19-11-2020, 04:50 PM
फ़ेस बुक ( F B ) भी क्या चीज़ है ! कितने लोगों से मिलाती है, बातें करवाती है, और बोरिंग लमहों को ख़ूबसूरत लमहों में ढाल देती है । मैं भी एक दिन ऐसे ही FB के पन्ने पलटते-पलटते लिखे हुए संदेश और तस्वीरों को देख रहा था । ऊँगली तेज़ी से चल रही थी । जब भी मेरी नज़र किसी विशेष फ़ोटो या संदेश पर पड़ती, तो मैं उसे विस्तार से देखता । FB के पन्नों को पलटते-पलटते मेरी नज़र एक फ़ोटो पर पड़ी । पहले तो फ़ोटो को मैंने आगे कर दिया परंतु, दूसरे ही पल उस फ़ोटो को वापिस ला कर ध्यान से देखा। पल भर के लिए मेरी नज़रें उस पर टिक गईं । वह तस्वीर एक शादी की सालगिरह की लगती थी । इस में वो दोनो हाथ में हाथ पकड़े एक दूसरे में खोए हुए थे।हालाँकि उनके चारों तरफ़ काफ़ी लोग खड़े थे, मगर ऐसा लगता था कि वो इस से बिलकुल बेख़बर थे ।
उस लड़की के चेहरे के भावों को देख कर मैं चकित रह गया । एक औरत अपना सब कुछ लुटा कर दिलो जान से मुहब्बत करती है । उसकी आँखें उसके भावों को बख़ूबी स्पष्ट कर रहीं थीं। कितना प्यार छलक रहा था, एक जुनून था उसकी आँखों में ।एक दम मेरे मुँह से वाह वाह सुभान अल्लाह निकल गया । वाह, इसे कहते हैं इश्क़ । उम्र उनकी लग भग ३७-३८ वर्ष हो गी । उनका यह अटूट प्रेम मेरे गीत में उतर गया, और मैंने चार पंक्तियाँ उस फ़ोटो के कॉमेंट बॉक्स में डाल दीं।
उस लड़की के चेहरे के भावों को देख कर मैं चकित रह गया । एक औरत अपना सब कुछ लुटा कर दिलो जान से मुहब्बत करती है । उसकी आँखें उसके भावों को बख़ूबी स्पष्ट कर रहीं थीं। कितना प्यार छलक रहा था, एक जुनून था उसकी आँखों में ।एक दम मेरे मुँह से वाह वाह सुभान अल्लाह निकल गया । वाह, इसे कहते हैं इश्क़ । उम्र उनकी लग भग ३७-३८ वर्ष हो गी । उनका यह अटूट प्रेम मेरे गीत में उतर गया, और मैंने चार पंक्तियाँ उस फ़ोटो के कॉमेंट बॉक्स में डाल दीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
