19-11-2020, 04:50 PM
इधर-उधर की बातें करते हुए रात काफ़ी हो गई थी, हम शुभ रात्रि कह कर सोने के लिए अपने कमरे में आ गए । अगले कुछ दिन रिश्ते दारों से मिलने मिलाने में निकल गए ।ज्यों-ज्यों दिन बीत रहे थे, हमारे जाने का समय भी नज़दीक आ रहा था, और सुशम शोपिंग करने को बहुत उतावली हो रही थी । वह तो अपने साथ एक लम्बी लिस्ट ले कर आई थी, मगर अभी तक शोपिंग करने का अवसर हि नहीं मिला था ।ख़ैर, अगले दिन सुबह-सुबह उसने घोषणा कर दी कि वह और नीता, नाश्ते के बाद शोपिंग के लिए जाएँगी । यह सिलसिला कुछ दिन तक चलता रहा । हर शाम को वह सारी चीज़ें, जो दिन में ख़रीदती ,मुझे दिखाती, और फिर बड़े गर्व से कहती, कि किस तरह से उसने भाव-तोल कर के कितने पैसे बचाए हैं । भारत में शोपिंग भी एक आर्ट है जो कि हर एक के बस की बात नहीं ।
एक दिन मेरी नींद रात ३ बजे के क़रीब खुल गई और मैं दिल्ली के ट्रिप के बारे में सोचने लगा । मुझे याद आया मैं जग्गी से वादा कर चुका था कि दिल्ली आऊँगा तो ज़रूर मिलूँगा । बस, सुबह नाश्ते के बाद मैंने जग्गी को फ़ोन किया। किसी महिला ने फ़ोन उठाया । मैंने कहा कि जग्गी से बात करवा दें। थोड़ी देर में आवाज़ आई जगदीश here । जग्गी, यार क्या हाल है ? में शाम बोल रहा हूँ, दिल्ली से । सच में, शाम तू दिल्ली से बोल रहा है ? हाँ-हाँ यहीं से बोल रहा हूँ । वाह-वाह, मज़ा आ गया ।कब आया ? इतने दिन हो गए और आज फ़ोन कर रहा है । अच्छा, बता कब मिले गा ? इस से पहले कि मैं कुछ उत्तर देता, उसने कहा आज ही आ जा । मेरा दिल तो तुझे अभी मिलने को कर रहा है । मैंने कनाट प्लेस में किसी से मिलना है, परंतु मैं १.३० बजे तक ख़ाली हो जाऊँगा । जग्गी ने कहा तो किस वक़्त मिलेगा ? चलो तो अपनी पुरानी जगह रीगल पर हि २ बजे मिलते हैं ।
हालाँकि कनाट प्लेस में चार सिनमा हैं, मगर अकसर लोग रीगल पर ही मिलते हैं । मेरी मीटिंग १.३० से पहले ही ख़त्म हो गई । मैं इतना उत्सुक था जग्गी से मिलने को, कि रीगल पर २० मिनट पहले ही पहुँच गया । सुना था कि इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं, और आज इसका मतलब भी समझ में आ गया ।एसा लगता था कि घड़ी की सुइयाँ एक जगह पर आ कर थम गईं हैं क्यूँ कि २ बजने को ही नहीं आ रहे थे । पास खड़ी महिला से टाइम पूछा । मेरी घड़ी में भी वहि टाइम था जो उस ने बताया ।
एक दिन मेरी नींद रात ३ बजे के क़रीब खुल गई और मैं दिल्ली के ट्रिप के बारे में सोचने लगा । मुझे याद आया मैं जग्गी से वादा कर चुका था कि दिल्ली आऊँगा तो ज़रूर मिलूँगा । बस, सुबह नाश्ते के बाद मैंने जग्गी को फ़ोन किया। किसी महिला ने फ़ोन उठाया । मैंने कहा कि जग्गी से बात करवा दें। थोड़ी देर में आवाज़ आई जगदीश here । जग्गी, यार क्या हाल है ? में शाम बोल रहा हूँ, दिल्ली से । सच में, शाम तू दिल्ली से बोल रहा है ? हाँ-हाँ यहीं से बोल रहा हूँ । वाह-वाह, मज़ा आ गया ।कब आया ? इतने दिन हो गए और आज फ़ोन कर रहा है । अच्छा, बता कब मिले गा ? इस से पहले कि मैं कुछ उत्तर देता, उसने कहा आज ही आ जा । मेरा दिल तो तुझे अभी मिलने को कर रहा है । मैंने कनाट प्लेस में किसी से मिलना है, परंतु मैं १.३० बजे तक ख़ाली हो जाऊँगा । जग्गी ने कहा तो किस वक़्त मिलेगा ? चलो तो अपनी पुरानी जगह रीगल पर हि २ बजे मिलते हैं ।
हालाँकि कनाट प्लेस में चार सिनमा हैं, मगर अकसर लोग रीगल पर ही मिलते हैं । मेरी मीटिंग १.३० से पहले ही ख़त्म हो गई । मैं इतना उत्सुक था जग्गी से मिलने को, कि रीगल पर २० मिनट पहले ही पहुँच गया । सुना था कि इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं, और आज इसका मतलब भी समझ में आ गया ।एसा लगता था कि घड़ी की सुइयाँ एक जगह पर आ कर थम गईं हैं क्यूँ कि २ बजने को ही नहीं आ रहे थे । पास खड़ी महिला से टाइम पूछा । मेरी घड़ी में भी वहि टाइम था जो उस ने बताया ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
