19-11-2020, 04:35 PM
बच्चे चुपचाप सुनते रहे…दीदी के बच्चे बहुत समझदार और आत्मनिर्भर थे…पर फिर भी… बच्चे ही थे। बच्चे नेहा को छोड़कर चले गए।तभी माँ कमरे में आ गई…नेहा …”सामान पैक हो गया ।” “हाँ… माँ ऑफिस से बार-बार फोन आ रहा”…”आप लोग कब निकल रहे”…”तुम्हारे पापा और भइया कल सुबह निकलेंगे।मैं… मैं अभी कुछ दिन यही रहूँगी…।बच्चे एकदम अकेले पड़ गए हैं।” “हम्म”… नेहा सर झुकाए माँ की बात सुनती रही।
“नेहा तुझसे एक बात कहनी थी”…”हाँ माँ बोलो…सुन रही हूँ।”माँ झुंझला गई…”यहाँ मेरे पास बैठो”…”क्या हुआ माँ.. ऐसी भी क्या बात है?” नेहा के दिमाग मे हजारों सवाल उठ रहे थे। माँ ने नेहा का हाथ अपने हाथों में ले लिया.. ।”नेहा! तुमसे कुछ भी नहीं छुपा…तुम्हारी दीदी के जाने के बाद हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है… तुम्हारी दीदी ने मरने से पहले मुझ से एक वायदा लिया था…वो चाहती थी कि उसके मरने के बाद तुम उसके बच्चों की जिम्मेदारी संभालों… तुम …तुम प्रवीण जी से शादी कर लो।”
नेहा छटपटा कर रह गई…”माँ तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो…जीजा जी के साथ मेरी”…”छि’… “माँ तुम भी न।”गुस्से और वितृष्णा से नेहा का चेहरा लाल हो गया। “नेहा समझने की कोशिश करो…आखिर तुम्हारी भी शादी करनी ही है… देखा-भाला परिवार है। बच्चों को माँ मिल जाएगी …वैसे भी एक लड़की को क्या चाहिए आलीशान घर,नौकर-चाकर ,रुपया-पैसा… तुम्हारे पापा की भी यही इच्छा है।”
“नेहा तुझसे एक बात कहनी थी”…”हाँ माँ बोलो…सुन रही हूँ।”माँ झुंझला गई…”यहाँ मेरे पास बैठो”…”क्या हुआ माँ.. ऐसी भी क्या बात है?” नेहा के दिमाग मे हजारों सवाल उठ रहे थे। माँ ने नेहा का हाथ अपने हाथों में ले लिया.. ।”नेहा! तुमसे कुछ भी नहीं छुपा…तुम्हारी दीदी के जाने के बाद हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है… तुम्हारी दीदी ने मरने से पहले मुझ से एक वायदा लिया था…वो चाहती थी कि उसके मरने के बाद तुम उसके बच्चों की जिम्मेदारी संभालों… तुम …तुम प्रवीण जी से शादी कर लो।”
नेहा छटपटा कर रह गई…”माँ तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो…जीजा जी के साथ मेरी”…”छि’… “माँ तुम भी न।”गुस्से और वितृष्णा से नेहा का चेहरा लाल हो गया। “नेहा समझने की कोशिश करो…आखिर तुम्हारी भी शादी करनी ही है… देखा-भाला परिवार है। बच्चों को माँ मिल जाएगी …वैसे भी एक लड़की को क्या चाहिए आलीशान घर,नौकर-चाकर ,रुपया-पैसा… तुम्हारे पापा की भी यही इच्छा है।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
