगने लगा । शिल्पा भी ठंड से सिकुड़ी हुई थी । मदारी के शरीर से बार बार टकराने की वजह से शिल्पा में करंट सा दौड़ ने लगा । मदारी उत्तेजित होता जा रहा था । अब अंदर प्रेम की ज्वालामुखी फटने लगी ।
"क्या मै अपना सिर ढाक सकता हूं ? बहुत ठंड लग रही है ।"
शिल्पा ने कहा "हां डाल दो सिर अंदर पूछो मत ।"
शिल्पा ने मदारी को रजाई के बिल्कुल अंदर रख दिया । मदारी की आंखे चमक गई । रजाई के अंदर वो शिल्पा के शरीर को निहार सकता था । शिल्पा की गोरी गोरी कमर को देखकर जैसे जान ही जाने लगी । शिल्पा थोड़ा सा लेट गई । खटिया थोड़ा बड़ा था । शिल्पा अपने पैरों को सीधा करके थोड़ा सा लेट गई । मदारी भी लेट गया । शिल्पा के शरीर को और ठीक से देख सके इसीलिए वो रजाई के बिल्कुल अंदर आ गया। अब वो ज्यादा करीब आ गया। उसकी गरम गरम सांसें शिल्पा के जिस्म में लग रहा था । शिल्पा भी गरम होने लगी । अपने सिर को ऊपर करते हुए मदारी अंदर से गोरे गोरे बहे को देखकर प्यार की ज्वालामुखी को बढ़ाए जा रहा था ।
"सुनो दरवाजा ठीक से बांध तो है ना क्योंकि बारिश बहुत तेजी से आ रही है ।" शिल्पा ने पूछा ।
"सब बंद है । लेकिन ठंडी क्यों जा नहीं रही ?" इतना कहकर मदारी का चेहरा शिल्पा के कंधे पे लग गया ।
शिल्पा ने एक करवट की और इस बार पूरा शरीर आगे का मदारी के सामने आ गया । मदारी ठंड भी मेहसूस करने लगा । दोनों अब अंदर आ गए । दोनों के बीच एक उंगली का भी फासला नहीं रहा । मदारी अब बिना डरे शिल्पा के हाथ को छुआ।
"यहां ठंडी बहुत है ।" मदारी बोला।
"सही कहा तुम बहुत काप रहे हो। एक काम करो हाथ पकड़ लो ।" ये इसीलिए कहा क्योंकि शिल्पा भी अंदर से गरम हो रही थी । बिना देर लगाए शिल्पा का हाथ मदारी ने पकड़ लिया।
"वैसे मेमसाब बहुत मुलायम हाथ है आपका ।"
"अच्छा ?"
"अब आप भी पूरी तरह से रजाई में आ जाओ मेरे साथ ।"
शिल्पा मान गई । दोनों पूरी तरह से मोटी रजाई में आ गए । दोनों की आंख एक दूसरे से मिल रही थी । मदारी के शरीर से हल्की की अजीब बदबू थी और शिल्पा के शरीर से खुशबू की धार । मदारी बोला "वैसे आप बहुत खूबसूरत लगती है ।"
"शुक्रिया ।"
"बूरी ना मानो एक बात कहूं ?"
"क्या ?"
"आपको जकड़ने का मन कर रहा है ।"
"छे पागल ।"
मदारी अब बिना सारे शिल्पा से चिपक गया । अपने सिर को शिल्पा के कंधे पे रख दिया । शिल्पा ने कोई जवाब नहीं दिया । मदारी की हिम्मत बढ़ी । शिल्पा के मुलायम पेट पे हाथ रख दिया । शिल्पा ने मदारी के हाथ पे अपना हाथ रख दिया। मदारी ने शिल्पा के कंधे को चूम लिया। शिल्पा ने अपना दूसरा हाथ मदारी के चेहरे पे रख दिया। मदारी शिल्पा के गले को चूमने लगा।
"बहुत ठंडी लग रही है शिल्पा ।"
मेमसाब से सीधा शिल्पा । शिल्पा भी बोल पड़ी "मुझे भी बहुत ठंडी लग रही है ।"
"मैं चिपक जाऊं ? गर्मी लग सकती है ।"
"उम् चिपक जाओ ।"
मदारी शिल्पा के सीने पे सिर रखके खुरदुरा चेहरा घिसने लगा । बहुत ही भद्दा और खराब चेहरा था । शिल्पा ने मदारी के सिर पें हाथ रख दिया ।
"शिल्पा मुझे ऊपर चढ़ने दो."
"आ जाओ ।" शिल्पा अपने उत्तेजना को दिखाते हुए बोली ।
मदारी पूरी तरह से शिल्पा के ऊपर चढ गया । मदारी की भारी चुंबन शिल्पा के होठं पे पड़ी । शिल्पा ने भी इस बार साथ दिया । मदारी नीचे सरकता हुए शिल्पा के पेट को चूमा । शिल्पा की हल्की से सिसकारी निकली । शिल्पा की सांसें ऊपर नीचे होने लगी । खुद को रोकना अब उसके लिए आसान ना था । मदारी ने पल्लू को नीचे कर लिया जिससे शिल्पा के स्तन दिखाई दिए । अब मदारी ने उसके दोनो स्तन के बीच अपना मुंह रख दिया । मदारी की भारी चुम्बन में लार गिरने लगी । शिल्पा को ये बिल्कुल गरम किए जा रहा था ।
"शिल्पा अब गर्मी लगी ?"
"हां ।"
"क्या हमे कपड़े उतार देना चाहिए ?"
शिल्पा एक झटके में उठी और अपना पल्लू गिर दिया । मदारी भी उठकर अपना कपड़ा उतरकर फेक दिया । मदारी के शरीर में सफेद बालक का गुच्छा था । काली शरीर में सफेद बाल । शिल्पा के स्तन को दोनो हाथो से दबाते हुए कहा "यह मुझे पसंद है । क्या इसे एक बार चूम लूं ?"
"पूछो मत कर लो ।"
मदारी ने जुबान बाहर निकली और उस स्तन का रसपान करने लगा । बादल ने जोर से गरज लगाई । मदारी उस बादल की तरह गरज और शिल्पा को लेता दिया । अब रजाई को दूर रख दिया । शिल्पा के पेटीकोट को हल्के से उतारकर रख दिया । शिल्पा जैसे अब शर्म से पानी पानी होने लगी । शिल्पा को यकीन नहीं हुआ को कैसे वह एक अधेड़ उम्र के आदमी की बाहों में है । लेकिन जब दो मन का मिलन हो तो ये सब बाते सोचने का वक़्त ज्यादा नहीं होता । शिल्पा के गुलाबी होठ ने अपना द्वार खोल दिया किससे मदारी के होठ ने प्रवेश किया । मदारी का चुम्बन बहुत तेज था । अपनी जुबान से शिल्पा कि जुबान का मिलन करवाया और मीठे स्वाद का आनंद लेने लगा । शिल्पा के शरीर को पूरे जोर से दबा लिया । गोरे बदन पे काले हाथो का दबाव बढ़ गया । शिल्पा ने पैरो से मदारी को दबा लिया । मदारी का मुंह अब शिल्पा के कंधो पे अटका और इस बार दांतो से कंधो पे वार किया ।
"हाय रै उम्म ।' शिल्पा दर्द से चिल्ला पड़ी ।
"शिल्पा तुम इस घर की हो जाओ । मेरा मतलब यह इस दुनिया में आ जाओ ।"
"अलग है मेरी दुनिया ।"
"अब से यही है दुनिया । शिल्पा मुझे अब सिर्फ तुम चाहिए ।"
अपने लिंग को हाथो में लिए मदारी ने शिल्पा कि योनि में घुसाया । शिल्पा ने मदारी के नितम्ब को छुआ । मदारी ने प्रेम का वार योनि पे किया । शिल्पा जैसे ध्वस्त होने लगी । अब मदारी का ये प्रहार उसके मनोस्थिति को काबू में लिए का रहा था । शिल्पा तीव्रता से मदारी के होठो को चूम ली । मदारी प्रहार तेजी से करता गया । शिल्पा की योनि में मदारी का लिंग अपने तेज प्रहार से शिल्पा के बरसो की प्यास को पानी देने का काम कर था था । मदारी जैसे स्वर्ग का आनन्द लेने में लीन था । शिल्पा और मदारी एक दूसरे की आंखों में देखने लगे ।
"क्या देख रहे हो तुम आई आह ।"
"शिल्पा क्या तुम मेरे ऊपर आ सकती हो ?"
शिल्पा में गई और मदारी के ऊपर बैठकर अपनी योनि में लिंग का प्रहार मेहसूस करने लगी । अपने दोनो हाथो को स्तन पे रखते हुए आंखे बंद करके ऊपर नीचे होती जा रही थी । मदारी ने स्तन पर से शिल्पा का हाथ हटाया और अपना हाथ रखकर जोर से मसलना शुरू किया । शिल्पा नीचे झुकी और मदारी के गाल को चूमा । मदारी के गले लगते हुए शिल्पा ने मदारी के होठ को ज़ीभ से चाटा । मदारी ने तुरंत अपना जुबान बाहर निकालकर उसके जुबान की मिलाया । शिल्पा के कंधो पे नाखून गड़ाते हुए मदारी ने शिल्पा को मीठा दर्द का अनुभव दिया । मदारी अब चरमसुख के अंत तक पहुंचा और लिंग को बाहर निकलते हुए शिल्पा को लिटा दिया। सफेद वीर्य की धार शिल्पा के पेट पे गिरा दिया । शिल्पा ने गरम वीर्य को मेहसूस किया। मदारी शिल्पा को उल्टा करते हुए लिंग से शिल्पा के नितंब में प्रवेश किया । शिल्पा की नितम्ब (ass) में लिंग का खेल चला ।
"शिल्पा तुम जवानी का सही उदाहरण हो । क्या इस जवानी को सुख देने का कर्तव्य नहीं बनता मेरा ?"
"हां बनता है ।"
"तो क्या मेरे घर में एक अधेड़ उमर के बुजुर्ग से प्रेम वासना का खेल अच्छा लगा ?"
"हा बहुत अच्छा लगा ।"
"शिल्पा मुझे तुमसे प्यार हो गया । ये हवस नहीं है मेरा प्यार है ।"
शिल्पा कुछ ना बोली। मदारी ने नितम्ब में अपना वीर्य गिरा दिया । थकान में मारे मदारी खटिया पे लेट गया । शिल्पा मदारी के ऊपर लेट गई । मदारी के सीने पे अपना सिर रखते हुए शिल्पा ने दोनो को रजाई में समा लिया । मदारी शिल्पा के नितम्ब पे हाथ रखता हुआ अपनी आंखे बंद कर लिया । शिल्पा भी मदारी के साथ प्रेमी को तरह सो गई ।
तूफानी रात शांत हो गई । रात के ३ बजे मदारी की आंख खुल गई । शिल्पा को अपने करीब पाकर वो थोड़ा चिंतित हो गया ।
मदारी मन में बोला "ये क्या कर दिया मैंने ? अपनी बेटी कि उमर की औरत के साथ ? नहीं नहीं । ये मेरी मालकिन है नहीं ये पाप है । मुझे ये नहीं करना चाहिए ।"
मदारी आहिस्ते से उठकर सोई हुई शिल्पा कअपार रजाई रखकर धीमे और दबे पैरो से कमरे के बाहर निकला और अगले कमरे में चला गया । अपने कमरे पे पड़े शीशे में खुद को देखते हुए कोसने लगा । घुस्से में खुद को दो थप्पड़ भी मार दिया । मदारी की आंखो में आंसू आ गए । शरम और लाज से खुद को अंधेरे से भरे कमरे में कैद कर लिया ।
सुबह के 6 बजे । पक्षियों की चेहेक से शिल्पा कि नींद उड़ी । शिल्पा को याद आया कल रात की घमासान सेक्स की । शिल्पा शर्मा गई । बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठकर खड़ी हुई । चलने में थोड़ी सी दिक्कत ही रही थी । रजाई को नंगे जिस्म से लपेटकर कमरे से बाहर निकली । बाजू के कमरे में वो आ गई जहा मदारी था । मदारी खटिया पे बैठा था । शिल्पा पीछे से आही और मदारी से लिपट गई । मदारी चौक गया । शिल्पा ने मदारी को खटिया पे लेटाया और उसपर लेट गई । मदारी के होठं को चूम लिया । मदारी एक ही झटके में अलग हुआ ।
"माफ़ करिए मेमसाब । हमसे गलती हो गई ।"
"कैसी गलती ?" शिल्पा ने हैरानी से पूछा ।
"आप हमारी मेमसाब है । कल रात जो हुआ उसमे मेरी गलती थी । बहुत बड़ा पाप हुए है मुझसे ।'
"मदारी मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।"
"मुझे आपके साथ सोना नहीं चाहिए था ।"
"मदारी तुम शरमाने लगे हो लड़की कि तरह ।" शिल्पा ने मदारी का हाथ पकड़ा और अपने नंगे बूब्स पे रखा । मदारी ने हाथ पीछे कर लिया ।
"कल रात को बोले थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो ।"
"कहा तो था लेकिन हम बहक गए थे । भूल गए थे कि हम तो पाप करने जा रहे है ।"
"मुझे तुम्हारे प्यार करने से कोई ऐतराज़ नहीं है । तुम मुझे जब चाहो प्यार कर सकते हो ।"
"हूं। आपके पैर पड़ते है । दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे । हम माफ़ी मांगते है ।" मदारी जोर जोर से रोने लगा । मदारी की बातो से शिल्पा को एक बड़ा झटका लगा । शिल्पा जैसे टूट सी गई । बहुत दिनों बाद किसी ने उसे जिस्म का सुख दिया था लेकिन अब वो भाग रहा है उससे । शिल्पा को बहुत दुख हुआ ।
"तुम नीच हो । एक रात की गर्मी उतर गई क्या ? एक रात के लिए मेरे जिस्म से तुमने खेला तुम बेकार और नीच इंसान ।" घुस्से से शिल्पा बाहर निकालकर साड़ी पहनी और अपने घर चली गई । मदारी अभी भी जोर जोर से रोने लगा। प्यार के जोश में गलती कर बैठा मदारी । घुस्से से तिलमिलाई शिल्पा अपने घर पहुंची । सरजू घर में ही था । बिना कुछ बोले शिल्पा अपने कमरे में चली गई ।
"Hello मेमसाब सरजू बोल रहा हूं। माफ़ करिएगा आज अपने घर गया था किसी काम से लेकिन तूफान कि वजह से नहीं आ सकुंगा । फस गया हूं ।"
"कोई बात नहीं । मैं भी ..........." फोन कट गया। शिल्पा ने देखा तो बैटरी low था।
शिल्पा मदारी की तरफ देखते हुए "आपके पास्फोन है तो दीजिए ना ।"
मदारी जेब में हाथ रखा लेकिन फोन नहीं मिला । "अरे मेमसाब फोन दफ्तर में ही भूल गया ।"
"Oh God अब क्या करे ?"
"देखिए मेमसाब अब कोई चारा नहीं बचा । सरजू क्या कर रहा होगा ?"
"वो अपने घर फस गया । "
"फिर तो आप था है रह जाइए । क्योंकि यह तूफान ऐसे नहीं थमने वाला ।"
शिल्पा के पास वैसे भी कोई चारा नहीं बचा । वो आखिर करे तो करे क्या ? मान गई । मदारी ने सबसे पहले कमरे कि सफाई की । दोनों अंदर ही बेठे थे । शिल्पा खटिया पे बैठी थी । मदारी साफ सफाई करके सामनेवाले खटिए पे बैठा ।
"वो घर देखने के चक्कर में फस गए ।" मदारी ने कहा
"अरे नहीं ऐसा नहीं है । मौसम का भी तो ठीक से पता नहीं चला ।"
"वैसे आप फिर एक और बात हमारे घर आ ही गई ।" मदारी हस्ते हुए बोला ।
"इस बार तूफान है । ठंडी हर बार की तरह ।"
"रुकिए में आपको रजाई देता हूं ।"
मदारी अपने खटिए पे पड़ा रजाई शिल्पा को दे दिया। शिल्पा ने रजाई ओढ़ लिया । दरअसल शिल्पा का शाल हवा में ही उड़ गया था जिसकी वजह से उसके पास कुछ रहा नहीं । रही बात बगल के कमरे की तो उसके लिए तूफान से गुजरना पड़ेगा । दो कमरों में थोड़ा फैसला भी है । अब सिर्फ एक रजाई ही बची थी ।
"मेमसाब आपके लिए टीवी चालू कर दूं ?"
"नहीं अभी तो बिजली चली गई है । भूल गए क्या ?"
"अरे हा वो तो है ।"
"वैसे एक बात पूछनी थी । वो को दरवाजा था बड़े बड़े तालों से लगा हुआ उसमे था क्या ?"
"पता नहीं मेमसाब कुछ लोग कहते है कि उसने बहुत सारे महंगे कपड़े पड़े हुए है घरवालों के लिए ।"
"फिर किसी ने कोशिश क्यों नहीं की लेने की ?"
"उसमे अलग सा जादू है ।'
"कैसा जादू ?"
"ऐसा है मेमसाब उसमे की उसे छूने से खुलता है । कहते है जो अच्छा आदमी हो और किसी दो की ज़िन्दगी को बचाए वोही उस दरवाजे को खोल सकता है । लेकिन उस दरवाजे के अंदर पड़ा खजाना किसी अच्छे काम के लिए इस्तमाल वो करे वरना अगली सुबह खजाना हमेशा के लिए गायब।"
"बाप रें । तुमने किसी की ज़िन्दगी बचाई ?"
"मौका नहीं मिला ेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे लेकिन ऊपरवाले ने चाहा तो मौका मिल जाएगा ।"
"लेकिन इसे लूटने की कई लोगो ने कोशिश की होगी ।"
"कई लोगो ने कि लेकिन कुछ नहीं मिला। इसे पाने की शर्तें बहुत ही अजीब है । एक तो किसी को मौटसे बचाओ और उसकी ज़िन्दगी को बदलो ।"
"क्या पता तुम्हे मिल जाए कोई मदद करने के लिए ।"
"अगर मिल जाए तो भी क्या ? अब इस बुढ़ापे की उम्र में कर भी क्या लूंगा ।"
मदारी के रूम में लालटेन था । मदारी लालटेन जलता है और ऊपर रख देता है । धीरे धीरे कमरे में ठंड बढ़ने लगी । मदारी है तो बुड्ढा और ऊपर से टकला भी। ठंडी तो बहुत लगने लगी उसे। थोड़ा सा कापने लगा । शिल्पा को मदारी के लिए बुरा लगा। इतनी ठंडी में जाप रहा है । खुद को भिबुटनी ही ठंडी लगी हुई है ।
"आपको ठंडी लग रही है ।"
"नहीं मेमसाब कोई ठंडी नहीं लग रही हमें ।"
"ठंड से शरीर कापा रहा है आपका ।"
"मैं कुछ कर लूंगा ।"
"आ जाइए रजाई में ।"
"हमारे पास एक ही है और आप उसे इस्तमाल करे ।"
"आ जाइए रजाई में कुछ नहीं होगा ।"
"लेकिन कब तक एक में रहेंगे ?"
"आ जाओ वरना तबियत खराब हो जाएगी ।"
मदारी और शिल्पा अब एक ही खटिए में आ गए एक ही रजाई में । रजाई एक और अंदर दोनो । मदारी कप्ता हुआ रजाई में घुसा । रजाई में घुसते ही शिल्पा के शरीर से उसका शरीर लगने लगा । शिल्पा भी ठंड से सिकुड़ी हुई थी । मदारी के शरीर से बार बार टकराने की वजह से शिल्पा में करंट सा दौड़ ने लगा । मदारी उत्तेजित होता जा रहा था । अब अंदर प्रेम की ज्वालामुखी फटने लगी ।
"क्या मै अपना सिर ढाक सकता हूं ? बहुत ठंड लग रही है ।"
शिल्पा ने कहा "हां डाल दो सिर अंदर पूछो मत ।"
शिल्पा ने मदारी को रजाई के बिल्कुल अंदर रख दिया । मदारी की आंखे चमक गई । रजाई के अंदर वो शिल्पा के शरीर को निहार सकता था । शिल्पा की गोरी गोरी कमर को देखकर जैसे जान ही जाने लगी । शिल्पा थोड़ा सा लेट गई । खटिया थोड़ा बड़ा था । शिल्पा अपने पैरों को सीधा करके थोड़ा सा लेट गई । मदारी भी लेट गया । शिल्पा के शरीर को और ठीक से देख सके इसीलिए वो रजाई के बिल्कुल अंदर आ गया। अब वो ज्यादा करीब आ गया। उसकी गरम गरम सांसें शिल्पा के जिस्म में लग रहा था । शिल्पा भी गरम होने लगी । अपने सिर को ऊपर करते हुए मदारी अंदर से गोरे गोरे बहे को देखकर प्यार की ज्वालामुखी को बढ़ाए जा रहा था ।
"सुनो दरवाजा ठीक से बांध तो है ना क्योंकि बारिश बहुत तेजी से आ रही है ।" शिल्पा ने पूछा ।
"सब बंद है । लेकिन ठंडी क्यों जा नहीं रही ?" इतना कहकर मदारी का चेहरा शिल्पा के कंधे पे लग गया ।
शिल्पा ने एक करवट की और इस बार पूरा शरीर आगे का मदारी के सामने आ गया । मदारी ठंड भी मेहसूस करने लगा । दोनों अब अंदर आ गए । दोनों के बीच एक उंगली का भी फासला नहीं रहा । मदारी अब बिना डरे शिल्पा के हाथ को छुआ।
"यहां ठंडी बहुत है ।" मदारी बोला।
"सही कहा तुम बहुत काप रहे हो। एक काम करो हाथ पकड़ लो ।" ये इसीलिए कहा क्योंकि शिल्पा भी अंदर से गरम हो रही थी । बिना देर लगाए शिल्पा का हाथ मदारी ने पकड़ लिया।
"वैसे मेमसाब बहुत मुलायम हाथ है आपका ।"
"अच्छा ?"
"अब आप भी पूरी तरह से रजाई में आ जाओ मेरे साथ ।"
शिल्पा मान गई । दोनों पूरी तरह से मोटी रजाई में आ गए । दोनों की आंख एक दूसरे से मिल रही थी । मदारी के शरीर से हल्की की अजीब बदबू थी और शिल्पा के शरीर से खुशबू की धार । मदारी बोला "वैसे आप बहुत खूबसूरत लगती है ।"
"शुक्रिया ।"
"बूरी ना मानो एक बात कहूं ?"
"क्या ?"
"आपको जकड़ने का मन कर रहा है ।"
"छे पागल ।"
मदारी अब बिना सारे शिल्पा से चिपक गया । अपने सिर को शिल्पा के कंधे पे रख दिया । शिल्पा ने कोई जवाब नहीं दिया । मदारी की हिम्मत बढ़ी । शिल्पा के मुलायम पेट पे हाथ रख दिया । शिल्पा ने मदारी के हाथ पे अपना हाथ रख दिया। मदारी ने शिल्पा के कंधे को चूम लिया। शिल्पा ने अपना दूसरा हाथ मदारी के चेहरे पे रख दिया। मदारी शिल्पा के गले को चूमने लगा।
"बहुत ठंडी लग रही है शिल्पा ।"
मेमसाब से सीधा शिल्पा । शिल्पा भी बोल पड़ी "मुझे भी बहुत ठंडी लग रही है ।"
"मैं चिपक जाऊं ? गर्मी लग सकती है ।"
"उम् चिपक जाओ ।"
मदारी शिल्पा के सीने पे सिर रखके खुरदुरा चेहरा घिसने लगा । बहुत ही भद्दा और खराब चेहरा था । शिल्पा ने मदारी के सिर पें हाथ रख दिया ।
"शिल्पा मुझे ऊपर चढ़ने दो."
"आ जाओ ।" शिल्पा अपने उत्तेजना को दिखाते हुए बोली ।
मदारी पूरी तरह से शिल्पा के ऊपर चढ गया । मदारी की भारी चुंबन शिल्पा के होठं पे पड़ी । शिल्पा ने भी इस बार साथ दिया । मदारी नीचे सरकता हुए शिल्पा के पेट को चूमा । शिल्पा की हल्की से सिसकारी निकली । शिल्पा की सांसें ऊपर नीचे होने लगी । खुद को रोकना अब उसके लिए आसान ना था । मदारी ने पल्लू को नीचे कर लिया जिससे शिल्पा के स्तन दिखाई दिए । अब मदारी ने उसके दोनो स्तन के बीच अपना मुंह रख दिया । मदारी की भारी चुम्बन में लार गिरने लगी । शिल्पा को ये बिल्कुल गरम किए जा रहा था ।
"शिल्पा अब गर्मी लगी ?"
"हां ।"
"क्या हमे कपड़े उतार देना चाहिए ?"
शिल्पा एक झटके में उठी और अपना पल्लू गिर दिया । मदारी भी उठकर अपना कपड़ा उतरकर फेक दिया । मदारी के शरीर में सफेद बालक का गुच्छा था । काली शरीर में सफेद बाल । शिल्पा के स्तन को दोनो हाथो से दबाते हुए कहा "यह मुझे पसंद है । क्या इसे एक बार चूम लूं ?"
"पूछो मत कर लो ।"
मदारी ने जुबान बाहर निकली और उस स्तन का रसपान करने लगा । बादल ने जोर से गरज लगाई । मदारी उस बादल की तरह गरज और शिल्पा को लेता दिया । अब रजाई को दूर रख दिया । शिल्पा के पेटीकोट को हल्के से उतारकर रख दिया । शिल्पा जैसे अब शर्म से पानी पानी होने लगी । शिल्पा को यकीन नहीं हुआ को कैसे वह एक अधेड़ उम्र के आदमी की बाहों में है । लेकिन जब दो मन का मिलन हो तो ये सब बाते सोचने का वक़्त ज्यादा नहीं होता । शिल्पा के गुलाबी होठ ने अपना द्वार खोल दिया किससे मदारी के होठ ने प्रवेश किया । मदारी का चुम्बन बहुत तेज था । अपनी जुबान से शिल्पा कि जुबान का मिलन करवाया और मीठे स्वाद का आनंद लेने लगा । शिल्पा के शरीर को पूरे जोर से दबा लिया । गोरे बदन पे काले हाथो का दबाव बढ़ गया । शिल्पा ने पैरो से मदारी को दबा लिया । मदारी का मुंह अब शिल्पा के कंधो पे अटका और इस बार दांतो से कंधो पे वार किया ।
"हाय रै उम्म ।' शिल्पा दर्द से चिल्ला पड़ी ।
"शिल्पा तुम इस घर की हो जाओ । मेरा मतलब यह इस दुनिया में आ जाओ ।"
"अलग है मेरी दुनिया ।"
"अब से यही है दुनिया । शिल्पा मुझे अब सिर्फ तुम चाहिए ।"
अपने लिंग को हाथो में लिए मदारी ने शिल्पा कि योनि में घुसाया । शिल्पा ने मदारी के नितम्ब को छुआ । मदारी ने प्रेम का वार योनि पे किया । शिल्पा जैसे ध्वस्त होने लगी । अब मदारी का ये प्रहार उसके मनोस्थिति को काबू में लिए का रहा था । शिल्पा तीव्रता से मदारी के होठो को चूम ली । मदारी प्रहार तेजी से करता गया । शिल्पा की योनि में मदारी का लिंग अपने तेज प्रहार से शिल्पा के बरसो की प्यास को पानी देने का काम कर था था । मदारी जैसे स्वर्ग का आनन्द लेने में लीन था । शिल्पा और मदारी एक दूसरे की आंखों में देखने लगे ।
"क्या देख रहे हो तुम आई आह ।"
"शिल्पा क्या तुम मेरे ऊपर आ सकती हो ?"
शिल्पा में गई और मदारी के ऊपर बैठकर अपनी योनि में लिंग का प्रहार मेहसूस करने लगी । अपने दोनो हाथो को स्तन पे रखते हुए आंखे बंद करके ऊपर नीचे होती जा रही थी । मदारी ने स्तन पर से शिल्पा का हाथ हटाया और अपना हाथ रखकर जोर से मसलना शुरू किया । शिल्पा नीचे झुकी और मदारी के गाल को चूमा । मदारी के गले लगते हुए शिल्पा ने मदारी के होठ को ज़ीभ से चाटा । मदारी ने तुरंत अपना जुबान बाहर निकालकर उसके जुबान की मिलाया । शिल्पा के कंधो पे नाखून गड़ाते हुए मदारी ने शिल्पा को मीठा दर्द का अनुभव दिया । मदारी अब चरमसुख के अंत तक पहुंचा और लिंग को बाहर निकलते हुए शिल्पा को लिटा दिया। सफेद वीर्य की धार शिल्पा के पेट पे गिरा दिया । शिल्पा ने गरम वीर्य को मेहसूस किया। मदारी शिल्पा को उल्टा करते हुए लिंग से शिल्पा के नितंब में प्रवेश किया । शिल्पा की नितम्ब (ass) में लिंग का खेल चला ।
"शिल्पा तुम जवानी का सही उदाहरण हो । क्या इस जवानी को सुख देने का कर्तव्य नहीं बनता मेरा ?"
"हां बनता है ।"
"तो क्या मेरे घर में एक अधेड़ उमर के बुजुर्ग से प्रेम वासना का खेल अच्छा लगा ?"
"हा बहुत अच्छा लगा ।"
"शिल्पा मुझे तुमसे प्यार हो गया । ये हवस नहीं है मेरा प्यार है ।"
शिल्पा कुछ ना बोली। मदारी ने नितम्ब में अपना वीर्य गिरा दिया । थकान में मारे मदारी खटिया पे लेट गया । शिल्पा मदारी के ऊपर लेट गई । मदारी के सीने पे अपना सिर रखते हुए शिल्पा ने दोनो को रजाई में समा लिया । मदारी शिल्पा के नितम्ब पे हाथ रखता हुआ अपनी आंखे बंद कर लिया । शिल्पा भी मदारी के साथ प्रेमी को तरह सो गई ।
तूफानी रात शांत हो गई । रात के ३ बजे मदारी की आंख खुल गई । शिल्पा को अपने करीब पाकर वो थोड़ा चिंतित हो गया ।
मदारी मन में बोला "ये क्या कर दिया मैंने ? अपनी बेटी कि उमर की औरत के साथ ? नहीं नहीं । ये मेरी मालकिन है नहीं ये पाप है । मुझे ये नहीं करना चाहिए ।"
मदारी आहिस्ते से उठकर सोई हुई शिल्पा कअपार रजाई रखकर धीमे और दबे पैरो से कमरे के बाहर निकला और अगले कमरे में चला गया । अपने कमरे पे पड़े शीशे में खुद को देखते हुए कोसने लगा । घुस्से में खुद को दो थप्पड़ भी मार दिया । मदारी की आंखो में आंसू आ गए । शरम और लाज से खुद को अंधेरे से भरे कमरे में कैद कर लिया ।
सुबह के 6 बजे । पक्षियों की चेहेक से शिल्पा कि नींद उड़ी । शिल्पा को याद आया कल रात की घमासान सेक्स की । शिल्पा शर्मा गई । बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठकर खड़ी हुई । चलने में थोड़ी सी दिक्कत ही रही थी । रजाई को नंगे जिस्म से लपेटकर कमरे से बाहर निकली । बाजू के कमरे में वो आ गई जहा मदारी था । मदारी खटिया पे बैठा था । शिल्पा पीछे से आही और मदारी से लिपट गई । मदारी चौक गया । शिल्पा ने मदारी को खटिया पे लेटाया और उसपर लेट गई । मदारी के होठं को चूम लिया । मदारी एक ही झटके में अलग हुआ ।
"माफ़ करिए मेमसाब । हमसे गलती हो गई ।"
"कैसी गलती ?" शिल्पा ने हैरानी से पूछा ।
"आप हमारी मेमसाब है । कल रात जो हुआ उसमे मेरी गलती थी । बहुत बड़ा पाप हुए है मुझसे ।'
"मदारी मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।"
"मुझे आपके साथ सोना नहीं चाहिए था ।"
"मदारी तुम शरमाने लगे हो लड़की कि तरह ।" शिल्पा ने मदारी का हाथ पकड़ा और अपने नंगे बूब्स पे रखा । मदारी ने हाथ पीछे कर लिया ।
"कल रात को बोले थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो ।"
"कहा तो था लेकिन हम बहक गए थे । भूल गए थे कि हम तो पाप करने जा रहे है ।"
"मुझे तुम्हारे प्यार करने से कोई ऐतराज़ नहीं है । तुम मुझे जब चाहो प्यार कर सकते हो ।"
"हूं। आपके पैर पड़ते है । दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे । हम माफ़ी मांगते है ।" मदारी जोर जोर से रोने लगा । मदारी की बातो से शिल्पा को एक बड़ा झटका लगा । शिल्पा जैसे टूट सी गई । बहुत दिनों बाद किसी ने उसे जिस्म का सुख दिया था लेकिन अब वो भाग रहा है उससे । शिल्पा को बहुत दुख हुआ ।
"तुम नीच हो । एक रात की गर्मी उतर गई क्या ? एक रात के लिए मेरे जिस्म से तुमने खेला तुम बेकार और नीच इंसान ।" घुस्से से शिल्पा बाहर निकालकर साड़ी पहनी और अपने घर चली गई । मदारी अभी भी जोर जोर से रोने लगा। प्यार के जोश में गलती कर बैठा मदारी । घुस्से से तिलमिलाई शिल्पा अपने घर पहुंची । सरजू घर में ही था । बिना कुछ बोले शिल्पा अपने कमरे में चली गई ।