19-11-2020, 04:50 PM
हाथ में हाथ हो साथ चलते रहें
प्रीत के दीप राहों में जलते रहें
मुस्कुराती रहे हर तरफ़ चाँदनी
दिल के अरमान गीतों में ढलते रहें।
मैं टकटकी बांधे बड़ी देर तक उस तस्वीर को देखता रहा । क्यों की रात बहुत गुज़र चुकी थी, मेरी आँखें नींद से बोझल हो रहीं थीं । मैंने ipad इस इरादे से बंद किया, कि कल उस फ़ोटो को फिर से देखूँगा, कुछ ऐसी आकर्षण थी उस तस्वीर में ।
अगले दिन सुबह, हर रोज़ कि तरह, तैयार हो कर नाश्ते के पश्चात, सैर केरने को चला गया । जब में वापिस लौटा, तो मेरी पत्नी सुशम ने पहले ही से मेज़ पर लंच लगा दिया था, चीज़ सलाद और सूप। कहते हैं, कि जैसा देश वैसा भेस । इंग्लैंड का मौसम तो आप जानते हि हैं कि कैसा होता है । इसी लिए यहाँ पर लोग दोपहर को हल्का खाना ही खाते हैं । खाना खाने के बाद थोड़ी देर आराम किया । फिर मुझे ख़्याल आया कि क्यों ना FB पर कल वाली फ़ोटो फिर से देखी जाए । बड़ी देर तक ढूँढने की कोशिश की, मगर सफलता ना मिली । अचानक, मेरी नज़र एक फ़ोटो पर आ कर रुक गई । यह तस्वीर ब्लैक और वाइट में थी।
प्रीत के दीप राहों में जलते रहें
मुस्कुराती रहे हर तरफ़ चाँदनी
दिल के अरमान गीतों में ढलते रहें।
मैं टकटकी बांधे बड़ी देर तक उस तस्वीर को देखता रहा । क्यों की रात बहुत गुज़र चुकी थी, मेरी आँखें नींद से बोझल हो रहीं थीं । मैंने ipad इस इरादे से बंद किया, कि कल उस फ़ोटो को फिर से देखूँगा, कुछ ऐसी आकर्षण थी उस तस्वीर में ।
अगले दिन सुबह, हर रोज़ कि तरह, तैयार हो कर नाश्ते के पश्चात, सैर केरने को चला गया । जब में वापिस लौटा, तो मेरी पत्नी सुशम ने पहले ही से मेज़ पर लंच लगा दिया था, चीज़ सलाद और सूप। कहते हैं, कि जैसा देश वैसा भेस । इंग्लैंड का मौसम तो आप जानते हि हैं कि कैसा होता है । इसी लिए यहाँ पर लोग दोपहर को हल्का खाना ही खाते हैं । खाना खाने के बाद थोड़ी देर आराम किया । फिर मुझे ख़्याल आया कि क्यों ना FB पर कल वाली फ़ोटो फिर से देखी जाए । बड़ी देर तक ढूँढने की कोशिश की, मगर सफलता ना मिली । अचानक, मेरी नज़र एक फ़ोटो पर आ कर रुक गई । यह तस्वीर ब्लैक और वाइट में थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
