19-11-2020, 04:35 PM
नेहा आश्चर्य से माँ को देखती रह गई। नेहा दुनिया ऐसी ही है … “एक अच्छा जीवन जीने के लिए आलीशान मकान, नौकर-चाकर और रुपया-पैसा किसको नहीं चाहिए।” नेहा का मन खिन्न हो गया।दीदी के सपनों का महल यूँ आहिस्ता-आहिस्ता ढह रह था।
धीरे-धीरे सारे मेहमान चले गए… नेहा सामान पैक कर रही थी…तभी परी और गोलू ने आकर चौका दिया…”मासी आप जा रही हैं। दीदी के जाने के बाद दोनों बहुत अकेले पड़ गए थे।” “हाँ …बेटा !मेरी छुट्टियाँ खत्म हो गई है ऑफिस भी जाना है न।तुम उदास क्यों हो।हम रोज वीडियो कॉल से बात करेंगे। अपना होमवर्क रोज करना …परी कल से तुम अपनी कत्थक की क्लास जॉइन करोगी और गोलू तुम भी अपनी कराटे की क्लास जाना शुरू करोगे।”
धीरे-धीरे सारे मेहमान चले गए… नेहा सामान पैक कर रही थी…तभी परी और गोलू ने आकर चौका दिया…”मासी आप जा रही हैं। दीदी के जाने के बाद दोनों बहुत अकेले पड़ गए थे।” “हाँ …बेटा !मेरी छुट्टियाँ खत्म हो गई है ऑफिस भी जाना है न।तुम उदास क्यों हो।हम रोज वीडियो कॉल से बात करेंगे। अपना होमवर्क रोज करना …परी कल से तुम अपनी कत्थक की क्लास जॉइन करोगी और गोलू तुम भी अपनी कराटे की क्लास जाना शुरू करोगे।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
