17-03-2019, 12:08 PM
अध्याय 4
जीजू तो अंदर चले गए और मैं बस उनके बारे में ही सोचती रही ना जाने आज वो दीदी को कौन सी पिचकारी से नहलाने वाले थे,ऐसे मुझे कुछ कुछ तो पता था लेकिन फिर भी मुझे इसके बारे में उतना ज्ञान नही था मुझे तो बस लिंग और योनि के बारे में पता था जिसे मेरे घर वाले गंदा मानते थे,
जीजू को दीदी के कमरे में गए अभी 15 मिनट ही हुए थे मैं नहाकर नए कपड़े पहन कर निकली थी ,और दीदी के कमरे के पास से गुजर रही थी मुझे थोड़ी उत्सुकता हुई की देखु दोनो क्या कर रहे है ,दरवाजा भी उन्होंने खुला ही छोड़ दिया था,लेकिन मैं नही चाहती थी की वो मुझे ये सब देखते हुए देखे,
“आह जान ओह “दीदी की सिसकिया कमरे में गूंज रही थी ऐसा क्या कर रहे थे जीजू ,
“आह पागल धीरे से नही कर सकते पूरी ताकत लगा देते हो ओह आराम से ,नही आह आह ओह आराम से बोला ..आह “दीदी लगातार चिल्ला रही थी ,
“साली तेरी बहन ने पागल बना दिया है,आधा काम ही हुआ मेरा मैं पूरा भरा हुआ हु जल्दी से खाली कर “
बिस्तर की चरमराहट ,दीदी की आहे और तेज धक्कों के कारण निकलने वाली पच पच की आवाज के अलावा जीजू की आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर खिंच लिया ,
यानी दीदी को सब बता दिया इन्होंने ,छि जीजू कितने गंदे है ,मेरे होठो में एक मुस्कान फैल गई ,साथ ही ये डर भी लगा की दीदी क्या बोलेगी,लेकिन दीदी ने कुछ भी नही कहा ,शायद इसलिए क्योकि वो मुझसे बहुत ही प्यार करती है,आवाजे धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ साथ ही मेरे दिल की बेताबी भी ,मेरे हाथ ना जाने क्यो अपने ही आप मेरी सलवार के ऊपर चले गए,
ये पापी चुद की दीवारों ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था,मैं मचलने लगी और उसे मसलने लगी,उधर दीदी और जीजा दोनो ही जोरो इस चीख कर शांत हो गए थे,और मैं अब भी आंखे बंद किये हुए अपनी योनि को मसल रही थी,अचानक ही मुझे एक झटका लगा,ये तो जीजा जी थे,उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने से सटा लिया था वो पूरे नंगे थे ,
उनके छाती के बाल पसीने से भीगे हुए थे और उसकी खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी मैं डर और अजीब से खुसी से काँपने लगी थी,मेरे पैर थरथरा रहे थे,एक अजीब सी चुभन मेरे दिल में हो रही थी,मैं गर्म होते जा रही थी,जीजू के चहरे में एक अजीब सी मुस्कुराहट थी ,तभी दीदी की आवाज आयी ,
“अरे छोड़िए मेरी बहन को क्यो परेशान कर रहे है,और तू क्या कर रही थी दरवाजे के पीछे “दिदि चादर के अंदर थी लेकिन मुझे पता था की वो भी नंगी ही थी ,
“मैं वो दिदि वो ..”
“ठिक है ठीक है जाओ चलो जाकर 3 ग्लास ले आ और कुछ खाने के लिए और हा पानी और बर्फ भी ले आना “
“जी दिदि “जीजा जी अब भी मुझे जकड़े हुए थे ,उन्होंने जैसे ही मुझे छोड़ा मैं पूरी तेजी से भागते हुए बाहर गई ,दिदि ने शराब पीने वाले सभी समान मुझसे मंगाए थे,पिता जी जब शराब पिया करते थे तो ऐसे ही समान की फरमाइस करते थे,मैंने फ्रिज में देखा ,थोड़ा चिकन भी रखा हुआ था,
मैंने तुरंत ही उसे रोस्ट किए और सभी समान के साथ दिदि के कमरे में पहुची ,दिदि एक नाइटी में थी जिससे उनका जिस्म पूरी तरह से दिख रहा था,वो तो शहर जाकर पूरी तरह से बेशर्म हो गई थी ,आज शराब भी पीने वाली थी और मुझे भी पिलाने वाली थी ,हाय दैया मैं अब क्या करूँगी,मैं थोड़े सोच में पड़ी थी लेकिन अगर जीजू पिलाये तो,मैं शर्म से पानी पानी हो गई,अपने ही सोच से मुझे शर्म आने लगी थी….
दिदि ने सभी समान जमीन पर रखा,
“अरे वाह चिकन रोस्ट ,देखा मेरी साली मेरा कितना ख्याल रखती है ,”जीजू की इस बात से मैं शर्मा गई
“हा आ तो साली की ही तारीफ करोगे तुम “दिदि ने मुस्कुराते हुए कहा ,
“सोना आओ चलो बैठो “
“लेकिन दिदि “
“अरे मेरी साली साहिबा मेरे हाथो से भी नही पियोगी क्या ,और आज तो होली है आज सब कुछ माफ है..”जीजू ने मेरे हाथो को पकड़ कर बैठा लिया था,जीजू पेग बना रहे थे,उन्होंने पता नही कौन सी शराब लायी थी वो उसे वोदका वोदका बोल रहे थे,जिसके बोलत में एक हरे रंग के सेब का चित्र बना था ,उसकी सुगंध भी सेब की तरह ही थी (आप लोग तो समझ ही गए होंगे) पहले तो बहुत ही कड़वा सा लगा लेकिन जब दिदि और जीजू ने ही बार में सीधे गटक लिया तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत आयी ,
जीजू मेरे जांघो में अपने हाथो को फेरने लगे ,
“अरे पी भी लो क्यो डर रही हो “उनका हाथ पड़ते ही ना जाने कहा से इतनी ताकत आ गई की एक ही घुट में मैंने पूरा ग्लास खाली कर दिया ,
“ओओ “मुझे उल्टी जैसा लगा लेकिन जीजू ने मेरे पीठ को मारा ,एक ही पेग में मेरा सर घूमने लगा था,लेकिन ये क्या जीजू ने दूसरा भी बना दिया और उसे भी मैंने एक ही सांस में अंदर कर लिया ,
जीजू और दिदि दोनो ही हँसने लगे ,लेकिन आंखे तो दोनो ही ही आधी खुली हुई थी ,नशे में तो दोनो ही थे,तीसरा पेग और मुझे अपना भी होशं नही रहा मैं बेताबी के कुछ कुछ बोलने लगी ना जाने कब मैं नींद में चली गई मुझे पता भी नई चला …….
सुबह उठी तो देखा की जीजू और दिदि अपना समान बांध रहे थे,मेरे सर में तेज दर्द था ,मैं अब भी उनके ही कमरे में सोई थी,बाहर देखने और कमरे की गर्मी से पता चल रहा था की दोपहर का वक्त होगा,मैं जब उठने को हुई तो मेरी सांसे ही रुक गई,चादर के अंदर मैं पूरी तरह से नंगी थी,जीजू और दिदि ने मुझे देखा उन दोनो के ही होठो में मुस्कान थी,...आखिर क्या हुआ था कल रात मेरे साथ ,दिदि ने आकर मुझे एक टॉवेल दिया
“चल जल्दी से नहा कर तैयार हो जा ,तू हमारे साथ शहर जा रही है अब से वही पढ़ाई करेगी ..”
मैं आश्चर्य से भर गई
“पापा मान गए “
“हा मान गए “दिदि के चहरे की मुस्कान और भी फैल गई थी ,पता नही दिदि ने पापा को कैसे मना लिया था,मैं जीजू से नजर ही नही मिला पा रही थी ,मैं टॉवेल को लपेटे हुए जब बाथरूम की ओर जा रही थी तो जीजू ने मेरे कूल्हों पर एक चपड़ मार दी ,
“जीजू क्या आप भी “मैं शर्माते हुए भागी,लेकिन ये क्या मुझे मेरे जांघो के बीच दर्द का अहसास हुआ ,मैं बिना कुछ कहे ही बाथरूम के अंदर चले गई,जाकर देखा तो पेशाब करना भी मुश्किल हो गया था,मेरी योनि अंदर से छिल गई थी ,ये क्या था और किसने किया था,....
शायद ये कारनामा जीजा जी का ही था,रात को मैं तो पूरे नशे में चूर होई गई थी लेकिन जीजा जी ने मुझसे बहुत मजे लिए थे,मैं शर्मा गयी थोड़ी घबरा भी गई और थोड़ी गुस्से में भी थी..
जब तैयार होकर बाहर आयी तो देखा की माँ रो रही है दिदि और जीजू कमरे से बाहर समान के साथ निकल चुके है,जिसमे मेरा समान भी था,कोई कुछ भी नही बोल रहा था मुझे ये सब बड़ा ही अजीब लगा,पिता जी का चहरा गुस्से से लाल दिख रहा था लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे की किसी मजबूरी ने उन्हें चुप करा रखा है,मैंने दिदि को देखा उन्होंने आंखों ही आंखों से इशारा किया की सब कुछ ठीक है,जब मैं माँ के पैर छुई तो वो और भी जोरो से रोने लगी मुझे लगा की शायद मेरे जाने के गम में रो रही है ,
जब मैंने पिता जी के पैर छुवे तो थोड़े पीछे हो गए ,मुझे समझ ही नही आया की वो मुझसे क्यो गुस्से में है , दिदि ने मेरा हाथ पकड़ा और कार में ले जाकर बिठा दिया…..मैं अब भी सोच रही थी की आखिर रात को ऐसा क्या हो गया था...
// सुनील पण्डित //
जीजू तो अंदर चले गए और मैं बस उनके बारे में ही सोचती रही ना जाने आज वो दीदी को कौन सी पिचकारी से नहलाने वाले थे,ऐसे मुझे कुछ कुछ तो पता था लेकिन फिर भी मुझे इसके बारे में उतना ज्ञान नही था मुझे तो बस लिंग और योनि के बारे में पता था जिसे मेरे घर वाले गंदा मानते थे,
जीजू को दीदी के कमरे में गए अभी 15 मिनट ही हुए थे मैं नहाकर नए कपड़े पहन कर निकली थी ,और दीदी के कमरे के पास से गुजर रही थी मुझे थोड़ी उत्सुकता हुई की देखु दोनो क्या कर रहे है ,दरवाजा भी उन्होंने खुला ही छोड़ दिया था,लेकिन मैं नही चाहती थी की वो मुझे ये सब देखते हुए देखे,
“आह जान ओह “दीदी की सिसकिया कमरे में गूंज रही थी ऐसा क्या कर रहे थे जीजू ,
“आह पागल धीरे से नही कर सकते पूरी ताकत लगा देते हो ओह आराम से ,नही आह आह ओह आराम से बोला ..आह “दीदी लगातार चिल्ला रही थी ,
“साली तेरी बहन ने पागल बना दिया है,आधा काम ही हुआ मेरा मैं पूरा भरा हुआ हु जल्दी से खाली कर “
बिस्तर की चरमराहट ,दीदी की आहे और तेज धक्कों के कारण निकलने वाली पच पच की आवाज के अलावा जीजू की आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर खिंच लिया ,
यानी दीदी को सब बता दिया इन्होंने ,छि जीजू कितने गंदे है ,मेरे होठो में एक मुस्कान फैल गई ,साथ ही ये डर भी लगा की दीदी क्या बोलेगी,लेकिन दीदी ने कुछ भी नही कहा ,शायद इसलिए क्योकि वो मुझसे बहुत ही प्यार करती है,आवाजे धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ साथ ही मेरे दिल की बेताबी भी ,मेरे हाथ ना जाने क्यो अपने ही आप मेरी सलवार के ऊपर चले गए,
ये पापी चुद की दीवारों ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था,मैं मचलने लगी और उसे मसलने लगी,उधर दीदी और जीजा दोनो ही जोरो इस चीख कर शांत हो गए थे,और मैं अब भी आंखे बंद किये हुए अपनी योनि को मसल रही थी,अचानक ही मुझे एक झटका लगा,ये तो जीजा जी थे,उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने से सटा लिया था वो पूरे नंगे थे ,
उनके छाती के बाल पसीने से भीगे हुए थे और उसकी खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी मैं डर और अजीब से खुसी से काँपने लगी थी,मेरे पैर थरथरा रहे थे,एक अजीब सी चुभन मेरे दिल में हो रही थी,मैं गर्म होते जा रही थी,जीजू के चहरे में एक अजीब सी मुस्कुराहट थी ,तभी दीदी की आवाज आयी ,
“अरे छोड़िए मेरी बहन को क्यो परेशान कर रहे है,और तू क्या कर रही थी दरवाजे के पीछे “दिदि चादर के अंदर थी लेकिन मुझे पता था की वो भी नंगी ही थी ,
“मैं वो दिदि वो ..”
“ठिक है ठीक है जाओ चलो जाकर 3 ग्लास ले आ और कुछ खाने के लिए और हा पानी और बर्फ भी ले आना “
“जी दिदि “जीजा जी अब भी मुझे जकड़े हुए थे ,उन्होंने जैसे ही मुझे छोड़ा मैं पूरी तेजी से भागते हुए बाहर गई ,दिदि ने शराब पीने वाले सभी समान मुझसे मंगाए थे,पिता जी जब शराब पिया करते थे तो ऐसे ही समान की फरमाइस करते थे,मैंने फ्रिज में देखा ,थोड़ा चिकन भी रखा हुआ था,
मैंने तुरंत ही उसे रोस्ट किए और सभी समान के साथ दिदि के कमरे में पहुची ,दिदि एक नाइटी में थी जिससे उनका जिस्म पूरी तरह से दिख रहा था,वो तो शहर जाकर पूरी तरह से बेशर्म हो गई थी ,आज शराब भी पीने वाली थी और मुझे भी पिलाने वाली थी ,हाय दैया मैं अब क्या करूँगी,मैं थोड़े सोच में पड़ी थी लेकिन अगर जीजू पिलाये तो,मैं शर्म से पानी पानी हो गई,अपने ही सोच से मुझे शर्म आने लगी थी….
दिदि ने सभी समान जमीन पर रखा,
“अरे वाह चिकन रोस्ट ,देखा मेरी साली मेरा कितना ख्याल रखती है ,”जीजू की इस बात से मैं शर्मा गई
“हा आ तो साली की ही तारीफ करोगे तुम “दिदि ने मुस्कुराते हुए कहा ,
“सोना आओ चलो बैठो “
“लेकिन दिदि “
“अरे मेरी साली साहिबा मेरे हाथो से भी नही पियोगी क्या ,और आज तो होली है आज सब कुछ माफ है..”जीजू ने मेरे हाथो को पकड़ कर बैठा लिया था,जीजू पेग बना रहे थे,उन्होंने पता नही कौन सी शराब लायी थी वो उसे वोदका वोदका बोल रहे थे,जिसके बोलत में एक हरे रंग के सेब का चित्र बना था ,उसकी सुगंध भी सेब की तरह ही थी (आप लोग तो समझ ही गए होंगे) पहले तो बहुत ही कड़वा सा लगा लेकिन जब दिदि और जीजू ने ही बार में सीधे गटक लिया तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत आयी ,
जीजू मेरे जांघो में अपने हाथो को फेरने लगे ,
“अरे पी भी लो क्यो डर रही हो “उनका हाथ पड़ते ही ना जाने कहा से इतनी ताकत आ गई की एक ही घुट में मैंने पूरा ग्लास खाली कर दिया ,
“ओओ “मुझे उल्टी जैसा लगा लेकिन जीजू ने मेरे पीठ को मारा ,एक ही पेग में मेरा सर घूमने लगा था,लेकिन ये क्या जीजू ने दूसरा भी बना दिया और उसे भी मैंने एक ही सांस में अंदर कर लिया ,
जीजू और दिदि दोनो ही हँसने लगे ,लेकिन आंखे तो दोनो ही ही आधी खुली हुई थी ,नशे में तो दोनो ही थे,तीसरा पेग और मुझे अपना भी होशं नही रहा मैं बेताबी के कुछ कुछ बोलने लगी ना जाने कब मैं नींद में चली गई मुझे पता भी नई चला …….
सुबह उठी तो देखा की जीजू और दिदि अपना समान बांध रहे थे,मेरे सर में तेज दर्द था ,मैं अब भी उनके ही कमरे में सोई थी,बाहर देखने और कमरे की गर्मी से पता चल रहा था की दोपहर का वक्त होगा,मैं जब उठने को हुई तो मेरी सांसे ही रुक गई,चादर के अंदर मैं पूरी तरह से नंगी थी,जीजू और दिदि ने मुझे देखा उन दोनो के ही होठो में मुस्कान थी,...आखिर क्या हुआ था कल रात मेरे साथ ,दिदि ने आकर मुझे एक टॉवेल दिया
“चल जल्दी से नहा कर तैयार हो जा ,तू हमारे साथ शहर जा रही है अब से वही पढ़ाई करेगी ..”
मैं आश्चर्य से भर गई
“पापा मान गए “
“हा मान गए “दिदि के चहरे की मुस्कान और भी फैल गई थी ,पता नही दिदि ने पापा को कैसे मना लिया था,मैं जीजू से नजर ही नही मिला पा रही थी ,मैं टॉवेल को लपेटे हुए जब बाथरूम की ओर जा रही थी तो जीजू ने मेरे कूल्हों पर एक चपड़ मार दी ,
“जीजू क्या आप भी “मैं शर्माते हुए भागी,लेकिन ये क्या मुझे मेरे जांघो के बीच दर्द का अहसास हुआ ,मैं बिना कुछ कहे ही बाथरूम के अंदर चले गई,जाकर देखा तो पेशाब करना भी मुश्किल हो गया था,मेरी योनि अंदर से छिल गई थी ,ये क्या था और किसने किया था,....
शायद ये कारनामा जीजा जी का ही था,रात को मैं तो पूरे नशे में चूर होई गई थी लेकिन जीजा जी ने मुझसे बहुत मजे लिए थे,मैं शर्मा गयी थोड़ी घबरा भी गई और थोड़ी गुस्से में भी थी..
जब तैयार होकर बाहर आयी तो देखा की माँ रो रही है दिदि और जीजू कमरे से बाहर समान के साथ निकल चुके है,जिसमे मेरा समान भी था,कोई कुछ भी नही बोल रहा था मुझे ये सब बड़ा ही अजीब लगा,पिता जी का चहरा गुस्से से लाल दिख रहा था लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे की किसी मजबूरी ने उन्हें चुप करा रखा है,मैंने दिदि को देखा उन्होंने आंखों ही आंखों से इशारा किया की सब कुछ ठीक है,जब मैं माँ के पैर छुई तो वो और भी जोरो से रोने लगी मुझे लगा की शायद मेरे जाने के गम में रो रही है ,
जब मैंने पिता जी के पैर छुवे तो थोड़े पीछे हो गए ,मुझे समझ ही नही आया की वो मुझसे क्यो गुस्से में है , दिदि ने मेरा हाथ पकड़ा और कार में ले जाकर बिठा दिया…..मैं अब भी सोच रही थी की आखिर रात को ऐसा क्या हो गया था...
// सुनील पण्डित //
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!