19-11-2020, 04:51 PM
आख़िर २ भी बज गए, मगर जग्गी का कोई अता-पता हि नहीं था । सोचा, चलो कुछ देर और इंतज़ार कर लेते हैं, फिर उस को फ़ोन करेंगे । इतनी देर में सामने से ऐक व्यक्ति को अपनी ओर आते हुवे देखा, मगर वह पास आ कर रुका नहीं, सीधा ही निकल गया । बड़ी निराशा हुई । अभी मैं सोच ही रहा था, कि किसी ने पीछे से मेरी पीठ पर हाथ मारा । शाम ? बस फिर क्या था । बड़े ज़ोर से गले मिले, और फिर सवालों की बोछार लग गई । यार माफ़ करना ट्रैफ़िक में फँस गया था इस लिए देर हो गई ।
बातें करते-करते हम यूनाइटिड कोफ़ी हाउस पहुँचे गए । कमाल की टमेटो फ़िश बनाते हैं, मैंने जग्गी से कहा । चलो, आज फ़िश ही खाएँगे । मगर इसके साथ वाइन भी तो होनी चाहिए । मुझे याद है, तू सिर्फ़ वाइन ही पिया करता था, जब हम लंदन में थे । कहीं छोड़ तो नहीं दी ? अरे कहाँ, क्या बात करता है ‘ छुटती नहीं है ज़ालिम मुँह से लगी हुई ‘ । शाम, यार तेरी शकल कितनी बदल गई है । हाँ भाई, बड़े उतार-चढ़ाओ देखे हैं ज़िंदगी में । मगर तू बिलकुल नहीं बदला । वैसे ही घने बाल, हाँ कुछ सफ़ेदी ज़रूर आ गई है । फिर दूसरे दोस्तों के बारे में बातें होती रहीं । बातों बातों में पता ही नहीं चला कि कब पाँच बज गए । जाते हुए उस ने कहा, किसी वीकएंड पे आ जा, सब से मुलाक़ात हो जाएगी । हाँ, भाभी को ज़रूर साथ लाना, तोशी ने कहा था।यार यह शर्त बड़ी मुश्किल है । मैं अपने आने का वादा तो कर सकता हूँ , मगर सुशम को साथ लाने का नहीं । वह आजकल नाश्ते के बाद शापिंग के लिए नीता को साथ ले कर जाती है । बस सारा दिन उसी में गुज़ार देती है । पहले तो वह बहुत सारी चीज़ें ख़रीद लाती है, और फिर कुछ दिनों के बाद ८०% से अधिकतर लोटा आती है । यह बात सुन कर, वह बड़े ज़ोर से हँसा । कहने लगा अधिकतर औरतें ऐसा ही करती हैं । फिर जल्दी मिलने का वादा कर के, हम ने बाई बाई की और अपने घर कि तरफ़ चल दीए ।
कुछ दिनों के बाद, जब सुशम और नीता शॉपिंग जाने के लिए त्य्यार हुईं, तो मैंने सुशम से कहा कि आज मैं अपने मित्र से मिलने जा रहा हूँ । बहुत अच्छा हो गा यदि तुम भी साथ चलो । उस ने कुछ नाराज़गी से कहा, इतनी शॉपिंग करनी बाक़ी है, और वापिस जाने में दिन ही कितने रह गये हैं ? मर्दों का क्या है, बातें तो औरतों को ही सुननी पड़ती हैं । सब के लिए कुछ ना कुछ प्रेज़ेंट तो लेना ही पड़े गा । मैं चुप चाप सब कुछ सुनता रहा ।
बातें करते-करते हम यूनाइटिड कोफ़ी हाउस पहुँचे गए । कमाल की टमेटो फ़िश बनाते हैं, मैंने जग्गी से कहा । चलो, आज फ़िश ही खाएँगे । मगर इसके साथ वाइन भी तो होनी चाहिए । मुझे याद है, तू सिर्फ़ वाइन ही पिया करता था, जब हम लंदन में थे । कहीं छोड़ तो नहीं दी ? अरे कहाँ, क्या बात करता है ‘ छुटती नहीं है ज़ालिम मुँह से लगी हुई ‘ । शाम, यार तेरी शकल कितनी बदल गई है । हाँ भाई, बड़े उतार-चढ़ाओ देखे हैं ज़िंदगी में । मगर तू बिलकुल नहीं बदला । वैसे ही घने बाल, हाँ कुछ सफ़ेदी ज़रूर आ गई है । फिर दूसरे दोस्तों के बारे में बातें होती रहीं । बातों बातों में पता ही नहीं चला कि कब पाँच बज गए । जाते हुए उस ने कहा, किसी वीकएंड पे आ जा, सब से मुलाक़ात हो जाएगी । हाँ, भाभी को ज़रूर साथ लाना, तोशी ने कहा था।यार यह शर्त बड़ी मुश्किल है । मैं अपने आने का वादा तो कर सकता हूँ , मगर सुशम को साथ लाने का नहीं । वह आजकल नाश्ते के बाद शापिंग के लिए नीता को साथ ले कर जाती है । बस सारा दिन उसी में गुज़ार देती है । पहले तो वह बहुत सारी चीज़ें ख़रीद लाती है, और फिर कुछ दिनों के बाद ८०% से अधिकतर लोटा आती है । यह बात सुन कर, वह बड़े ज़ोर से हँसा । कहने लगा अधिकतर औरतें ऐसा ही करती हैं । फिर जल्दी मिलने का वादा कर के, हम ने बाई बाई की और अपने घर कि तरफ़ चल दीए ।
कुछ दिनों के बाद, जब सुशम और नीता शॉपिंग जाने के लिए त्य्यार हुईं, तो मैंने सुशम से कहा कि आज मैं अपने मित्र से मिलने जा रहा हूँ । बहुत अच्छा हो गा यदि तुम भी साथ चलो । उस ने कुछ नाराज़गी से कहा, इतनी शॉपिंग करनी बाक़ी है, और वापिस जाने में दिन ही कितने रह गये हैं ? मर्दों का क्या है, बातें तो औरतों को ही सुननी पड़ती हैं । सब के लिए कुछ ना कुछ प्रेज़ेंट तो लेना ही पड़े गा । मैं चुप चाप सब कुछ सुनता रहा ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
