17-03-2019, 12:12 PM
अध्याय 5
जीजू का घर 2 BHK का था ,मुझे एकरूम दिया गया ,जीजू के साथ कल की होली को याद कर कर के ही मैं पनिया रही थी लेकिन दिमाग में एक ही सवाल बार बार आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हुआ था की मुझे सुबह दर्द हो रहा था और माँ इतना रो रही थी ,पिता जी मुह फुलाये बैठे थे…
आते ही जीजू अपने काम में निकल गए दिदि अभी घर को साफ करने में लगी हुई थी और मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई,
“दिदि कल रात को क्या हुआ था”
दिदि के चहरे में मुस्कान आया गई ,
“तुझे कुछ भी याद नही “
“याद होता तो आपसे क्यो पूछती ,और पापा इतने गुस्से में क्यो थे”
“भूल जाओ अब पापा को ,उनके दिल में हम लड़कियों की कोई इज्जत नही है,तू जानती है ना उस दिन मेरा और उनका बहस हो गया था,तेरे जीजू इतने अच्छे है इसलिए इन्हें कोई भी कदर नही है,अब समझ आएगा की जब जमाई अपने हरामी पन में उतरता है तो क्या होता है,हमे दबाने की तो कोसिस करते है लेकिन जमाई जब कुछ गलती करे तो सब कुछ स्वीकार है इन्हें …”
दीदी को तो बस समाज से लड़ने का शौक है,
“लेकिन कल हुआ क्या था”
दिदि का चहरा फिर से मुस्कुराने लगा
“अरे मेरी रानी कल तू लड़की से औरत बन गई “
मैं बुरी तरह से शरमाई
“म म मतलब “
“मतलब की तेरे जीजू ने कल अपनी पिचकारी से तुझे भिगो दीया और रात में जब माँ बाबुजी आये तो उन्हें भी ये पता चल गया लेकिन किसी ने एक लब्ज भी उन्हें नही कहा “दिदि हँसने लगी,
“लेकिन इसका क्या मतलब हुआ “
मैं फिर से थोड़ी कन्फ्यूज़ हो गई थी ,
“ओहो तू भी ना अभी तक बच्ची ही है,चल आज रात को तेरे जीजू को फिर से तुझे भिगोने बोलती हु,कल तो सील टूट ही गया तो आज तुझे भी ज्यादा दर्द नही देगा “
मैं फिर से उन्हें अजीब निगाहों से देख रही थी
“अरे तू फिक्र क्यो कर रही है,शाम को अच्छे से नहा कर तैयार रहना ,और वो जो स्कर्ट है ना तेरी वो पहन लेना,आज तुझे सब कुछ समझ आ जाएगा की कैसे तेरे जीजू ने तुझे अपनी पिचकारी से भिगोया था…..
मैं शाम का इंतजार करने लगी ,दिल में इतनी बेचैनी कभी नही थी,जीजू के आने के बाद दिदि ने उन्हें जल्दी खाना खाने को कहा और मुझे भी नहा कर तैयार होने का हुक्म दे दिया,आज फिर से मैं अपने जीजू के साथ होली खेलने जा रही थी लेकिन इस बार पूरे होशोहवास के साथ…..
मैं नहा कर तैयार हुए और एक सफेद ड्रेश पहन कर तैयार हों गई
जीजू तो मुह फाडे मुझे देख रहे थे ,मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मैं उनसे नजर बचा रही थी लेकिन क्या करू कभी कभी तिरछी नजरो से मैं उन्हें देख ही लेती,उन्होंने कपड़े चेंज कर एक शार्ट और टी-शर्ट पहन लिया था,सबकुछ तो नार्मल ही था लेकिन पता नही क्यो मेरा ध्यान बार बार उनके मजबूत डोलो की तरफ ही जाता था,
उनकी छाती के बाल जो के थोड़ी सी जगह से भी बाहर आ रही थे,और उनकी विशाल चौड़ी छाती,देखकर ही पता नही नीचे कुछ अजीब सा होने लगा था ,मैं चाहती थी की वो मुझे कसकर जकड़ ले,खाना खत्म करके हम बाते करने लगे उन्होंने बताया की उन्होंने एक अच्छे कालेज में मेरा एड्मिसन करवा दिया है…
वो अपने बेडरूम में चले गए थे मैं अब भी हाल में ही दिदि के साथ बैठी थी मुझे दिदि से कुछ पूछने की हिम्मत तो नही हो रही थी लेकिन मेरा दिल भरा जा रहा था,मैं जीजू के पास जाना चाहती थी लेकिन दिदि से कहती तो भी तो कैसे …
आखिर दिदि ने ही कह दिया ,
“ये दूध का ग्लास ले और जीजू को पिला दे ,और हा मैं काम करके आज बहुत थक गई हु आज तेरे ही कमरे में सो जाती हु ,तू अपने जीजू के साथ सो जाना,....कोई प्रॉब्लम तो नही है ना “
“नही नही दिदि कोई प्रॉब्लम नही है”मैंने इतनी जल्दी में कहा की दिदि के चहरे में एक मुस्कान तैर गई और मैं अपने किये पर शर्मा गई…..
मैं दूध का ग्लास लेकर जीजू के कमरे में गई जीजअपने मोबाइल में कुछ कर रहे थे ,मुझे देखते ही उनके चहरे की मुस्कान कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,
“जीजू दूध “
“हम्म अच्छा है”
उन्होंने मुझे देखते हुए कहा
“अपने तो पिया ही नही है”
“वो तो देखकर ही पता चल रहा है की तेरे दूध अच्छे है पी भी लूंगा थोड़ी देर में “
मैं बुरी तरह से शर्मा गई
“छि कितने गंदे हो आप “मैं सर झुका के खड़ी रही जब तक जीजू ने दूध खत्म करके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे बिस्तर में पटक नही दिया ,
“आउच जीजू “मैं सीधे बिस्तर में गिरी,जीजू का चहरा मेरे चहरे के पास था,उनकी सांसो का अहसास मैं अपने चहरे में कर सकती थी उनकी सांसे बड़ी हुई थी वही हाल तो मेरा भी था,
उन्होंने मेरे चहरे को ध्यान से देखा और बड़े ही प्यार से एक किस मेरे माथे में किया मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी वही मेरी चुद भी पानी पानी हो रही थी,मैं नजाकत से मुस्कुराई और जीजू मेरे गोल गोल गुलाबी गालो को अपने दांतो से कुरेदना शुरू किया ,
“जीजू ,आह “मजे की एक लहर मेरे शरीर में दौड़ गई थी जैसे मेरे शरीर में कोई हल्का सा करेंट दौड़ गया हो ,मैं कसमसाई और अपने बांहो को जीजू के गले से लपेट लिया,,मेरे मुलायम गालो पर जीजू की दाढ़ी चुभ रही थी और वो मेरे गालो को किसी फल की तरफ चाट और काट रहे थे,उनकी ये अदा मेरे लिए और भी कातिल साबित हो रही थी,उन्होंने मेरे कमर पर अपना हाथ टिकाया और खुद मेरे ऊपर हो गए,मेरी स्कर्ट थोड़ी ऊपर हो चुकी थी उन्होंने मेरी जांघो को सहलाना शुरू किया ,
मैं मादक सीसीकीया ले रही थी,उनके हाथो का आभास मुझे पागल बना दे रहा था मुझे गुदगुदी सी हो रही थी जिसके कारण मैं मचल रही थी ,मेरे शरीर से एक अजीब सी गंध उड़ रही थी वही जीजू के शरीर की महक ने मुझे पागल बना दिया था,वो एक असली मर्द की खुसबू थी,उन्होंने अपने शर्ट को निकाल फेका उनका नंगा सीना किसी भी लड़की के लिए जानलेवा था,वो बालो के भरा हुआ था वही चौड़ी छाती उनके कसरती होने का सुबूत दे रही थिजब उनके छाती के बाल मेरे मेरे शरीर के ठकराये तो मैं गनगना गई ,मैं पागल ही हो रही थी,और वो बड़े ही आराम से मुझे लूट रहे थे,
मैं उनकी गुलाम सी बन गई थी,वो जैसे चाहते मुझसे खेल रहे थे,उनके शार्ट से उनका बड़ा लिंग मेरे जांघो को चोट कर रहा था,कितना बड़ा था वो ,और इतना मजबूत ,मैं तो सोच के ही शर्मा गई..हमारी आंखे मिली तो मेरा चहरा लाल था और जीजू के होठो में एक मुस्कुराहट..
“क्यो मेरी रानी आज पूरे होशोहवास में खेलोगी ना मेरे साथ होली,”जीजू ने बड़े ही शरारती ढंग से पूछा “
“लेकिन जीजू रंग कहा है”
“मेरी रानी आज सफेद रंग से नहलाऊंगा तुझे ,वो भी काले पिचकारी से “
मैं कुछ समझ नही पाई लेकिन मैं शर्मा गई मेरी ये अदा शायद जीजू को बहुत पसंद आ गई उन्होंने मेरे होठो को अपने होठो में भर लिया ,मैंने खुद को उनके हवाले ही सौप दिया था,वो मेरे होठो को चूसे जा रहे थे,हमारे होठ आपस में मिल रही थी और हम दोनो ही सुख के सागर में गोते लगा रहे थे..उनके हाथ मेरे उरोजों पर पहुच गए थे वो उसे हल्के हल्के से लेकर जोरो से मसलने लगे थे,
बेताबी की इंतहा हो रही थी,उन्होंने अपने हाथो को मेरे स्कर्ट के नीचे घुसा दिया और मेरी योनि के द्वार को अपनी उंगलियों से मसलने लगे,मुझे बहुत मजा आ रहा था,मेरे मुह से बस आह आह की आवाजे ही निकल रही थी,
मैं बेताबी में अपना सर इधर उधर पटकने लगी थी लेकिन जीजू मेरे होठो के पीछे ही पागल थे,उन्होंने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरी स्कर्ट की जीप खोल दी ,और उसे उतारने लगे ,मैं अब जीजू के सामने बस ब्रा पेंटी में लेटी हुई थी,वो उठाकर मेरी नाजुक योनि को घूरने लगे जिससे मुझे बहुत ही शर्म आयी और मैंने अपने चहरे को अपने हाथो से ढक लिया,वो मुस्कुराते हुए मेरे
योनि के पास अपना चहरा लाये,वो जगह पूरी तरह से गीली थी,उनकी सांसो का अहसास मुझे और भी गिला कर रहा था,वो बस हल्के से फूक मारे ,मेरा तो रोवा रोवा ही फड़क उठा था….
वो मेरे ऊपर आ गए और मरी ब्रा को एक ही झटके में उतार दिया अभी भी मेरी पेंटी मेरी लाज बचा रही थी लेकिन ना जाने कब तक ,मैं पूरी तरह से जीजू की गुलाम बन गई थी,वो जैसा करते मैं उनका साथ देती,वो मेरे कानो के पास अपने होठो को ले आये ,
“अपने जीजू की पिचकारी देखेगी?
“आह हम्म्म्म “मेरे होठो से बड़ी ही मुश्किल से निकल पाया मैं उनके नीचे दबी हुई थी मेरी नाजुक जिस्म इतना भार कैसे उठा पा रही थी ये तो मुझे भी समझ नही आ रहा था,
उन्होंने खड़े होकर अपनी शार्ट निकाल फेंकी और उनका लिंग पूरे शबाब में मेरे सामने झूलने लगा,मैं तो उसे देखकर ही कांप गई ,वो तो काले मोटे रॉड जैसा था,और पूरी तरह से चमकदार ,उन्होंने उसे मेरे मुह के पास लाया,मैं अभी भी उसे आश्चर्य से घूर रही थी,वो मेरे होठो से टकराने लगा,उन्होंने मेरे गालो को पकड़कर दबाया जिससे मेरा मुह थोड़ा खुल गया,वो मेरे होठो में उसे रगड़ने लगे,
“इसे प्यार दे मेरी जान ये तुझे बहुत मजे देगा ,”
उन्होंने थोड़ा और दबाव डाला ,
“चूस इसे “
मेरे होठ खुल गए मुझे नही पता था की इसे कैसे चूसना है लेकिन मैं उसे अपने मुह में भर जाने दिया और मेरे थूक से उसे सन जाने दिया,लेकिन जीजू पर जैसे शैतान चढ़ गया ,उन्होंने मेरे बालो को पकड़कर मेरे सर को अपनी कमर पर जोर जोर से दबाने लगे,उनका लिंग मेरे गले में फंस रहा था जिससे मुझे उल्टी होने लगी थी,सांसे रुकने लगी मैं छटपटा रही थी लेकिन जीजू में मुझपर कोई भी रहम नही दिखाया और जोरो से अंदर बाहर करने लगे ,
मुझे लगा जैसे की मर ही जाऊंगी,तभी उन्होंने मुझे छोड़ा मैं जैसे उल्टी ही करने लगी ,मैं जोरो से सांसे ले रही थी,मैंने जीजू को देखा तो वो मुस्कुरा रहे थे,जबकि मेरी आंखों में आंसू आ गए थे,
“आप शैतान हो क्या,ये क्या था.”
मैं लगभग रोते हुए बोली,
“अरे मेरी जान फिक्र मत करो पहली बार है ना बाद में आदत पड़ जाएगी ,”
वो मेरे गालो को सहलाने लगे ,और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गये,वो मेर जिस्म के हर हिस्से को चाटने लगे,जिससे मैं फिर से गर्म हो गई थी,उन्होंने मेरी पेंटी को निकाल फेका और मैं सहमी हुई आंखे बंद किये हुए जीजू के होठो का आनद ले रही थी,
लेकिन इस बार उनके होठ नही थे इस बार तो उनका वो काला नाग था जो मेरी योनि में दस्तक दे रहा था,मैंने उन्हें कस लिया,मैं तडफ रही थी,ना जाने क्यो मेरी योनि इतनी खुजला रही थी ,मन करता था की कुछ अंदर ही डाल लू और कुछ नही जीजू का वो रॉड,मैं उसे अपने अंदर चाहती थी,वो उस रॉड को मेरे योनि के पानी से गिला कर रहे थे शायद अब थोड़ी ही देर में वो मेरे अंदर जाने वाला था,उन्होंने धीरे से उसे अंदर सरकाया,
“आह जीजू ,आह लव यू जीजू ,ओह “
वो रॉड मुझे अंदर जाता हुआ महसूस हुआ दर्द और मजे की एक तेज लहर मेरे शरीर में दौड़ी और ऐसा लगा जैसे की मैं अब जीजू की गुलाम ही बन गई,वो समर्पण का भाव मेरे मन में उठा और मेरे आंखों से पानी की कुछ बूंदे टपक पड़ी,जीजू रुक गए थे और उन्होंने मेरी आंखों में देखा,
वो गीली थी लेकिन मेरे होठो में एक मुस्कान सी आ गई,मैं अपने मन का सारा प्यार अपनी आंखों में ले आई,मैं जीजू को ऐसे देख रही थी की अब मैं उनकी ही हु,वो मुझे देखकर बहुत ही भावुक हो गए और मेरे होठो को चूमने लगे,हम दोनो ही एक दूसरे के होठो को पागलो की तरह छुमने लगे थे वही जीजू की कमर ने हरकत शुरू की शुरवाती झटकों का दर्द मैं पीती गई ,
जीजू ने मुझे मजबूती से जकड़ रखा था,और धीरे धीरे मेरे अंदर आनंद ही आनंद बचा मुझे लग रहा था की ये कभी खत्म ना हो,मैं जीजू को अपनी गहराइयों तक महसूस कर पा रही थी,मैं उन्हें चूमना भी भूल गई थी मेरी आंखे बंद हो गई थी और मैं आनंद के सागर में हिचकोले लगा रही थी,एक तेज झटके से मेरा पूरा शरीर अकड़ाने लगा और मैं झड़ी ,तेजी से झड़ी,ऐसे झड़ी जैसे जीवन ही खत्म हो गया हो,
मेरा शरीर बिस्तर से ऊपर उठ गया था,एक उछाल जिसे जीजू के मजबूत बांहो ने सम्हाला,और मैं मुर्दो की तरह बिस्तर में गिर पड़ी,पता नही फिर क्या हुआ,लेकिन जब थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो जीजू मुझे प्यार से चूम रहे थे,सहला रहे थे और उनका वो लिंग मेरे योनि ने अब भी भरा हुआ था जो की मेरे पानी से सना हुआ था और आराम से अंदर बाहर हो रहा था,जीजू ने मेरी आंखों में देखा मेरी आंखों में उनके लिए बस आभार था,मैं उनकी दीवानी हो गई थी,मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहती थी,
“क्यो साली जी मजा आया “उन्होंने मुकुराते हुए कहा,अब मैं उन्हें कैसे बताती की मुझे क्या मजा आया,उन्हें क्या बताती की आज से मैं आपकी हो गई हु,मेरा सब कुछ आपके नाम लिख दिया है,मैं तो बस उनके सर को पकड़ कर उनके होठो में अपने होठो को भर दिया,...एक लंबी किस के बाद फिर से जीजू ने स्पीड पकड़ी और फिर के मैं उनके प्यार के लहरों में गोते लगाने लगी,
इस बार जीजू भी मेरे साथ ही झरे और मुझे भर दिया,आज उन्होंने अपने वादे के अनुसार मुझे मुझे अपनी पिचकारी से नहला दिया था,लेकिन बस इतना ही नही हुआ था,मुझे मेरे पूर्ण होने का अहसास हुआ था,हम दोनो ही पसीने से भीगे हुए थे और एक दूसरे से ऐसे लिपटे थे जैसे कभी अलग नही होने वाले.तन के साथ साथ हमारा मन भी मिल गया था…………….
इसके बाद के दिनों में मुझे पता चला की दिदि असल में IAS बनने के लिए तैयारी कर रही है,मैं अपनी कालेज के साथ साथ जीजू की हर ख्वाहिस को पूरा करती थी,दिदि और जीजू महीने में एक या दो दिन ही एक दूसरे के साथ सोते थे,बाकी दिनों में मैं जीजू का और जीजू मेरा ख्याल रखते,उन्होंने मुझे प्रैग्नेंट भी कर दिया लेकिन दिदि ने उन्हें बहुत डाँटा ,लेकिन उन्हें इसमें मजा आता था और मैं तो थी ही उनकी गुलाम जो वो बोलते मेरे लिए वो पत्थर की लकीर हो जाती थी,
उन्होंने अभी तक मुझे 15 बार प्रैग्नेंट किया ,हर बार तो मैंने बच्चा गिरा लिया ,लेकिन आखिर में डॉ ने भी कह दिया की अब अबॉर्शन करवाना ठीक नही होगा,तुम कभी माँ नही बन पाओगी...जीजू बात को समझ गए,मैं आज 27 साल की हु,दिदि एक IAS बन चुकी है,लेकिन उन्होंने कोई बच्चा अभी तक नही किया है,मेरी शादी को 2 साल हो गए है और जीजू की इच्छा के अनुसार मैं 15 वी बार उनके बच्चे की माँ बनी लेकिन इस बार गिराया नही ,कल ही मैंने एक लड़के को जन्म दिया,वो बिल्कुल जीजू जैसे ही दिखता है,ये मेरे और जीजू के प्यार की निशानी है,मेरे जीवन की सबसे हसीन सौगात ……….
******** समाप्त *********
// सुनील पण्डित //
जीजू का घर 2 BHK का था ,मुझे एकरूम दिया गया ,जीजू के साथ कल की होली को याद कर कर के ही मैं पनिया रही थी लेकिन दिमाग में एक ही सवाल बार बार आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हुआ था की मुझे सुबह दर्द हो रहा था और माँ इतना रो रही थी ,पिता जी मुह फुलाये बैठे थे…
आते ही जीजू अपने काम में निकल गए दिदि अभी घर को साफ करने में लगी हुई थी और मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई,
“दिदि कल रात को क्या हुआ था”
दिदि के चहरे में मुस्कान आया गई ,
“तुझे कुछ भी याद नही “
“याद होता तो आपसे क्यो पूछती ,और पापा इतने गुस्से में क्यो थे”
“भूल जाओ अब पापा को ,उनके दिल में हम लड़कियों की कोई इज्जत नही है,तू जानती है ना उस दिन मेरा और उनका बहस हो गया था,तेरे जीजू इतने अच्छे है इसलिए इन्हें कोई भी कदर नही है,अब समझ आएगा की जब जमाई अपने हरामी पन में उतरता है तो क्या होता है,हमे दबाने की तो कोसिस करते है लेकिन जमाई जब कुछ गलती करे तो सब कुछ स्वीकार है इन्हें …”
दीदी को तो बस समाज से लड़ने का शौक है,
“लेकिन कल हुआ क्या था”
दिदि का चहरा फिर से मुस्कुराने लगा
“अरे मेरी रानी कल तू लड़की से औरत बन गई “
मैं बुरी तरह से शरमाई
“म म मतलब “
“मतलब की तेरे जीजू ने कल अपनी पिचकारी से तुझे भिगो दीया और रात में जब माँ बाबुजी आये तो उन्हें भी ये पता चल गया लेकिन किसी ने एक लब्ज भी उन्हें नही कहा “दिदि हँसने लगी,
“लेकिन इसका क्या मतलब हुआ “
मैं फिर से थोड़ी कन्फ्यूज़ हो गई थी ,
“ओहो तू भी ना अभी तक बच्ची ही है,चल आज रात को तेरे जीजू को फिर से तुझे भिगोने बोलती हु,कल तो सील टूट ही गया तो आज तुझे भी ज्यादा दर्द नही देगा “
मैं फिर से उन्हें अजीब निगाहों से देख रही थी
“अरे तू फिक्र क्यो कर रही है,शाम को अच्छे से नहा कर तैयार रहना ,और वो जो स्कर्ट है ना तेरी वो पहन लेना,आज तुझे सब कुछ समझ आ जाएगा की कैसे तेरे जीजू ने तुझे अपनी पिचकारी से भिगोया था…..
मैं शाम का इंतजार करने लगी ,दिल में इतनी बेचैनी कभी नही थी,जीजू के आने के बाद दिदि ने उन्हें जल्दी खाना खाने को कहा और मुझे भी नहा कर तैयार होने का हुक्म दे दिया,आज फिर से मैं अपने जीजू के साथ होली खेलने जा रही थी लेकिन इस बार पूरे होशोहवास के साथ…..
मैं नहा कर तैयार हुए और एक सफेद ड्रेश पहन कर तैयार हों गई
जीजू तो मुह फाडे मुझे देख रहे थे ,मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मैं उनसे नजर बचा रही थी लेकिन क्या करू कभी कभी तिरछी नजरो से मैं उन्हें देख ही लेती,उन्होंने कपड़े चेंज कर एक शार्ट और टी-शर्ट पहन लिया था,सबकुछ तो नार्मल ही था लेकिन पता नही क्यो मेरा ध्यान बार बार उनके मजबूत डोलो की तरफ ही जाता था,
उनकी छाती के बाल जो के थोड़ी सी जगह से भी बाहर आ रही थे,और उनकी विशाल चौड़ी छाती,देखकर ही पता नही नीचे कुछ अजीब सा होने लगा था ,मैं चाहती थी की वो मुझे कसकर जकड़ ले,खाना खत्म करके हम बाते करने लगे उन्होंने बताया की उन्होंने एक अच्छे कालेज में मेरा एड्मिसन करवा दिया है…
वो अपने बेडरूम में चले गए थे मैं अब भी हाल में ही दिदि के साथ बैठी थी मुझे दिदि से कुछ पूछने की हिम्मत तो नही हो रही थी लेकिन मेरा दिल भरा जा रहा था,मैं जीजू के पास जाना चाहती थी लेकिन दिदि से कहती तो भी तो कैसे …
आखिर दिदि ने ही कह दिया ,
“ये दूध का ग्लास ले और जीजू को पिला दे ,और हा मैं काम करके आज बहुत थक गई हु आज तेरे ही कमरे में सो जाती हु ,तू अपने जीजू के साथ सो जाना,....कोई प्रॉब्लम तो नही है ना “
“नही नही दिदि कोई प्रॉब्लम नही है”मैंने इतनी जल्दी में कहा की दिदि के चहरे में एक मुस्कान तैर गई और मैं अपने किये पर शर्मा गई…..
मैं दूध का ग्लास लेकर जीजू के कमरे में गई जीजअपने मोबाइल में कुछ कर रहे थे ,मुझे देखते ही उनके चहरे की मुस्कान कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,
“जीजू दूध “
“हम्म अच्छा है”
उन्होंने मुझे देखते हुए कहा
“अपने तो पिया ही नही है”
“वो तो देखकर ही पता चल रहा है की तेरे दूध अच्छे है पी भी लूंगा थोड़ी देर में “
मैं बुरी तरह से शर्मा गई
“छि कितने गंदे हो आप “मैं सर झुका के खड़ी रही जब तक जीजू ने दूध खत्म करके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे बिस्तर में पटक नही दिया ,
“आउच जीजू “मैं सीधे बिस्तर में गिरी,जीजू का चहरा मेरे चहरे के पास था,उनकी सांसो का अहसास मैं अपने चहरे में कर सकती थी उनकी सांसे बड़ी हुई थी वही हाल तो मेरा भी था,
उन्होंने मेरे चहरे को ध्यान से देखा और बड़े ही प्यार से एक किस मेरे माथे में किया मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी वही मेरी चुद भी पानी पानी हो रही थी,मैं नजाकत से मुस्कुराई और जीजू मेरे गोल गोल गुलाबी गालो को अपने दांतो से कुरेदना शुरू किया ,
“जीजू ,आह “मजे की एक लहर मेरे शरीर में दौड़ गई थी जैसे मेरे शरीर में कोई हल्का सा करेंट दौड़ गया हो ,मैं कसमसाई और अपने बांहो को जीजू के गले से लपेट लिया,,मेरे मुलायम गालो पर जीजू की दाढ़ी चुभ रही थी और वो मेरे गालो को किसी फल की तरफ चाट और काट रहे थे,उनकी ये अदा मेरे लिए और भी कातिल साबित हो रही थी,उन्होंने मेरे कमर पर अपना हाथ टिकाया और खुद मेरे ऊपर हो गए,मेरी स्कर्ट थोड़ी ऊपर हो चुकी थी उन्होंने मेरी जांघो को सहलाना शुरू किया ,
मैं मादक सीसीकीया ले रही थी,उनके हाथो का आभास मुझे पागल बना दे रहा था मुझे गुदगुदी सी हो रही थी जिसके कारण मैं मचल रही थी ,मेरे शरीर से एक अजीब सी गंध उड़ रही थी वही जीजू के शरीर की महक ने मुझे पागल बना दिया था,वो एक असली मर्द की खुसबू थी,उन्होंने अपने शर्ट को निकाल फेका उनका नंगा सीना किसी भी लड़की के लिए जानलेवा था,वो बालो के भरा हुआ था वही चौड़ी छाती उनके कसरती होने का सुबूत दे रही थिजब उनके छाती के बाल मेरे मेरे शरीर के ठकराये तो मैं गनगना गई ,मैं पागल ही हो रही थी,और वो बड़े ही आराम से मुझे लूट रहे थे,
मैं उनकी गुलाम सी बन गई थी,वो जैसे चाहते मुझसे खेल रहे थे,उनके शार्ट से उनका बड़ा लिंग मेरे जांघो को चोट कर रहा था,कितना बड़ा था वो ,और इतना मजबूत ,मैं तो सोच के ही शर्मा गई..हमारी आंखे मिली तो मेरा चहरा लाल था और जीजू के होठो में एक मुस्कुराहट..
“क्यो मेरी रानी आज पूरे होशोहवास में खेलोगी ना मेरे साथ होली,”जीजू ने बड़े ही शरारती ढंग से पूछा “
“लेकिन जीजू रंग कहा है”
“मेरी रानी आज सफेद रंग से नहलाऊंगा तुझे ,वो भी काले पिचकारी से “
मैं कुछ समझ नही पाई लेकिन मैं शर्मा गई मेरी ये अदा शायद जीजू को बहुत पसंद आ गई उन्होंने मेरे होठो को अपने होठो में भर लिया ,मैंने खुद को उनके हवाले ही सौप दिया था,वो मेरे होठो को चूसे जा रहे थे,हमारे होठ आपस में मिल रही थी और हम दोनो ही सुख के सागर में गोते लगा रहे थे..उनके हाथ मेरे उरोजों पर पहुच गए थे वो उसे हल्के हल्के से लेकर जोरो से मसलने लगे थे,
बेताबी की इंतहा हो रही थी,उन्होंने अपने हाथो को मेरे स्कर्ट के नीचे घुसा दिया और मेरी योनि के द्वार को अपनी उंगलियों से मसलने लगे,मुझे बहुत मजा आ रहा था,मेरे मुह से बस आह आह की आवाजे ही निकल रही थी,
मैं बेताबी में अपना सर इधर उधर पटकने लगी थी लेकिन जीजू मेरे होठो के पीछे ही पागल थे,उन्होंने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरी स्कर्ट की जीप खोल दी ,और उसे उतारने लगे ,मैं अब जीजू के सामने बस ब्रा पेंटी में लेटी हुई थी,वो उठाकर मेरी नाजुक योनि को घूरने लगे जिससे मुझे बहुत ही शर्म आयी और मैंने अपने चहरे को अपने हाथो से ढक लिया,वो मुस्कुराते हुए मेरे
योनि के पास अपना चहरा लाये,वो जगह पूरी तरह से गीली थी,उनकी सांसो का अहसास मुझे और भी गिला कर रहा था,वो बस हल्के से फूक मारे ,मेरा तो रोवा रोवा ही फड़क उठा था….
वो मेरे ऊपर आ गए और मरी ब्रा को एक ही झटके में उतार दिया अभी भी मेरी पेंटी मेरी लाज बचा रही थी लेकिन ना जाने कब तक ,मैं पूरी तरह से जीजू की गुलाम बन गई थी,वो जैसा करते मैं उनका साथ देती,वो मेरे कानो के पास अपने होठो को ले आये ,
“अपने जीजू की पिचकारी देखेगी?
“आह हम्म्म्म “मेरे होठो से बड़ी ही मुश्किल से निकल पाया मैं उनके नीचे दबी हुई थी मेरी नाजुक जिस्म इतना भार कैसे उठा पा रही थी ये तो मुझे भी समझ नही आ रहा था,
उन्होंने खड़े होकर अपनी शार्ट निकाल फेंकी और उनका लिंग पूरे शबाब में मेरे सामने झूलने लगा,मैं तो उसे देखकर ही कांप गई ,वो तो काले मोटे रॉड जैसा था,और पूरी तरह से चमकदार ,उन्होंने उसे मेरे मुह के पास लाया,मैं अभी भी उसे आश्चर्य से घूर रही थी,वो मेरे होठो से टकराने लगा,उन्होंने मेरे गालो को पकड़कर दबाया जिससे मेरा मुह थोड़ा खुल गया,वो मेरे होठो में उसे रगड़ने लगे,
“इसे प्यार दे मेरी जान ये तुझे बहुत मजे देगा ,”
उन्होंने थोड़ा और दबाव डाला ,
“चूस इसे “
मेरे होठ खुल गए मुझे नही पता था की इसे कैसे चूसना है लेकिन मैं उसे अपने मुह में भर जाने दिया और मेरे थूक से उसे सन जाने दिया,लेकिन जीजू पर जैसे शैतान चढ़ गया ,उन्होंने मेरे बालो को पकड़कर मेरे सर को अपनी कमर पर जोर जोर से दबाने लगे,उनका लिंग मेरे गले में फंस रहा था जिससे मुझे उल्टी होने लगी थी,सांसे रुकने लगी मैं छटपटा रही थी लेकिन जीजू में मुझपर कोई भी रहम नही दिखाया और जोरो से अंदर बाहर करने लगे ,
मुझे लगा जैसे की मर ही जाऊंगी,तभी उन्होंने मुझे छोड़ा मैं जैसे उल्टी ही करने लगी ,मैं जोरो से सांसे ले रही थी,मैंने जीजू को देखा तो वो मुस्कुरा रहे थे,जबकि मेरी आंखों में आंसू आ गए थे,
“आप शैतान हो क्या,ये क्या था.”
मैं लगभग रोते हुए बोली,
“अरे मेरी जान फिक्र मत करो पहली बार है ना बाद में आदत पड़ जाएगी ,”
वो मेरे गालो को सहलाने लगे ,और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गये,वो मेर जिस्म के हर हिस्से को चाटने लगे,जिससे मैं फिर से गर्म हो गई थी,उन्होंने मेरी पेंटी को निकाल फेका और मैं सहमी हुई आंखे बंद किये हुए जीजू के होठो का आनद ले रही थी,
लेकिन इस बार उनके होठ नही थे इस बार तो उनका वो काला नाग था जो मेरी योनि में दस्तक दे रहा था,मैंने उन्हें कस लिया,मैं तडफ रही थी,ना जाने क्यो मेरी योनि इतनी खुजला रही थी ,मन करता था की कुछ अंदर ही डाल लू और कुछ नही जीजू का वो रॉड,मैं उसे अपने अंदर चाहती थी,वो उस रॉड को मेरे योनि के पानी से गिला कर रहे थे शायद अब थोड़ी ही देर में वो मेरे अंदर जाने वाला था,उन्होंने धीरे से उसे अंदर सरकाया,
“आह जीजू ,आह लव यू जीजू ,ओह “
वो रॉड मुझे अंदर जाता हुआ महसूस हुआ दर्द और मजे की एक तेज लहर मेरे शरीर में दौड़ी और ऐसा लगा जैसे की मैं अब जीजू की गुलाम ही बन गई,वो समर्पण का भाव मेरे मन में उठा और मेरे आंखों से पानी की कुछ बूंदे टपक पड़ी,जीजू रुक गए थे और उन्होंने मेरी आंखों में देखा,
वो गीली थी लेकिन मेरे होठो में एक मुस्कान सी आ गई,मैं अपने मन का सारा प्यार अपनी आंखों में ले आई,मैं जीजू को ऐसे देख रही थी की अब मैं उनकी ही हु,वो मुझे देखकर बहुत ही भावुक हो गए और मेरे होठो को चूमने लगे,हम दोनो ही एक दूसरे के होठो को पागलो की तरह छुमने लगे थे वही जीजू की कमर ने हरकत शुरू की शुरवाती झटकों का दर्द मैं पीती गई ,
जीजू ने मुझे मजबूती से जकड़ रखा था,और धीरे धीरे मेरे अंदर आनंद ही आनंद बचा मुझे लग रहा था की ये कभी खत्म ना हो,मैं जीजू को अपनी गहराइयों तक महसूस कर पा रही थी,मैं उन्हें चूमना भी भूल गई थी मेरी आंखे बंद हो गई थी और मैं आनंद के सागर में हिचकोले लगा रही थी,एक तेज झटके से मेरा पूरा शरीर अकड़ाने लगा और मैं झड़ी ,तेजी से झड़ी,ऐसे झड़ी जैसे जीवन ही खत्म हो गया हो,
मेरा शरीर बिस्तर से ऊपर उठ गया था,एक उछाल जिसे जीजू के मजबूत बांहो ने सम्हाला,और मैं मुर्दो की तरह बिस्तर में गिर पड़ी,पता नही फिर क्या हुआ,लेकिन जब थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो जीजू मुझे प्यार से चूम रहे थे,सहला रहे थे और उनका वो लिंग मेरे योनि ने अब भी भरा हुआ था जो की मेरे पानी से सना हुआ था और आराम से अंदर बाहर हो रहा था,जीजू ने मेरी आंखों में देखा मेरी आंखों में उनके लिए बस आभार था,मैं उनकी दीवानी हो गई थी,मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहती थी,
“क्यो साली जी मजा आया “उन्होंने मुकुराते हुए कहा,अब मैं उन्हें कैसे बताती की मुझे क्या मजा आया,उन्हें क्या बताती की आज से मैं आपकी हो गई हु,मेरा सब कुछ आपके नाम लिख दिया है,मैं तो बस उनके सर को पकड़ कर उनके होठो में अपने होठो को भर दिया,...एक लंबी किस के बाद फिर से जीजू ने स्पीड पकड़ी और फिर के मैं उनके प्यार के लहरों में गोते लगाने लगी,
इस बार जीजू भी मेरे साथ ही झरे और मुझे भर दिया,आज उन्होंने अपने वादे के अनुसार मुझे मुझे अपनी पिचकारी से नहला दिया था,लेकिन बस इतना ही नही हुआ था,मुझे मेरे पूर्ण होने का अहसास हुआ था,हम दोनो ही पसीने से भीगे हुए थे और एक दूसरे से ऐसे लिपटे थे जैसे कभी अलग नही होने वाले.तन के साथ साथ हमारा मन भी मिल गया था…………….
इसके बाद के दिनों में मुझे पता चला की दिदि असल में IAS बनने के लिए तैयारी कर रही है,मैं अपनी कालेज के साथ साथ जीजू की हर ख्वाहिस को पूरा करती थी,दिदि और जीजू महीने में एक या दो दिन ही एक दूसरे के साथ सोते थे,बाकी दिनों में मैं जीजू का और जीजू मेरा ख्याल रखते,उन्होंने मुझे प्रैग्नेंट भी कर दिया लेकिन दिदि ने उन्हें बहुत डाँटा ,लेकिन उन्हें इसमें मजा आता था और मैं तो थी ही उनकी गुलाम जो वो बोलते मेरे लिए वो पत्थर की लकीर हो जाती थी,
उन्होंने अभी तक मुझे 15 बार प्रैग्नेंट किया ,हर बार तो मैंने बच्चा गिरा लिया ,लेकिन आखिर में डॉ ने भी कह दिया की अब अबॉर्शन करवाना ठीक नही होगा,तुम कभी माँ नही बन पाओगी...जीजू बात को समझ गए,मैं आज 27 साल की हु,दिदि एक IAS बन चुकी है,लेकिन उन्होंने कोई बच्चा अभी तक नही किया है,मेरी शादी को 2 साल हो गए है और जीजू की इच्छा के अनुसार मैं 15 वी बार उनके बच्चे की माँ बनी लेकिन इस बार गिराया नही ,कल ही मैंने एक लड़के को जन्म दिया,वो बिल्कुल जीजू जैसे ही दिखता है,ये मेरे और जीजू के प्यार की निशानी है,मेरे जीवन की सबसे हसीन सौगात ……….
******** समाप्त *********
// सुनील पण्डित //
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!