17-03-2019, 12:23 PM
“साली, तू नहीं जानती….तेरे बुर के चक्कर में मैं रन्डियों के पास जाने लगा और ऐसी ऐसी रंडी की तलाश करता था जो तुम्हारी जैसी लगती हो… लेकिन अब तक जितनी भी बुर चोदी सब की सब ढीली ढाली थी…लेकिन आज मस्त, कसी हुई बुर चोदने को मिली है…ले रंडी तू भी मजा ले… !”
और उसके बाद बिना कोई बात किये मैं माँ को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही। कुछ देर के बाद माँ ने सिसकारी मारनी शुरु की और मुझे उसकी सिसकारी सुनकर और भी मजा आने लगा। मैने धक्के की स्पीड और दम बढ़ा दिया और खूब दम लगा कर चोदने लगा..
माँ जोर जोर से सिसकारी मारने लगी।
“रंडी, कुतिया जैसे क्यों चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो….?”
“तो सुनने दो….लोगों को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है….मार दे , फाड़ दे इस बुर को….मादरचोद , माँ की बुर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यों नहीं पटक कर चोद डाला… अगर तू हर पिछली होली में यहाँ रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मैं ऐसे ही बुर चिरवा कर तेरा लौड़ा अन्दर ले लेती….चोद बेटा ..चोद ले….लेकिन देख तेरा बाप और दादाजी कभी भी आ सकते हैं.. ! जल्दी से बुर में पानी भर दे !”
“ले मां, तू भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डीबाज ने तुझे चोदा था… ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौड़ा अपनी बुर में !” मैं अब चुची को मसल मसल कर, कभी माँ की मस्त जांघों को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था।
“आह्ह्ह्ह्ह…बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह..बेटा…अह्ह्ह्ह्ह….मार राजा….चोद…चोद…. !”
और माँ ने दोनों पाँव उपर उठाए और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और माँ पस्त हो गई और हांफने लगी।
“बस बेटा, हो गया….निकाल ले….तूने खुश कर दिया….!”
“माँ बोलती रही और मैं कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मैं भी झर गया। मैने दोनों हाथों से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक माँ के गालों और ओंठो को चूमता रहा। माँ भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरे चुम्बन का पूरा जबाब दिया। फिर उसने मुझे अपने बदन से उतारा और कहा,”बेटा, कपड़े पहन ले…सब आने बाले होंगे !”
“फिर कब चोदने दोगी?” मैने चूत को मसलते हुये पूछा।
“अगले साल, अगर होली पर घर में मेरे साथ रहोगे !” माँ ने हंस कर जवाब दिया.
मैने चूत को जोर से मसलते हुये कहा,”चुप रंडी, नखरे मत कर, मैं तो रोज तुझे चोदूँगा !”
“ये रंडी चालू माल नहीं है…। तू कालेज जा कर उन चालू रंडियों को चोदना…” माँ कहते कहते नंगी ही किचन में चली गई।
मैने पीछे से पकड़ कर चूतड़ों को मसला और कहा,”मां, तू बहुत मस्त माल है…तुझे लोग बहुत रुपया देंगे, चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा।” मैने माँ की गांड में अंगुली पेली और वो चिहुंक गई ..
मैने कहा,”रंडी बाद में बनना, चल साली अभी तो कपड़े पहन ले…”
“कमरे से ला दे …जो तेरा मन करे !” वो बोली और पुआ तलने लगी।
मैंने तुरंत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर माँ को पहनाया ।
“साड़ी नहीं पहनाओगे? ” माँ ने मेरे गालों को चूमते हुये कहा।
“नहीं रानी, आज से घर में तुम ऐसी ही रहोगी, बिना साड़ी के…”
“तेरे दादाजी के सामने भी …!” उसने पूछा।
” ठीक है सिर्फ आज भर.. कल से फिर साड़ी भी पहनूंगी।
माँ खाना बनाती रही और मैं उसके साथ मस्ती करता रहा।
// सुनील पण्डित //
और उसके बाद बिना कोई बात किये मैं माँ को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही। कुछ देर के बाद माँ ने सिसकारी मारनी शुरु की और मुझे उसकी सिसकारी सुनकर और भी मजा आने लगा। मैने धक्के की स्पीड और दम बढ़ा दिया और खूब दम लगा कर चोदने लगा..
माँ जोर जोर से सिसकारी मारने लगी।
“रंडी, कुतिया जैसे क्यों चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो….?”
“तो सुनने दो….लोगों को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है….मार दे , फाड़ दे इस बुर को….मादरचोद , माँ की बुर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यों नहीं पटक कर चोद डाला… अगर तू हर पिछली होली में यहाँ रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मैं ऐसे ही बुर चिरवा कर तेरा लौड़ा अन्दर ले लेती….चोद बेटा ..चोद ले….लेकिन देख तेरा बाप और दादाजी कभी भी आ सकते हैं.. ! जल्दी से बुर में पानी भर दे !”
“ले मां, तू भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डीबाज ने तुझे चोदा था… ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौड़ा अपनी बुर में !” मैं अब चुची को मसल मसल कर, कभी माँ की मस्त जांघों को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था।
“आह्ह्ह्ह्ह…बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह..बेटा…अह्ह्ह्ह्ह….मार राजा….चोद…चोद…. !”
और माँ ने दोनों पाँव उपर उठाए और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और माँ पस्त हो गई और हांफने लगी।
“बस बेटा, हो गया….निकाल ले….तूने खुश कर दिया….!”
“माँ बोलती रही और मैं कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मैं भी झर गया। मैने दोनों हाथों से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक माँ के गालों और ओंठो को चूमता रहा। माँ भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरे चुम्बन का पूरा जबाब दिया। फिर उसने मुझे अपने बदन से उतारा और कहा,”बेटा, कपड़े पहन ले…सब आने बाले होंगे !”
“फिर कब चोदने दोगी?” मैने चूत को मसलते हुये पूछा।
“अगले साल, अगर होली पर घर में मेरे साथ रहोगे !” माँ ने हंस कर जवाब दिया.
मैने चूत को जोर से मसलते हुये कहा,”चुप रंडी, नखरे मत कर, मैं तो रोज तुझे चोदूँगा !”
“ये रंडी चालू माल नहीं है…। तू कालेज जा कर उन चालू रंडियों को चोदना…” माँ कहते कहते नंगी ही किचन में चली गई।
मैने पीछे से पकड़ कर चूतड़ों को मसला और कहा,”मां, तू बहुत मस्त माल है…तुझे लोग बहुत रुपया देंगे, चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा।” मैने माँ की गांड में अंगुली पेली और वो चिहुंक गई ..
मैने कहा,”रंडी बाद में बनना, चल साली अभी तो कपड़े पहन ले…”
“कमरे से ला दे …जो तेरा मन करे !” वो बोली और पुआ तलने लगी।
मैंने तुरंत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर माँ को पहनाया ।
“साड़ी नहीं पहनाओगे? ” माँ ने मेरे गालों को चूमते हुये कहा।
“नहीं रानी, आज से घर में तुम ऐसी ही रहोगी, बिना साड़ी के…”
“तेरे दादाजी के सामने भी …!” उसने पूछा।
” ठीक है सिर्फ आज भर.. कल से फिर साड़ी भी पहनूंगी।
माँ खाना बनाती रही और मैं उसके साथ मस्ती करता रहा।
// सुनील पण्डित //
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!