17-11-2020, 02:28 PM
बिंदु बहुत डरती-सहमती मेरे पास आयी. जैसे मेरी देह उससे छू जाय तो मैं सहन नहीं कर पाऊंगी. विश्व-संसार में जन्म लेने के निमित्ति मानो उसकी कोई शर्त न हो. इसीलिए वह हमेशा आंख बचाकर दूर-दूर रहती थी. उसके पिता के घर में चचेरे भाई उसके लिए ऐसा एक भी कोना नहीं छोड़ना चाहते थे, जिसमें वह अनावश्यक जिन्स की तरह पड़ी रह सके. अनावश्यक कूड़े-कचरे को घर के आस-पास अनायास ही स्थान मिल जाता है, क्योंकि मनुष्य उसे अनदेखा कर जाता है, किंतु अनावश्यक लड़की एक तो अनावश्यक होती है और उसे भूल पाना भी कठिन होता है. इसी कारण उसे घूरे पर भी स्थान नहीं मिलता. फिर भी यह कहने की रंचमात्र भी गुंजाइश नहीं है कि उसके चचेरे भाई ही संसार में परमावश्यक पदार्थ हैं. किंतु वे लोग हैं बड़े मजे में.
इसीलिए, जब मैं बिंदु को अपने कमरे में लायी तो उसकी छाती धक-धक करने लगी. उसे भयभीत देख कर मुझे बड़ा दुख हुआ. मेरे कमरे में उसके लिए थोड़ी लिए थोड़ी-सी जगह है, यह बात मैंने उसे बड़े लाड़-प्यार से समझायी.
इसीलिए, जब मैं बिंदु को अपने कमरे में लायी तो उसकी छाती धक-धक करने लगी. उसे भयभीत देख कर मुझे बड़ा दुख हुआ. मेरे कमरे में उसके लिए थोड़ी लिए थोड़ी-सी जगह है, यह बात मैंने उसे बड़े लाड़-प्यार से समझायी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.