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अजीब दुनिया ।
#4
कोर्ट कचरी के एक कमरे में वकील अपने कुर्सी पे बैठा था । सामने दो लोग बेठे से । पति और पत्नी । पति सिद्धार्थ रॉय एक बहुत बड़ा और अमीर डॉक्टर तो उसके साथ बैठी थी उसकी पत्नी जो कुछ ही डर में अजनबी बन जाएगी । शिल्पा रंजन एक बैंक सब मैनेजर । दोनों की शादी को सिर्फ ६ साल ही हुए थे लेकिन मतभेद बहुत ज्यादा हो गया था दोनो में । काग़ज़ पे साइन करके तलाक़ की मंजूरी भर दी । अब दोनो एक दूसरे से आजाद हो गए।

सिद्धार्थ और शिल्पा बाहर आए ।

सिद्धार्थ :- अब हमारे रास्ते अलग हो गए है । अब ना तुम मुझे जानती हो ना मैं तुम्हे ।

शिल्पा :- मुझे अच्छा लग रहा है तुमसे अलग होकर । ना कोई लड़ाई झगड़ा और ना कोई तकलीफ ।

दोनों अपने अपने रास्ते चल दिए। जाते जाते सिद्धार्थ को एक औरत का फोन आया जिससे वह i love you and miss you जैसी बाते करने लगा । शिल्पा को सब सुनाई दे रहा था । उस इन सबके बारे में एक साल से पता था।

शिल्पा एक ३२ साल की खूबसूरत और दिलकश औरत है । बहुत ही अच्छा और जान ले लेनेवाला फिगर । किसी भी इंसान के दिल को भा जाए उतनी सुन्दर । बहुत ही गोरा बदन और ऊंचाई में भी अच्छी । एक बार जो देखे वो अपनी नजर ना हटा पाए । अफसोस सिद्धार्थ जैसे बेवकूफ इंसान को कहा से समझ आए


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कोर्ट से सीधा बैंक में शिल्पा पहुंची । बैंक में पहुंचते ही स्टाफ के लोग घूरने लागे । शिल्पा को यकीन था कि जरूर तलाक़ की वजह से लोग उसे अजीब तरह से घूर रहे है ।

लोगो पे ध्यान ना देते हुए वो अपने कामों पे लग गई। काफी देर तक काम करने के बाद भी जब आस पास देखा तो फिर से ये मेहसूस किया की सब अभी भी देखे जा रहे है । शिल्पा से रहा नहीं गया और तुरंत वो अपने बजुवाली स्टाफ को पूछी "तुम लोग मुझे बार बार ऐसे घूर क्यों रहे हो ?"

"तुम्हे नहीं पता कि क्या हुआ ?"

"क्या ?'

"तुम्हारे प्रोमोशन की चर्चा हो रही है ।"

शिल्पा को सच में बहुत अजीब लगा। एक तो वैसे भी तलाक़ का भार और दूसरी तरफ से प्रोमोशन का सुखद झटका । आखिर बात क्या है ? तभी शिल्पा के इंटरकॉम से किसी का फोन आया ।

"Hello कौन ?"

"शिल्पा this is me your boss."

"Oh i am so sorry sir. What happend sir ?"

"Come to my office right now."

अब बिना कुछ और सवाल पूछे शिल्पा ऑफिस में पहुंची । लेना देना बैंक जो कि एक नई बैंक कंपनी है । अभी इस बैंक को चालू हुए ५ साल ही हुए है लेकिन अपने कॉस्टमर की संख्या काफी अच्छी बना ली । वैसे लेना देना बैंक एक प्राइवेट बैंक है। इस बैंक के owner का नाम सुभाष सिन्हा है । ४५ साल का सुभाष सिन्हा वैसे तो अलग अलग बिजनेस भी चलता है लेकिन इस बैंक से उसने बहुत पैसे कमाया है । शिल्पा सुभाष के ऑफिस में आ पहुंची।

"May I come in sir ?" शिल्पा ने दरवाजा खटखटाया ।

"Please come in." सुभाष कंप्यूटर में कुछ काम कर रहा था।

"आप ने बुलाया सर ?"

"बैठो शिल्पा । तुमसे एक जरूरी बात करनी है ।"

शिल्पा बैठ गई । वो आगे जानना चाहती थी कि क्यों उसे बुलाया गया है ।

"तो शिल्पा जैसे तुम्हे पता है कि हमारे Banking service को ५ साल हुए है और इन सब वक़्त में हमने आठ लाख से ज्यादा बैंक अकाउंट लगवाए है जोकि सबसे successful achievement है । और मुंबई में तुमने इस ब्रांच को बहुत आगे पहुंचाया ।"

"Thank you so much sir ."

"हमने तुम्हारे प्रोमोशन के बारे में सोचा है ।"

शिल्पा खुश होते हुए बोल पड़ी "thank you sir."

"लेकिन ऐसे नहीं मिलेगा प्रोमोशन ।"

"मतलब मै कुछ समझी नहीं ।"

"प्रोमोशन मिलेगा लेकिन एक मुश्किल काम करना होगा ।"

"कैसा काम ?"

"हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ में एक गांव है जिसका नाम मंदू है । वो एक छोटा सा गांव है । वहा के लोग बैंक और insurance policy के बारे में जानते तो है लेकिन उनके पास कोई बैंक service नहीं है । एक बैंक काम के लिए उन्हें १०० किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है और उसमें भी काम हो जाने की कोई खास गारंटी नहीं । हमारा मकसद है कि हम गरीब से लेकर चोट शहर तक अपने बैंक को आगे बढ़ाएं । सरकार और मीडिया की नजर में अगर हम आ गए तो फिर सोचो कितने आगे चले जाएंगे हम ।"

शिल्पा गहरी सोच में पड़ गई।

"काम तो मुश्किल है ।"

"लेकिन नामुमकिन नहीं । हमारी टीम को पता है कि तुममें वो काबिलियत है इसीलिए तुमको चुना है । अगर आगे बढ़ना है तो ऐसा मुश्किल काम करना पड़ेगा ।"

"ये गांव का नाम भी कभी नहीं सुना और पता नहीं कैसे रह सकूंगी मैं ।"

"Don't worry. हमने उस गांव में एक घर रखा है । वहा पे कुछ करामचरी भी तैयार कर दिए । बाकी की details file में है । अगर तुम्हारी हां हो तो इसे देख सकती हो ।"

शिल्पा ने सोचा कि यही सही मौका है आगे बढ़ने का नहीं तो प्रोमोशन कब आगे जाके मिले कोई guarantee नहीं ।

"मैं इस काम के लिए तैयार हूं ।"

"So now you will be the manager of Mandu village branch . Wish you all the best."

"Thank you sir."



एक हफ्ते बाद मंदु गांव में शिल्पा पहुंची । जैसे तैसे पहुंची क्योंकि दूर दूर तक कोई अच्छी सड़क नहीं थी । शिल्पा अपनी गाड़ी से पहुंची। गांव में कोई खास विकास नहीं है । एक स्कूल है वो भी बहुत टूटी फूटी हुई । हर जगह हैंडपंप है लेकिन गांव में धूप बहुत ज्यादा । सब लोग गाड़ी को मजे से देख रहे है। नंगे नंगे बच्चे गाड़ी के पीछे दौड़ रहे है । गांव में एक बड़ी सी नदी है जो बहुत सारे पेड़ो के बीच है । गांव लोगो के पहुंच से दूर । ज्यादातर युवा लोग नौकरी के लिए मुंबई और दिल्ली जैसे शहर गए थे । यह बचे बुड्ढे और औरत ज्यादा थे लेकिन जवान आदमी कुछ खास ज्यादा नहीं थे । बड़े शहर जाके पैसा कमाते और घर भेजते जिससे लोगो का गुजरा चलता। कुछ लोग गरीब तो कुछ लोग middle class वाले थे लेकिन अमीर कोई नहीं था । जो लोगो ने ज्यादा पैसा कमाया वो अपने परिवार के साथ गांव को हमेशा छोड़ चले गए। कच्ची सड़क से संघर्ष करते हुए आखिर में शिल्पा बताए हुए पते पे पहुंची । वहा उसके रहने का जगह था।


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घर को बाहर से ही देखकर शिल्पा को अजीब लगा । बहुत ज्यादा पूराना घर लग रहा था और वो भी गांव के किनारे । समझ में नहीं आ रहा था कि कहा पे आके फस गई। गाड़ी की आवाज़ से एक बूढ़ा आदमी दौड़ता हुए बाहर आया । वो आदमी मोटा और बहुत काला था । उमर कुछ ६५ साल की । नाम सरजू है ।



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"नमस्ते मेमसाब मेरा नाम सरजू है और इस घर के नौकर के साथ बैंक का चपरासी भी ।"

"जी सामान को घर में रख दो ।"

सरजू सामान लेकर बोला "मेमसाब आपका रूम दिखा दूं ।"

शिल्पा रूम में जब पहुंची और सामान रखवाया । वैसे घर बहुत पूराना है। करीब ४० साल से भी ज्यादा पूराना और अजीब भी । खंडहर है पूरा । बाथरूम और kitchen ठीकठाक है । एक आंगन और गार्डन भी है। घर इतना पूराना की ऐसा लग रहा था कि अभी गिर जाएगा । सामान रखते हुए सरजू बोला "मेमसाब वैसे मैं भी इस घर में रहूंगा । घर के सारे कामों की जिम्मेदारी मेरी ही है । साहब ने आपके लिए एक फाइल भिजवाई ।"

"वैसे काम कल से शुरू होगा सर्जुजी आप तैयार है ?"

"हा मेमसाब ।"

शिल्पा काफी थक गई थी । फ्रेश होकर शिल्पा दोपहर को अपने रूम में थी । वहा बॉस के भेजे हुए फाइल को देखा । उस फ़ाइल में बैंक के कर्मचारियों की लिस्ट थी । बैंक में सिर्फ चार लोग ही काम करेंगे ।

एक तो सरजू जो चपरासी है, दूसरी वो और तीसरा कर्मचारी का नाम मंजू है जिसकी उम्र ६० साल की है और चोथा है मदारी जिसकी उम्र ६७ साल की । शिल्पा को बहुत ही ज्यादा अजीब लगा । बुड्ढे फौज को लीड करेगी यह जवान औरत । सोचने लगी कि क्या यह तीनों काम कर पाएंगे लेकिन वैसे भी कुछ खास काम नहीं होगा । चार गांव का बैंक ही है । ज्यादा लोग नहीं होंगे । लेकिन फिर भी काम करना है आखिर कैरियर में आगे भी बढ़ना है । बैंक का टाइम है सुबह 9 बजे से दोपहर के 2 बजे तक । यह बात शिल्पा को अच्छी लगी वरना मुंबई में सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक ऑफिस टाइम रहता था । वहां 8 घंटे तो इधर सिर्फ 5 घंटे । बैंक और घर के बीच ज्यादा दूरी नहीं है । एक तरफ से देखा जाए तो शिल्पा को काम सही लगा । ज्यादा हिसाब किताब भी नहीं और तो और कम ऑफिस टाइम ।

अगले दिन सुबह 6 बजे शिल्पा उठ गई । गांव में सुबह जल्दी हो जाती है। Exercise करके शिल्पा तैयार हुई । आज बैंक में पहला दिन है । सरजू जल्दी निकल गया क्योंकि दफ्तर की साफ सफाई भी करनी थी । शिल्पा समय पर बैंक पहुंची । शिल्पा को अंदर से पता ही था कि बैंक भी पूरानी खंडरवाली ही होगी और बात भी सही निकली । बैंक बहुत छोटा भी है।





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Sleeveless साड़ी में शिल्पा बैंक आ पहुंची । शिल्पा की सुंदरता का कोई जवाब नहीं।

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शिल्पा सरजू के पास आके बोली "इस गांव में हर चीज़ खंडहर ही क्यों ?'

"अरे मेमसाब ये हैं बहुत पूराना है और यह के लोग इतने आगे नहीं है । जो आगे चले गए वह परिवार के साथ वापिस आए नहीं वहा शहर में ही बस गए । क्या करे मेमसाब यह बिजली भी कम आती है ।"

"लेकिन कल तो पूरे दिन था ।"

"मेमसाब आप कहा रह रही है वहा आपके आने से पहले मालिक के हुकुम पर इनवर्टर रखवा दिया था ।"

"अच्छा । तो कहा है मदारी और मंजू ?"

सरजू ने पीछे की तरफ देखते हुए कहा "लो आ गए दोनो ।"

शिल्पा ने पीछे मुड़कर देखा तो दोनो दुबले बुड्ढे सफेद बालों में टूटी हुई चप्पलों के साथ मुंह सामने आ खड़े हुए ।"

"नमस्कार मेमसाब ।"

"नमस्कार । चलिए समय पे आ गए आप लोग। चलिए अंदर देखते है कितने लोगो ने खाता खोलने कि अर्जी डाली ।"

चारो लोग अंदर पहुंचे । शिल्पा के लिए एक छोटा सा केबिन है बाकी सामने मंजू और मदारी का टेबल है जिसमें वह लोग हिसाब किताब का काम करेंगे । मदारी फाइल लेकर पहुंचा और उसमे दिखाया कि ४० लोगो की आने से पहले ही अर्जी पास हो गई थी । शिल्पा ने नाम देखा । गांव में कोई कंप्यूटर ना होने से हिसाब सिर्फ फाइल में ही होगा । सिर्फ एक ही कंप्यूटर था जो शिल्पा के लिए है क्योंकि बाकी लोगो को चलना नहीं आता। हिसाब किताब का काम आखिरी काम शिल्पा की जिम्मेदारी पे है । सच में वक़्त के सामने ये गांव ४० साल पीछे है। सभी लोग काम पे लग गए । कुछ ही देर में एक गाड़ी आई जिसमें से कुछ लोग बड़ा सा बॉक्स लिए अंदर आए । बॉक्स में कुछ पैसे नगद थे । शिल्पा ने अलग कमरे में नगद पैसा तिजोरी में डलवाया । पैसा पहुंचने वाले आदमी ने कहा कि पैसों का हिसाब हर २ हफ्तों में करते रहेंगे । धीरे धीरे लोग आते गए बैंक के काम पे और शिल्पा कंप्यूटर से काम करती गई। पहले दिन कुछ खास काम नहीं था । लेकिन शिल्पा ने सोचा कि ऐसा तो नहीं चलेगा। मदारी और मंजू को कंप्यूटर का काम सीखना पड़ेगा नहीं तो काम जल्दी नहीं होगा।

दोपहर ही चुकी थी और अब सब घर जाने को तैयार हुए। मदारी को पान की बड़ी आदत है। वो पूरे दिन में कम से कम 25 पान खा लेता है। शिल्पा ने बड़े हैरानी से देखा कि ताजा पान का बंडल लिए घूमता है अपने झोले में । मंजू को कोई खास आदत नहीं है और सरजू बाहर चौकीदारी में बीड़ी फुकता रहता है । सभी लोग काम ख़तम करके बैंक के बाहर चले आए । सरजू ने ताला मर दिया बैंक के दरवाजे पे । शिल्पा निकलते वक़्त मदारी और मंजू से बोली कि कल से छुट्टी के बाद एक घंटे कंप्यूटर सिखले । दोनों असमंजस में पड़े लेकिन शिल्पा ने कड़क आदेश के साथ अपनी बात कही । अब क्या करे मेमसाब ने जो कहा वो मानना ही पड़ेगा ।

मदारी और मंजू रास्ते पे चल रहे थे एक दूसरे से बाते करते हुए ।

" अरे मंजू मेमसाब क्या सुन्दर लगती है ।"

"लगती तो है । लेकिन बड़ी खतरनाक काम करके गई पहले दिन ।"

"क्या ?"

"कंप्यूटर सिखाएगी हमको । अब हमको ऊ कंप्यूटर को देखकर ही डर लगता है पता नहीं ये अंग्रेजन लोग क्या समझते है खुद को दिमाग से काम नहीं करते और बस कंप्यूटर के सहारे ।"

"इसीलिए तो ये लोग आगे है और हम पीछे रह गए । वक़्त के साथ चलो वरना रह जाओगे । इस बहाने हम कंप्यूटर तो सीखेंगे ही साथ ही साथ लोगो के सामने क्या सीना चौड़ा होगा की देख हमको आता है ये मशीन चलना ।"

"बात तो सच में सही है ।" दोनों हस्ते हुए आगे चल दिए ।


घर पहुंचते ही खाना खाकर सरजू तो चला गया kitchen साफ करके सोने और शिल्पा रूम में। गाना सुन रही थी । नींद कब आ गई पता ही नहीं चला । शाम हो गई और हल्के से शिल्पा कि आंखे खुली तो सरजू बाहर रूम का दरवाजा खटखटा रहा था । शिल्पा ने दरवाजा खोला तो चाय लेकर सरजू सामने खड़ा था ।

"सुनो सरजू चाय बाहर गार्डन टेबल पे रख दो में आ रही हूं ।"

"जी मेमसाब।"

शिल्पा मुंह धोकर change करके बाहर गार्डन में आई। Speeveless t shirt और ट्रैक पेंट में बाहर chair पे बैठी । कप पड़ी चाय की चुस्की ली । बाजू में नीचे बैठा सरजू पूरानी ग्लास में चाय पी रहा था ।

"अच्छा सरजू इस गांव में तुम जन्म से रह रहे हो ?"

"हां मेमसाब ।"

"कोई रहता है तुम्हारे साथ ?"

"नहीं मेमसाब में अकेला रहता हूं ।"

"अच्छा और पहले क्या करते थे ।"

"पहले में स्कूल की सफाई करता था ।"

"ये घर गांव से बाहर ही है ।"

"एक तरह से अच्छा ही है । बैंक से नजदीक रहेगा ।"

"दूर दूर तक कोई नहीं डर लगता है ।"

"इसमें काहे डरना हम है ना ।"

शिल्पा हस्ते हुए चाय पीने लगी ।
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अजीब दुनिया । - by Basic - 20-11-2020, 04:16 PM
RE: अजीब दुनिया । - by Basic - 21-11-2020, 05:14 PM



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