18-11-2020, 02:34 PM
रिया जय से दो साल बड़ी थी. बचपन के दोस्त होने की वजह से दोनो
का एक दूसरे का घर आना जाना था. जबसे रिया जवान हुई थी राज के
मन मे उसके लिए कुछ था पर रिया थी कि उसे अपनी उमर से बड़े
लड़कों से ही फ़ुर्सत नही थी. पर आज वो कुछ अलग ही लग रही थी.
उसने एक चंचल मुस्कान से राज से हाथ मिलाया और उसके गालों पर एक
चुम्मा दे दिया जैसे की बरसों के पुराने दोस्त हो.
रिया आज बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसने एक काले रंग की टाइट
जीन्स पहन रखी थी
और साथ ही एक गुलाबी रंग का स्लीव्ले टॉप.
जीन्स इतनी टाइट थी कि उसके चूतड़ की गलाईयों दीख रही थी
और
टॉप के उपर से उसकी नुकीली चुचियों बाहर को उछल रही थी.
राज जय और रिया के साथ तालाब के किनारे चल पड़ा. बरसों से वहाँ
एक अलाव बनाया गया था जहाँ रात को लोग उसमे लकड़ियाँ जला पार्टी
मनाते थे. आज की रात भी कुछ ऐसा ही प्रोग्राम था तीनो का.
रोमा को घर के पीछे कुछ आवाज़े सुनाई दी. सूरज डूब चुका था
और अंधेरा होने लगा था. उसने कमरे की लाइट जलाई और खिड़की पर
लगे पर्दों को हटाकर बाहर देखा. जब उसकी आँखे अंधेरे मे
देखने को अभ्यस्त हो गयी तो उसे अपने भाई राज के साथ जय और एक
लड़की को तालाब की ओर जाते देखा. उसके दिल मे फिर से जलन जाग
उठी. मन तो किया कि दौड़ कर उनके साथ शामिल हो जाए. पहले तो
मा मना कर दिया करती थी पर अब वो 18 की हो चुकी थी पर अपनी
शरम की वजह से वो ऐसा ना कर सकी.
रोमा ने खिड़की को थोड़ा खोल दिया जिससे वो उनपर नज़र रख सके .
उसने देखा कि जब राज ने उस अलाव मे जो लकड़ियाँ पड़ी हुई थी उन्हे
जला दिया और फिर कुछ लकड़ियाँ ढूँदने को जाने लगा तो उस लड़की
ने उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ चल पड़ी. जिस तरह से उस लड़की ने
राज का हाथ पकड़ा था उसे देख रोमा को फिर जलन होने लगी.
राज ने जब अपने हाथों मे रिया के हाथ को महसूस किया तो वो चौंक
पड़ा. दोनो हाथ मे हाथ डाले इस तरह चल रहे थे जैसे की दो
प्रेमी चाँदनी रात मे सैर को निकले हो. रिया के बदले हुए व्यवहार
से राज को आश्चर्या हो रहा था.
"कितनी सुन्दर जगह है." रिया ने रुकते हुए सामने दिखाई देती
पहाड़ियों पर नज़र डालते हुए कहा. "कितनी शांति और एकांत है
यहाँ पर है...ना."
जब रिया ने अपना सिर उसके कंधे पर रखा तो उसके बदन से उठती
महक ने राज के लंड मे फिर सरसरी भर दी.
"पिछले कई सालों से तुम मुझे नज़र अंदाज़ कर रही हो, और आज
अचानक ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे कि मेरी प्रेमिका हो?" राज ने
पूछा.
"यही तो हम लड़कियों की ख़ासियत है, जिसे हम पसंद करते है उसे
नज़र अंदाज़ करते हैं," रिया ने जवाब दिया, "और सब लड़के हमे
परेशान करते है चिढ़ाते है कभी हमारे बाल खींच कर या
फिर दूसरे तरीके से, जो तुम कभी नही करते थे. यही वजह है
कि में तुम्हे हमेशा से पसंद करती आई हूँ."
रिया की बात सुनकर राज सोच मे पड़ गया. वो भी तो रोमा को नज़र
अंदाज़ करता है और रोमा भी उससे दूर दूर रहती है, तो क्या रिया
के अनुसार हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते है.
"किस सोच मे खो गये राज?" रिया उसके सिर को ठप थपाते हुए
बोली. "अगर तुम्हे नही दिखाई दे रहा है तो में साफ शब्दों मे
कह रही हूँ कि आज की रात में अपने आपको तुम्हारे हवाले कर रही
हूँ, आया समझ मे बुद्धू."
राज को विश्वास नही हो रहा था कि बरसों से जिसके पीछे वो पड़ा
था आज खुद वो अपने आपको उसे सोन्प रही थी ये उस्केलिये किसी
तोहफे से कम नही था.
"हां में समझ रहा हूँ." राज हंसते हुए कहा.
रिया राज के साथ चिपक कर खड़ी हो गयी, "ये अलाव की आग बुझने
मे कितना वक़्त लगेगा?"
"ज़्यादा से ज़्यादा 15-20 मिनिट." राज ने जवाब दिया.
"तो फिर एक काम करते हैं, हम पकड़ा पकड़ी खेलते है, अगर आग
बुझने से पहले तुमने मुझे पकड़ लिया तो में तुम्हारी.' रिया ने
चंचल मुस्कान के साथ कहा.
उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या खेल उसके साथ खेलना
चाहती है. रिया जैसे ही पहाड़ो की तरफ भागी राज भी उसके पीछे
भागा. किंतु थोड़ी ही देर मे उसने उसे पकड़ लिया.
जैसे ही उसने उसे पकड़ना चाहा वो लड़खड़ा कर नीचे गिर
पड़ी, "पागल हो गये हो क्या."
"में तुम्हारे बाल खींचना चाहता था जैसे तुमने कहा कि मेने
पहले कभी नही खींचे." राज ने हंसते हुए कहा.
"हां... लेकिन इसका ये मतलब नही कि हर लड़की को ये हरकत पसंद
आती है." रिया ने कहा.
रिया ने उसके पेंट के बकल को पकड़ा और उसे अपने उपर खींच लिया.
राज को रिया किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. रिया को वो बचपन
से जानता था और वो उसे हमेशा से अच्छी लगती आई थी आज वही जज़्बा
फिर उसके दिल मे उमड़ आया. वो गहरी नज़रों से रिया को देख रहा
था.
"राज..... मुझे प्यार करो ना....." रिया ने अपना चेहरा उसकी चौड़ी
छाती मे छुपाते हुए कहा.
राज ने अपनी नज़रें उसकी नज़रों से मिलाई उसने देखा कि उसकी आँखों
मे मादकता छाई हुई थी. उसने उसके स्लीवलेशस ब्लाउस के उपर से उसकी
चुचियों को पकड़ा जिन्हे वो बरसों से महसूस करना चाहता था. उसके
लंड मे लहू की धारा तेज हो गयी. वो धीरे धीरे उसकी मुलायम
लेकिन कठोर चुचियों को दबाने लगा.
उन्माद की मस्ती मे रिया ने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके हाथ राज की
पीठ पर जाकड़ गये. राज उसके निपल को अपनी उंगलियों से भींच
रहा था. उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट के बाहर आने को फड़ फडा
रहा था. राज ने उसके टॉप को नीचे से पकड़ा और उसके सिर के उपर
कर उतार दिया.
रिया ने अपना हाथ राज के जाँघो के बीच रखा और पेंट के उपर से
उसके लंड को सहलाने लगी. उसके लंड को मसल मसल वो उसे चिढ़ाने
लगी. फिर उसने उसकी पॅंट के बकल को खोला और बटन खोल उसकी
पेंट को ढीला कर दिया. फिर उसने उसकी अंडरवेर की एलास्टिक मे अपनी
उंगली फसा उसे थोड़ा नीचे कर दिया. राज का लंड उछल को बाहर आ
गया.
उसके खड़े लंड को देख रिया की आँखो मे चमक सी आ गयी, "काश
तुमने मेरे बाल बहोत साल पहले खींचे होते." वो उसके लंड की
चमड़ी को उपर नीचे करने लगी. "अगर तुमने ऐसा पहले किया होता
तो पता नही में कितनी बार इस प्यारे लंड का स्वाद चख चुकी होती."
"हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है." कहकर राज उसकी चुचियों को
मसल्ने लगा.
रिया ने राज को खिसका कर अपने बगल मे लिटा दिया और फिर उसके
उप्पर झुक कर उसके लंड को अपनी मुठी मे ले मसल्ने लगी. फिर
उसने झुक कर उसके सुपाडे को अपने मुँह मे ले लिया. पहले तो वो अपनी
जीब से सूपदे को चाट्ती रही फिर अपने मुँह को पूरा खोल लंड को
अंदर लेने लगी. लंड उसके गले तक आ गया था.
रिया को पता था कि समय कम है इसलिए वो जोरों से उसके लंड को
चूसने लगी. उसे लगा कि राज का लंड उसके मुँह मे और बड़ा होता जा
रहा है. वो अपनी ज़ुबान उसके लंड पर फिराते जोरों से चूसने लगी.
फिर उसने अपना मुँह हटाया और घास पर पीठ के बल लेट गयी.
रिया का मुँह लंड पर हटते देख राज उसकी पेंट के बटन को खोलने
लगा. उसकी जींस को उसने नीचे खिसका उत्तर दिया. फिर उसने उसकी
पॅंटी को भी उतार दिया. रिया ने अपनी जाँघो को थोड़ा फैला दिया.
"मुझे विश्वास नही हो रहा कि हम सही मे ये सब कर रहे है."
राज ने थोड़ी अस्चर्य भरी आवाज़ मे कहा.
"काश हमने पहले ये सब किया होता." रिया ने उसकी नज़रों से नज़रों
मिलाते हुए कहा, "मुझे चोदोगे ना अपने इस प्यारे लंड से......."
राज उसकी जाँघो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर
घिसने लगा. जैसे ही लंड ने चूत को छुआ वो सिसक पड़ी और आहें
भरने लगी.
राज ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा फैलाया और अपने लंड को
धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसा दिया.
"आअह्ह राज कितना अच्छा लग रहा है तुम्हारा लंड मुझे अपनी चूत मे
ओह......."
राज ने अपना सुपाड़ा ही उसकी चूत मे घुसाया था, वो सुपाडे को
इधर उधर घूमा रहा था.
"रुक्क्क क्यों गये राज्ज्ज..... डालो ना पूरा लंड मेरी चूत मे......
मुझे पूरा लंड चाहिए अपनी चूत. मे डालो ना राज मत तड़पाओ
मुझे.....प्लीज़......" रिया सिसक पड़ी.
राज ने उसके कंधे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का मार अपने लंड को उसकी
चूत मे पेल दिया. रिया ने भी अपनी टाँगे उसकी कमर से जकड़ ली और
नीचे से चूतड़ उठा उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया.
थोड़ी ही देर मे उनकी कमर लय मे हिल रही थी. राज उसे चोद रहा
था.
का एक दूसरे का घर आना जाना था. जबसे रिया जवान हुई थी राज के
मन मे उसके लिए कुछ था पर रिया थी कि उसे अपनी उमर से बड़े
लड़कों से ही फ़ुर्सत नही थी. पर आज वो कुछ अलग ही लग रही थी.
उसने एक चंचल मुस्कान से राज से हाथ मिलाया और उसके गालों पर एक
चुम्मा दे दिया जैसे की बरसों के पुराने दोस्त हो.
रिया आज बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसने एक काले रंग की टाइट
जीन्स पहन रखी थी
और साथ ही एक गुलाबी रंग का स्लीव्ले टॉप.
जीन्स इतनी टाइट थी कि उसके चूतड़ की गलाईयों दीख रही थी
और
टॉप के उपर से उसकी नुकीली चुचियों बाहर को उछल रही थी.
राज जय और रिया के साथ तालाब के किनारे चल पड़ा. बरसों से वहाँ
एक अलाव बनाया गया था जहाँ रात को लोग उसमे लकड़ियाँ जला पार्टी
मनाते थे. आज की रात भी कुछ ऐसा ही प्रोग्राम था तीनो का.
रोमा को घर के पीछे कुछ आवाज़े सुनाई दी. सूरज डूब चुका था
और अंधेरा होने लगा था. उसने कमरे की लाइट जलाई और खिड़की पर
लगे पर्दों को हटाकर बाहर देखा. जब उसकी आँखे अंधेरे मे
देखने को अभ्यस्त हो गयी तो उसे अपने भाई राज के साथ जय और एक
लड़की को तालाब की ओर जाते देखा. उसके दिल मे फिर से जलन जाग
उठी. मन तो किया कि दौड़ कर उनके साथ शामिल हो जाए. पहले तो
मा मना कर दिया करती थी पर अब वो 18 की हो चुकी थी पर अपनी
शरम की वजह से वो ऐसा ना कर सकी.
रोमा ने खिड़की को थोड़ा खोल दिया जिससे वो उनपर नज़र रख सके .
उसने देखा कि जब राज ने उस अलाव मे जो लकड़ियाँ पड़ी हुई थी उन्हे
जला दिया और फिर कुछ लकड़ियाँ ढूँदने को जाने लगा तो उस लड़की
ने उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ चल पड़ी. जिस तरह से उस लड़की ने
राज का हाथ पकड़ा था उसे देख रोमा को फिर जलन होने लगी.
राज ने जब अपने हाथों मे रिया के हाथ को महसूस किया तो वो चौंक
पड़ा. दोनो हाथ मे हाथ डाले इस तरह चल रहे थे जैसे की दो
प्रेमी चाँदनी रात मे सैर को निकले हो. रिया के बदले हुए व्यवहार
से राज को आश्चर्या हो रहा था.
"कितनी सुन्दर जगह है." रिया ने रुकते हुए सामने दिखाई देती
पहाड़ियों पर नज़र डालते हुए कहा. "कितनी शांति और एकांत है
यहाँ पर है...ना."
जब रिया ने अपना सिर उसके कंधे पर रखा तो उसके बदन से उठती
महक ने राज के लंड मे फिर सरसरी भर दी.
"पिछले कई सालों से तुम मुझे नज़र अंदाज़ कर रही हो, और आज
अचानक ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे कि मेरी प्रेमिका हो?" राज ने
पूछा.
"यही तो हम लड़कियों की ख़ासियत है, जिसे हम पसंद करते है उसे
नज़र अंदाज़ करते हैं," रिया ने जवाब दिया, "और सब लड़के हमे
परेशान करते है चिढ़ाते है कभी हमारे बाल खींच कर या
फिर दूसरे तरीके से, जो तुम कभी नही करते थे. यही वजह है
कि में तुम्हे हमेशा से पसंद करती आई हूँ."
रिया की बात सुनकर राज सोच मे पड़ गया. वो भी तो रोमा को नज़र
अंदाज़ करता है और रोमा भी उससे दूर दूर रहती है, तो क्या रिया
के अनुसार हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते है.
"किस सोच मे खो गये राज?" रिया उसके सिर को ठप थपाते हुए
बोली. "अगर तुम्हे नही दिखाई दे रहा है तो में साफ शब्दों मे
कह रही हूँ कि आज की रात में अपने आपको तुम्हारे हवाले कर रही
हूँ, आया समझ मे बुद्धू."
राज को विश्वास नही हो रहा था कि बरसों से जिसके पीछे वो पड़ा
था आज खुद वो अपने आपको उसे सोन्प रही थी ये उस्केलिये किसी
तोहफे से कम नही था.
"हां में समझ रहा हूँ." राज हंसते हुए कहा.
रिया राज के साथ चिपक कर खड़ी हो गयी, "ये अलाव की आग बुझने
मे कितना वक़्त लगेगा?"
"ज़्यादा से ज़्यादा 15-20 मिनिट." राज ने जवाब दिया.
"तो फिर एक काम करते हैं, हम पकड़ा पकड़ी खेलते है, अगर आग
बुझने से पहले तुमने मुझे पकड़ लिया तो में तुम्हारी.' रिया ने
चंचल मुस्कान के साथ कहा.
उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या खेल उसके साथ खेलना
चाहती है. रिया जैसे ही पहाड़ो की तरफ भागी राज भी उसके पीछे
भागा. किंतु थोड़ी ही देर मे उसने उसे पकड़ लिया.
जैसे ही उसने उसे पकड़ना चाहा वो लड़खड़ा कर नीचे गिर
पड़ी, "पागल हो गये हो क्या."
"में तुम्हारे बाल खींचना चाहता था जैसे तुमने कहा कि मेने
पहले कभी नही खींचे." राज ने हंसते हुए कहा.
"हां... लेकिन इसका ये मतलब नही कि हर लड़की को ये हरकत पसंद
आती है." रिया ने कहा.
रिया ने उसके पेंट के बकल को पकड़ा और उसे अपने उपर खींच लिया.
राज को रिया किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. रिया को वो बचपन
से जानता था और वो उसे हमेशा से अच्छी लगती आई थी आज वही जज़्बा
फिर उसके दिल मे उमड़ आया. वो गहरी नज़रों से रिया को देख रहा
था.
"राज..... मुझे प्यार करो ना....." रिया ने अपना चेहरा उसकी चौड़ी
छाती मे छुपाते हुए कहा.
राज ने अपनी नज़रें उसकी नज़रों से मिलाई उसने देखा कि उसकी आँखों
मे मादकता छाई हुई थी. उसने उसके स्लीवलेशस ब्लाउस के उपर से उसकी
चुचियों को पकड़ा जिन्हे वो बरसों से महसूस करना चाहता था. उसके
लंड मे लहू की धारा तेज हो गयी. वो धीरे धीरे उसकी मुलायम
लेकिन कठोर चुचियों को दबाने लगा.
उन्माद की मस्ती मे रिया ने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके हाथ राज की
पीठ पर जाकड़ गये. राज उसके निपल को अपनी उंगलियों से भींच
रहा था. उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट के बाहर आने को फड़ फडा
रहा था. राज ने उसके टॉप को नीचे से पकड़ा और उसके सिर के उपर
कर उतार दिया.
रिया ने अपना हाथ राज के जाँघो के बीच रखा और पेंट के उपर से
उसके लंड को सहलाने लगी. उसके लंड को मसल मसल वो उसे चिढ़ाने
लगी. फिर उसने उसकी पॅंट के बकल को खोला और बटन खोल उसकी
पेंट को ढीला कर दिया. फिर उसने उसकी अंडरवेर की एलास्टिक मे अपनी
उंगली फसा उसे थोड़ा नीचे कर दिया. राज का लंड उछल को बाहर आ
गया.
उसके खड़े लंड को देख रिया की आँखो मे चमक सी आ गयी, "काश
तुमने मेरे बाल बहोत साल पहले खींचे होते." वो उसके लंड की
चमड़ी को उपर नीचे करने लगी. "अगर तुमने ऐसा पहले किया होता
तो पता नही में कितनी बार इस प्यारे लंड का स्वाद चख चुकी होती."
"हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है." कहकर राज उसकी चुचियों को
मसल्ने लगा.
रिया ने राज को खिसका कर अपने बगल मे लिटा दिया और फिर उसके
उप्पर झुक कर उसके लंड को अपनी मुठी मे ले मसल्ने लगी. फिर
उसने झुक कर उसके सुपाडे को अपने मुँह मे ले लिया. पहले तो वो अपनी
जीब से सूपदे को चाट्ती रही फिर अपने मुँह को पूरा खोल लंड को
अंदर लेने लगी. लंड उसके गले तक आ गया था.
रिया को पता था कि समय कम है इसलिए वो जोरों से उसके लंड को
चूसने लगी. उसे लगा कि राज का लंड उसके मुँह मे और बड़ा होता जा
रहा है. वो अपनी ज़ुबान उसके लंड पर फिराते जोरों से चूसने लगी.
फिर उसने अपना मुँह हटाया और घास पर पीठ के बल लेट गयी.
रिया का मुँह लंड पर हटते देख राज उसकी पेंट के बटन को खोलने
लगा. उसकी जींस को उसने नीचे खिसका उत्तर दिया. फिर उसने उसकी
पॅंटी को भी उतार दिया. रिया ने अपनी जाँघो को थोड़ा फैला दिया.
"मुझे विश्वास नही हो रहा कि हम सही मे ये सब कर रहे है."
राज ने थोड़ी अस्चर्य भरी आवाज़ मे कहा.
"काश हमने पहले ये सब किया होता." रिया ने उसकी नज़रों से नज़रों
मिलाते हुए कहा, "मुझे चोदोगे ना अपने इस प्यारे लंड से......."
राज उसकी जाँघो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर
घिसने लगा. जैसे ही लंड ने चूत को छुआ वो सिसक पड़ी और आहें
भरने लगी.
राज ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा फैलाया और अपने लंड को
धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसा दिया.
"आअह्ह राज कितना अच्छा लग रहा है तुम्हारा लंड मुझे अपनी चूत मे
ओह......."
राज ने अपना सुपाड़ा ही उसकी चूत मे घुसाया था, वो सुपाडे को
इधर उधर घूमा रहा था.
"रुक्क्क क्यों गये राज्ज्ज..... डालो ना पूरा लंड मेरी चूत मे......
मुझे पूरा लंड चाहिए अपनी चूत. मे डालो ना राज मत तड़पाओ
मुझे.....प्लीज़......" रिया सिसक पड़ी.
राज ने उसके कंधे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का मार अपने लंड को उसकी
चूत मे पेल दिया. रिया ने भी अपनी टाँगे उसकी कमर से जकड़ ली और
नीचे से चूतड़ उठा उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया.
थोड़ी ही देर मे उनकी कमर लय मे हिल रही थी. राज उसे चोद रहा
था.