18-11-2020, 01:15 PM
मैने कहा नही ज़रा भी नही दोपहर की तेज धूप मे करीब 1 बजे बारात निकली प्लान के अनुसार मैं कुछ दूर जाने के बाद आयशा को खोजने लगा पर वो नही मिली मैं अब किसी से पूछ भी नही सकता था किसी को शक हो गया तो मुसीबत हो जायेगी तब मैने बच्चो से स्टाइल से पूछा की मेरी बहन आयशा नही दिख रही उसको नचाओ बहुत अच्छा डांस करती है बच्चे बोले उनके सर मे दर्द हो रहा है वो नही आई मैं खुश हो गया की वो वही है मैं लोगो से नज़रे चुराता हुआ घर पहुँचा और घर मे उस समय कोई नही था मैंने पहले कन्फर्म किया खाली एक दो काम वाली ही थी वो सफाई कर रही थी में झट से उपर पहुँचा देखा जिस कमरे मे आयशा थी वहा बाहर से ताला लगा था मैं इधर उधर देखने लगा पर कुछ नही दिखा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.