18-11-2020, 01:57 PM
(18-07-2019, 03:00 PM)neerathemall Wrote: इतना कह कर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए।
क्या थी उसकी छोटी-छोटी चूची, बिल्कुल नींबू जैसी।
ऐसा लगा कि उसको पकड़ कर उसकी नीबू जैसी चूची को चूस लूँ… और मैं उसको पकड़ कर उसकी चूची को दबाने वाला ही था कि वो झटके से अलग हो गई और बोली- पहले अपने कपड़े उतारो, तुमने भी वादा किया है और तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा।
मैंने भी वादे के अनुसार अपने पूरे कपड़े उतार दिये और उसके सामने नंगा हो गया। उसके बाद नीलम मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छूकर बोली- तुम इसको क्या कहते हो?
‘लण्ड…’ मैंने तुरंत ही बोला।
‘अच्छा तो यह तुम्हारा लण्ड है, और यह मेरा लण्ड है…’ उसने बड़ी मासूमियत से कहा।
‘अरे नहीं, इसको बुर कहते हैं।’ मैंने कहा।
‘और इसको क्या कहते हैं?’ मेरी गाण्ड पर थपकी देते हुई बोली।
‘गाण्ड…’
(18-07-2019, 03:03 PM)neerathemall Wrote: उत्तेजना ही तो थी यह कि मेरी जीभ लपलपा कर उसके बुर के मुहाने पर चली गई।कसैला सा स्वाद था…
मैंने उसकी एक टांग उठाकर पास पड़ी कुर्सी पर रख दिया और उसके बुर को चाटने लगा।
नंगी नीलम भी काबू से बाहर हो रही थी, मेरे सर को मजबूती से पकड़ कर अपने बुर को मेरे मुँह से रगड़ रही थी, आह… सी… सी… आह की आवाज उसके मुँह से आ रही थी और अचानक मेरे मुँह में कुछ शायद उसके रज की बूँद आ गिरी।
मैं मुँह हटाना चाह रहा था, पर वो मेरा सर इस प्रकार पकड़े थी कि मैं चाह करके भी अपना मुँह वहाँ से नहीं हटा पाया पर मेरी ये कोशिश भी बेकार गई और उसने अपने रज की एक-एक बूँद मेरे मुँह में भर दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.