17-11-2020, 02:27 PM
बिंदु को मैं अपने कमरे में खींच लायी. दीदी कहने लगीं, ‘मझली बहू गरीब घर की बेटी का माथा खराब करने लगी है.’ वे सबके पास जाकर हरदम इस ढंग से मेरी शिकायत करती रहतीं, जैसे मैंने कोई विषम कहर ढा दिया. किंतु, मैं अच्छी तरह जानती हूं कि अपने बचाव से वे मन ही मन संतुष्ट थीं. अब सारा दोष मेरे मत्थे आ पड़ा. अपनी बहन के प्रति वे स्वयं जो स्नेह प्रकट नहीं कर सकती थीं, मेरे द्वारा वह स्नेह चरितार्थ होने पर उनका मन हलका होने लगा. मेरी बड़ी जेठानी बिंदु की आयु से दो-एक बरस बाद देने की चेष्टा किया करती थीं. किंतु, उसकी उम्र चौदह साल से कम नहीं थी, यदि एकांत में उनसे कहा जाता तो यह कोई असंगत बात नहीं होती. तुम तो जानते ही हो, वह देखने में इतनी भद्दी है कि फर्श पर गिरने से उसका सिर फूट जाय तो लोगों को फर्श की ही चिंता होगी. यही कारण है कि माता-पिता के अभाव में कोई ऐसा न था, जिसे उसके ब्याह की फिक्र हो और ऐसे लोग भी कितने हैं, जिनके सीने में यह दम हो कि उससे ब्याह रचायें.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.