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Adultery दो भाई दो बहन
#3
रोमा के मन मे जलन सी जाग गयी ये सोच कर कि कितनी लड़कियाँ उसके


भाई पर जान छिड़कती है. उसकी आँखों मे हल्की सी नमी सी आ गयी.

दिल मे एक अजीब सा दर्द सा उठने लगा जो हमेशा किसी वक्त उसके

प्यार से भरा रहता था. अब वो उसपर ध्यान ही नही देता था.

रोमा ने देखा कि राज उनकी तरफ ही बढ़ रहा है. जलन के मारे उसने

गीता को देखा जो घास पर लेटी थी और अपने उठे हुए मम्मे दीखाने

की कोशिश कर रही थी. उसकी चुचियाँ किसी मधुमक्खी के छ्त्ते

की तरह उठी हुई थी जैसे की मक्खियो को न्योता दे रही हो. उसकी

समझ मे नही आ रहा था कि अगर राज ने उसकी तरफ ध्यान दिया और

कुछ कहा तो वो क्या करेगी.

किंतु राज ने ऐसा कुछ नही किया और उसकी बगल से गुज़रते हुए उसके

सिर को ठप थपाते हुए सिर्फ़ इतना कहा, "अपनी जिंदगी को जीना

सीखो और मेरी जिंदगी मे दखल देना बंद करो."

राज की बात उसके दिल को चुब सी गयी किंतु दिल मे एक अजीब सी खुशी

भी जाग उठी. आज कितने महीनो बाद उसके भाई ने उससे बात की थी.

खुशी की एक हल्की लकीर उसके होठों पर आ गयी.

"में तो अपनी जिंदगी जी रही हूं लेकिन एक तुम हो जो अपनी जिंदगी

से भाग रहे हो..." रोमा ने अपनी खुशी को छुपाते हुए कहा.

राज ने एक राहत की सांस ली. वो हमेशा से डरता था कि अगर वो रोमा

के ज़्यादा करीब रहेगा तो एक दिन उसकी बहन उसके मन की भावनाओ को

पहचान लेगी. जबसे उसकी कल्पनाओ मे वो आने लगी थी उसने उसके करीब

रहना छोड़ दिया था. एक यही तरीका था उसके पास से अपने ज़ज्बात और

अपनी भावनाओ को छिपाने का. वो अपनी बहन को बहुत प्यार करता था

और उससे दूर रह कर ही वो एक बड़े भाई का फ़र्ज़ निभा सकता था.

"तुम सच कहती हो रोमा, वो अपनी जिंदगी से भाग ही रहा है." राज

के व्यवहार को देख गीता को एक बार फिर दुख पहुँचा था. उसने

कितना प्रयत्न किया था कि वो राज को आकर्षित कर सके किंतु वो

सफल नही हो पा रही थी.

"रोमा में अब चलती हू सोमवार को सुबह कॉलेज मे मिलेंगे." गीता

इतना कहकर वहाँ से चली गयी.

रोमा ने पलट कर अपने भाई की ओर देखा. राज उसकी नज़रों से ओझल

हो चुका था लेकिन वो अब भी उसके ख़यालों मे बसा हुआ था. उसे लगा

कि वो घूम कर उसके पास आ गया है और उसकी बगल मे घास पर

बैठ गया हो. वो उससे उसके दोस्त, उसकी कॉलेज लाइफ के बारे मे पूछ

रहा है.

उसकी कल्पना मे आया कि अचानक उसका बाँया हाथ उसके दाएँ हाथ से

टकरा गया और उसके बदन मे जैसे बिजली का करेंट दौड़ गया हो.

उसके मन मे आया कि वो उसे सब कुछ बता दे कि किस तरह उसकी कमी

उसके जीवन को खोखला कर रही है, उसे अपना वही पुराना भाई

चाहिए जो पहले था.

* * * * * * * * *

"रोमा ज़रा ये कचरा तो बाहर फैंक देना." उसकी मम्मी ने कहा.

"पर मम्मी ये तो राज का काम है ना." रोमा ने कहा.

"राज घर पर नही है, और तुम घर पर हो इसलिए मुझसे ज़्यादा

बहस मत करो और जाकर कचरा फैंक कर आओ." उसकी मम्मी ने थोड़ा

गुस्सा दिखाते हुए कहा.

बेमन से रोमा ने कचरे की थैली बस्टबिन से बाहर निकाली और बगल

मे रख दी. फिर एक फ्रेश नई थैली डस्ट बिन मे लगा दी तभी उसका

ध्यान कचरे की थैली से बाहर झाँकती एक कीताब पर पड़ी.

उत्स्सूकता वश उसने वो कीताब उठा ली और बगल की अलमारी मे छिपा

दी.

रोमा कचरे की थैली घर से बाहर फैंक कर वापस आई और वो

किताब अलमारी से निकाल अपने कमरे मे आ गयी. कमरे का दरवाज़ा अंदर

से बंद कर वो किताब खोल देखने लगी. उसने देखा कि किताब के

पन्ने कोरे थे और उनपर कुछ भी नही लिखा था.

उसका दिल मायूसी मे डूब गया. उसे लगा था कि वो राज की कहानी का

राज आज जान जाएगी तभी उसने देखा कि पन्नो पर लिखाई के कुछ

अक्षर दिख रहे है.

वो दौड़ कर अपने कॉलेज बैग से पेन्सिल निकाल कर ले आई और उन

पन्नो पर घिसने लगी. थोड़ी ही देर मे लिखाई के अक्षर उभर कर

साफ हो गये.

किताब पर लिखे शब्दों को पढ़ वो चौंक गयी. क्या राज यही सब

अपनी कहानी मे लिखता रहता है.

...."मेने उससे कह दिया कि मैं उससे प्यार करता हूँ. वो मुस्कुरा

कर मेरी तरफ देखती है. मैं हल्के से उसकी चुचि को छूता हूँ

और वो सिसक पड़ती है. में और ज़ोर से दबाता हूँ. उसे अच्छा

लगता है.

......अब में उसकी दोनो चुचियों को दबाता हूँ. अब वो गरमाने

लगती है. में जानता हूँ वो मुझे पाना चाहती है........"

"कौन है ये लड़की...?" रोमा मन ही मन बदबूदा उठती है. कोई

कल्पनायक लड़की है या हक़ीकत मे कोई है...."

रोमा किताब को अपनी छाती से लगाए पलंग पर लेट जाती है. वो

सोचने लगती है कि वो लड़की कौन हो सकती है. अचानक उसे लगता

है कि वो लड़की खुद ही है. अपनी ही कल्पना मे खोए वो अपने अक्स

को उन कोरे पन्नो मे ढूँदने की कोशिश करती है.

"ओह्ह्ह्ह राज में तुमसे कितना प्यार करती हूँ." वो कह उठती है, उसे

लगता है कि राज उसकी बगल मे ही लेटा हुआ है.

अपना प्यार खुद पर जाहिर कर उसे लगा कि उसके दिल से बोझ उत्तर

गया. जिन भावनाओ को वो छुपाते आई थी आज वो रंग दिखाने लगी

थी. उसके हाथ खुद बा खुद उसकी चुचियों पर जा पहुँचे और

वो उन्हे मसल्ने लगती है. उत्तेजना और प्यार की मादकता मे उसके

निपल तन कर खड़े जो जाते है. कामुकता की आग मे उसका बदन

ऐंठने लगता है.

दरवाज़े पर थपथपाहट सुन उसका ध्यान भंग होता है. फिर जैसे

वो दरवाज़े को खुलता देखती है झट से अपना हाथ अपनी चुचियों से

खींच लेती है.

राज ने अर्ध खुले दरवाज़े से अंदर झाँका. उसने देखा कि रोमा का लाल

रंग का टॉप थोड़ा उपर को खिसका हुआ था और उसकी चुचियों की

गोलियाँ साफ दिखाई दे रही थी साथ ही उसके खड़े निपल भी उसकी

नज़र से बच नही सके. इस नज़ारे को देख उसका लंड उसकी शॉर्ट मे

फिर एक बार तन कर खड़ा हो गया.

रोमा ने उसकी नज़रों का पीछा किया तो उसने देखा कि राज उसकी

चुचियों को ही घूर रहा था. उसने झट से अपने टॉप को नीचे किया

पर ऐसा करने से उसके निपल और तने हुए देखाई देने लगे. शर्म

और हया के मारे उसका चेहरा लाल हो गया.

"तुम मेरी जगह पर कचरा फैंक कर आई उसके लिए तुम्हे थॅंक्स

कहने आया था." राज ने कहा.

"कोई बात नही." वो चाहती थी कि राज जल्दी से जल्दी यहाँ से चला

जाए.

राज कुछ और कहना चाहता था लेकिन जब उसने देखा कि रोमा शर्मा

रही है तो उसके मन को पढ़ते हुए वो चुपचाप वहाँ से चला गया.

रोमा अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक अपने आपको कोसने

लगी, "बेवकूफ़ लड़की आज कितने महीनो बाद उसने तुमसे इस तरह

प्यार से बात की और तुम हो कि उसे भगा दिया. तुम्हे बिस्तर पर उठ

कर बैठ जाना था और उसे कमरे मे आने के लिए कहती. बेवकूफ़

बेवकूफ़."

जैसे ही वो बिस्तर पर से उठने लगी उसकी नज़र राज की किताब और

पेन्सिल पर पड़ी, "हे भगवान काश उसने ये सब ना देखा हो."

रोमा सोच मे पड़ गयी कि हे भगवान उसने ये क्या किया. अगर राज ने

वो किताब देख ली होगी तो एक बार फिर उसने राज को खो दिया है. वो

अपनी रुलाई को रोक ना पाई, उसकी आँखों से तार तार आँसू बहने लगे.

* * * * *

राज का ध्यान अपनी बहन पर से हटाए नही हट रहा था. जब वो

बाहर से आया तो मम्मी ने उससे कहा था कि वो जाकर रोमा का

धन्यवाद करे क्यों कि उसका काम रोमा ने किया था.

मम्मी की अग्या मान वो उसके कमरे मे गया था और उसने उसे थैंक्स

कहा था. जब उसने रोमा को बिस्तर पर लेटे देखा तो उसे वो किसी

अप्सरा से कम नही लगी थी. जिस तरह से वो लेटी थी और उसके टॉप मे

उपर को उठी हुई उसकी चुचियाँ और उसके खड़े निपल दिख रहे

थे वो ठीक किसी काम देवी की तरह लग रही थी.

उसके दिल मे तो आया कि उन कुछ लम्हो मे वो अपने दिल की बात रोमा को

बता दे लेकिन दिल की बात ज़ुबान तक आ नही पाई. उसकी समझ मे

नही आया कि वो अपने ज़ज्बात किस तरह अपनी सग़ी बहन को बताए. वो

अपनी बातों को शब्दों मे ढाल नही पाया. उसे पता था कि थोड़े

दिनो मे रोमा कॉलेज चली जाएग्गी और शायद उसे फिर मौका ना मिले

उसे बताने का.

राज अपने कमरे मे आ गया, वो चाहता तो सीधे रोमा के कमरे मे

जाता और उसे सब कुछ बता देता पर उसमे शायद इतनी हिम्मत नही

थी कि वो उसे बता पाए.

उसे उमीद थी कि रात के खाने पर रोमा से उसकी मुलाकात होगी. पर

रोमा थी कि उसका कहीं पता नही था. राज ने खाना ख़त्म ही किया

था कि उसका सबसे प्यारा दोस्त जय अपनी बहन रिया के साथ आ

पहुँचा. रिया बगल के शहर के कॉलेज मे पढ़ती थी. जय राज की

ही उमर का था और दोनो ने ग्रेजुएशन साथ साथ पूरा किया था.
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Messages In This Thread
दो भाई दो बहन - by Payal786 - 18-11-2020, 02:28 PM
RE: दो भाई दो बहन - by Payal786 - 18-11-2020, 02:33 PM
RE: दो भाई दो बहन - by bhavna - 30-11-2020, 11:50 PM



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