17-03-2019, 12:02 PM
अध्याय 2
“जीजू …”मैं दौड़कर जीजा जी के गले से लग गई जब दीदी और जीजा जी होली के एक दिन पहले घर आये,एक एक फ्रॉक में थी जिसे मैं सिर्फ घर में ही पहनती थी ,जीजा जी के मजबूत सीने से जैसे ही मेरे बड़े स्तन ठकराये मैं थोड़ा पीछे हटने को हुई लेकिन तब तक तो जीजू ने भी मुझे कस लिया था ,अब तो मेरे स्तन उनके मजबूत सीने में धंस गए थे,और उनके हाथ मेरे पीठ पर थे जो ही उसे हल्के हल्के सहला रहे थे,मैं उसके कंधे में अपना सर रख कर थोड़ी देर तक खड़ी रही लेकिन जीजू ने मुझे थोड़ा दबा कर ही छोड़ दिया,मैं उनसे अलग हुई तो मेरे चहरे में लाली साफ थी मैं थोड़ी सी नर्वस हो गई थी ना जाने क्यो इस वाकये ने मुझे थोड़ा उत्तेजित कर दिया था,मैं अब जवान हो चुकी थी और मचलती हुई जवानी को सम्हालना ऐसे भी थोड़ा मुश्किल ही होता है,
“अच्छा पूरा प्यार बस जीजू पर ही उतार दे दीदी के लिए भी कुछ बचा है की नही “
सोनिया दीदी ने मुझे छेड़ा
“क्या दीदी आप भी “मैं उनके गले से जा लगी,
“ओह मेरी बेटी कितनी बड़ी लग रही है”दीदी ने मेरे गालो को खिंचा उन्हें तो अब भी मैं बच्ची ही लगती हु,जबकि वो मुझसे बस 2 साल की ही बड़ी है,
“क्या दीदी अभी तो 1 महीने पहले ही देखा था मुझे,”
“ये उम्र ही ऐसी है अभी तो इसके बढ़ने के दिन है”जीजू ने थोड़े अजीब अंदाज में कहा ,उनकी नजर मेरे वक्षो को घूर रही थी लेकिन उन्होंने जल्द ही नजर हटा ली,जिसे दीदी ने पकड़ लिया ..
“ह्म्म्म आप का इशारा तो मैं समझ रही हु,लेकिन खबरदार ये मेरी प्यारी बहन है”दीदी ने जीजू को आंखे दिखाई जो की हमारे समाज में कम ही होता है खासकर जब घरवाले भी मौजूद हो,
“ओह मेडम जी माफ कर दीजिये “जीजू ने कान पकड़कर बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा जिससे मैं और दीदी हँस पड़े लेकिन माँ ने दीदी को हल्के से मारा ,
“पति से ऐसे बात करते है ,वो भी सब के सामने “लेकिन दीदी और जीजू और मैं हंसते रहे वही पापा ,माँ थोड़े नर्वस हो गए,
जीजू दीदी को छोड़ अपने गांव को निकल गए थे उनके जाते ही पापा दीदी के ऊपर भड़क गए ,
“तुझे शर्म हया है की नही अपने पति से सबके सामने ऐसे बात करती है ,वो तो सीधा साधा पति मिल गया है तुझे वरना अभी तेरे गालो में दो झापड़ लगा देता”पापा मेरी तरफ मुड़े
“और तुझे शर्म हया है की नही ऐसे कपड़े पहन के घूम रही है और कैसे राज से लिपट गई थी,हमारे परिवार में कोई अपने भाई से भी ऐसे लिपटता है क्या वो तेरा जीजा है,कुछ उल्टा सीधा हो गया तो...अब जवान हो गई है और “पापा का गुस्सा इतना तेज था की मेरे आंखों में आंसू आ गए लेकिन दीदी पापा के ऊपर ही चढ़ गई ,
“आप लोग इस घटिया सोच से कब बाहर आओगे,वो तो मेरी किस्मत है की बिना ज्यादा पढ़े लिखे भी मुझे राज जी जैसे समझदार पति मिल गए वरना आप लोग तो मुझे भी किसी गवार के साथ ही बांध देते जो मुझे आपके सामने भी मारता तो आप लोग चुप चाप देखते और मेरी बहन को गंदी नजरो से देखता छेड़छाड़ करता फिर भी उसकी आवभगत करते”
दीदी गुस्से में लाल हो गई थी ,माँ को समझ आ गया की बात ज्यादा बढ़ सकती है उन्होंने दीदी को प्यार से समझने की सोची ,
“अरे बेटी हमारा समाज ही ऐसा है की लड़की को झुक कर रहना पड़ता है,अब हम समाज के बनाये हुए नियमो से तो बाहर नही जा सकते”
“समाज के नियंम हमारी सुविधा के लिए बनाये गए थे माँ,ना की इस लिए की लड़कियों का शोषण किया जाय,लड़कियों को जानवरो जैसे रखा जाय,क्या हम लडकिया बस मर्दो की गुलामी करने के लिए ही बनी है,क्या हम इंसान नही है,समाज के ठेकेदारों ने हमे ऐसा बना दिया है वरना हम भी लड़को से किसी भी मुकाबले में कम नही है,गार्गी,मैत्रियी भी तो लड़की ही थी,लक्ष्मी बाई,आनंदी(इंडिया की पहली महिला डॉक्टर),भी तो ….”
चटाक ….
एक जोरदार आवाज आयी ,पापा ने दीदी के गालो में एक थप्पड़ जड़ दिया था,
“शहर क्या चले गई ,अच्छा पति क्या मिल गया हमे ज्ञान दे रही है,”
पापा इतना बोलकर बाहर चले गए,दीदी के आंखों में आंसू आ गए थे,वो बिना कुछ बोले ही अंदर चले गयी……..
रात दीदी अपने कमरे में खामोश बैठी थी,कल ही होली थी और दीदी का मुड़ बहुत ही खराब था,
“दीदी क्या हुआ आप तो इन लोगो को जानती हो ना फिर भी …”मैं दीदी के पास पहुची
“ह्म्म्म जानती हु ,लड़की कुछ भी बोले तो उन्हें मार के चुप करा देते है,सच में सोनी आज तक मैंने तेरे जीजा जैसा मर्द नही देखा जो की लड़कियों की इतनी इज्जत करता हो,वो मुझे अपने पलको में बिठाकर रखते है,मेरा बहुत ख्याल रखते है”दीदी का चहरा जीजू के याद में खिल गया,
“अच्छा दीदी आप ने जीजू को उस समय क्यो डांट दिया था “अब दीदी के चहरे में मुस्कान आ गई
“अच्छा पहले तू बता की तेरा चहरा उस समय लाल क्यो हो गया था”
दीदी की बात से मैं शर्म से पानी पानी हो गई,
“क्या दीदी आप भी “
“अरे बता ना दीदी से क्या छुपा रही है”
“मुझे क्या पता बस कुछ अजीब सा लगा जब जीजू ने मुझे अपने सीने में दबाया “
दीदी मेरे गालो को प्यार से सहलाई और मेरे ठोड़ी को पकड़कर मेरा चहरा ऊपर किया जो की अभी शर्म से नीचे हो गया था,
“वह मेरी बिटिया अब सचमे बड़ी हो गई है,जीजू के सीने से तेरा ये टकराया ना “उन्होंने मेरे उजोरो को जोरो से दबाया
“आह दीदी छि “मैं और भी शर्मा गई थी लेकिन सच पूछो तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा
“क्यो बोल ना “दीदी ने जोर दिया लेकिन मैं सर नीचे किये ही ना में सर हिलाया
“ओहो ..समझ गई बदमाश सब समझ गई ,तेरे जीजू भी समझ गए थे और इसी लिए तेरे इन कबूतरों को देख रहे थे ,इसलिए उन्हें डांट पड़ी ,”
“क्यो “मैं पागलो जैसा प्रश्न कर बैठी ,जिसपर दीदी जोरो से हँसी
“क्योकि मेरी रानी उनका हक तेरे नही मेरे कबूतरों पर है”दीदी फिर से खिलखिलाई
“वो मेरे जीजू है देख लिया तो क्या हुआ “मैंने थोड़े शांत स्वर में कहा
“अच्छा तो कल इन्हें मसलवा भी लेना अपने जीजू से ,बड़ी आयी जीजू की साली “दीदी ने तोड़े मजाक में ही कहा था लेकिन मुझे ये सोच के ही कुछ अजीब सा लगा की जीजू का हाथ मेरे उजोरो को मसल रहा है,
“छि दीदी मैं क्यो मसलवाउ आप ही ऐसा करो “दीदी फिर से हँसी
“वो तो मैं रोज ही करवाती हु”दीदी ने हंसते हुए कहा ,लेकिन मेरी आंखे बड़ी हो गई
“दीदी आपको दर्द नही होता “मैं आश्चर्य में थी
“तू सच में अभी बच्ची ही है,तेरे जीजू को बोलकर तुझे थोड़ा बड़ा करना पड़ेगा नही तो यंहा के कमीने लड़को के ही जाल में फंस जाएगी “दीदी के बातो में थोड़ी गंभीरता थी जिसे मैं नही समझ पाई
“तुझे अभी बहुत पढ़ना है बहुत आगे जाना है ,इन लोगो को दिखाना है की एक गांव की लड़की क्या कर सकती है,और इसमें मैं और तेरे जीजू हमेशा तेरे साथ रहेंगे”दीदी अब सच में पूरी तरह से गंभीर थी,
“लेकिन दीदी पढ़ाई तो मैं कर ही रही हु,फिर मैं क्यो बिगडूंगी”
दीदी थोड़ी शांत हो गई
“तुझे नही पता की ये लोग कैसे है,जवान लड़की के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है ,और तेरी तो जवानी झलक रही है,पता नही अगर तुझे सबका चस्का लग गया तो फिर क्या होगा,साले तुझे बदनाम भी करेंगे और तेरा मजा भी उठाएंगे,....नही नही तू मेरे साथ ही रहना ,अब शहर में ही पड़ना ,”
दीदी जैसे अपने आप से ही बाते कर रही थी,जो की मेरे समझ के बाहर थी ,
“दीदी ...दीदी “मैंने थोड़े जोर से कहा
“ह्म्म्म ओह मैं तो ना जाने कहा खो गई थी,चल जल्दी सो जा कल होली है ना तेरे जीजू भी शाम तक आ जाएंगे …”
“मैं तो उनसे बहुत होली खेलूंगी “मैं बहुत ही एक्साइटेट थी,
“हम्म पता नही होली के अलावा और क्या क्या खेलने वाली है तू “दीदी की अजीब बात से मेरा मुह बन गया लेकिन दीदी हँस पड़ी
// सुनील पण्डित //
“जीजू …”मैं दौड़कर जीजा जी के गले से लग गई जब दीदी और जीजा जी होली के एक दिन पहले घर आये,एक एक फ्रॉक में थी जिसे मैं सिर्फ घर में ही पहनती थी ,जीजा जी के मजबूत सीने से जैसे ही मेरे बड़े स्तन ठकराये मैं थोड़ा पीछे हटने को हुई लेकिन तब तक तो जीजू ने भी मुझे कस लिया था ,अब तो मेरे स्तन उनके मजबूत सीने में धंस गए थे,और उनके हाथ मेरे पीठ पर थे जो ही उसे हल्के हल्के सहला रहे थे,मैं उसके कंधे में अपना सर रख कर थोड़ी देर तक खड़ी रही लेकिन जीजू ने मुझे थोड़ा दबा कर ही छोड़ दिया,मैं उनसे अलग हुई तो मेरे चहरे में लाली साफ थी मैं थोड़ी सी नर्वस हो गई थी ना जाने क्यो इस वाकये ने मुझे थोड़ा उत्तेजित कर दिया था,मैं अब जवान हो चुकी थी और मचलती हुई जवानी को सम्हालना ऐसे भी थोड़ा मुश्किल ही होता है,
“अच्छा पूरा प्यार बस जीजू पर ही उतार दे दीदी के लिए भी कुछ बचा है की नही “
सोनिया दीदी ने मुझे छेड़ा
“क्या दीदी आप भी “मैं उनके गले से जा लगी,
“ओह मेरी बेटी कितनी बड़ी लग रही है”दीदी ने मेरे गालो को खिंचा उन्हें तो अब भी मैं बच्ची ही लगती हु,जबकि वो मुझसे बस 2 साल की ही बड़ी है,
“क्या दीदी अभी तो 1 महीने पहले ही देखा था मुझे,”
“ये उम्र ही ऐसी है अभी तो इसके बढ़ने के दिन है”जीजू ने थोड़े अजीब अंदाज में कहा ,उनकी नजर मेरे वक्षो को घूर रही थी लेकिन उन्होंने जल्द ही नजर हटा ली,जिसे दीदी ने पकड़ लिया ..
“ह्म्म्म आप का इशारा तो मैं समझ रही हु,लेकिन खबरदार ये मेरी प्यारी बहन है”दीदी ने जीजू को आंखे दिखाई जो की हमारे समाज में कम ही होता है खासकर जब घरवाले भी मौजूद हो,
“ओह मेडम जी माफ कर दीजिये “जीजू ने कान पकड़कर बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा जिससे मैं और दीदी हँस पड़े लेकिन माँ ने दीदी को हल्के से मारा ,
“पति से ऐसे बात करते है ,वो भी सब के सामने “लेकिन दीदी और जीजू और मैं हंसते रहे वही पापा ,माँ थोड़े नर्वस हो गए,
जीजू दीदी को छोड़ अपने गांव को निकल गए थे उनके जाते ही पापा दीदी के ऊपर भड़क गए ,
“तुझे शर्म हया है की नही अपने पति से सबके सामने ऐसे बात करती है ,वो तो सीधा साधा पति मिल गया है तुझे वरना अभी तेरे गालो में दो झापड़ लगा देता”पापा मेरी तरफ मुड़े
“और तुझे शर्म हया है की नही ऐसे कपड़े पहन के घूम रही है और कैसे राज से लिपट गई थी,हमारे परिवार में कोई अपने भाई से भी ऐसे लिपटता है क्या वो तेरा जीजा है,कुछ उल्टा सीधा हो गया तो...अब जवान हो गई है और “पापा का गुस्सा इतना तेज था की मेरे आंखों में आंसू आ गए लेकिन दीदी पापा के ऊपर ही चढ़ गई ,
“आप लोग इस घटिया सोच से कब बाहर आओगे,वो तो मेरी किस्मत है की बिना ज्यादा पढ़े लिखे भी मुझे राज जी जैसे समझदार पति मिल गए वरना आप लोग तो मुझे भी किसी गवार के साथ ही बांध देते जो मुझे आपके सामने भी मारता तो आप लोग चुप चाप देखते और मेरी बहन को गंदी नजरो से देखता छेड़छाड़ करता फिर भी उसकी आवभगत करते”
दीदी गुस्से में लाल हो गई थी ,माँ को समझ आ गया की बात ज्यादा बढ़ सकती है उन्होंने दीदी को प्यार से समझने की सोची ,
“अरे बेटी हमारा समाज ही ऐसा है की लड़की को झुक कर रहना पड़ता है,अब हम समाज के बनाये हुए नियमो से तो बाहर नही जा सकते”
“समाज के नियंम हमारी सुविधा के लिए बनाये गए थे माँ,ना की इस लिए की लड़कियों का शोषण किया जाय,लड़कियों को जानवरो जैसे रखा जाय,क्या हम लडकिया बस मर्दो की गुलामी करने के लिए ही बनी है,क्या हम इंसान नही है,समाज के ठेकेदारों ने हमे ऐसा बना दिया है वरना हम भी लड़को से किसी भी मुकाबले में कम नही है,गार्गी,मैत्रियी भी तो लड़की ही थी,लक्ष्मी बाई,आनंदी(इंडिया की पहली महिला डॉक्टर),भी तो ….”
चटाक ….
एक जोरदार आवाज आयी ,पापा ने दीदी के गालो में एक थप्पड़ जड़ दिया था,
“शहर क्या चले गई ,अच्छा पति क्या मिल गया हमे ज्ञान दे रही है,”
पापा इतना बोलकर बाहर चले गए,दीदी के आंखों में आंसू आ गए थे,वो बिना कुछ बोले ही अंदर चले गयी……..
रात दीदी अपने कमरे में खामोश बैठी थी,कल ही होली थी और दीदी का मुड़ बहुत ही खराब था,
“दीदी क्या हुआ आप तो इन लोगो को जानती हो ना फिर भी …”मैं दीदी के पास पहुची
“ह्म्म्म जानती हु ,लड़की कुछ भी बोले तो उन्हें मार के चुप करा देते है,सच में सोनी आज तक मैंने तेरे जीजा जैसा मर्द नही देखा जो की लड़कियों की इतनी इज्जत करता हो,वो मुझे अपने पलको में बिठाकर रखते है,मेरा बहुत ख्याल रखते है”दीदी का चहरा जीजू के याद में खिल गया,
“अच्छा दीदी आप ने जीजू को उस समय क्यो डांट दिया था “अब दीदी के चहरे में मुस्कान आ गई
“अच्छा पहले तू बता की तेरा चहरा उस समय लाल क्यो हो गया था”
दीदी की बात से मैं शर्म से पानी पानी हो गई,
“क्या दीदी आप भी “
“अरे बता ना दीदी से क्या छुपा रही है”
“मुझे क्या पता बस कुछ अजीब सा लगा जब जीजू ने मुझे अपने सीने में दबाया “
दीदी मेरे गालो को प्यार से सहलाई और मेरे ठोड़ी को पकड़कर मेरा चहरा ऊपर किया जो की अभी शर्म से नीचे हो गया था,
“वह मेरी बिटिया अब सचमे बड़ी हो गई है,जीजू के सीने से तेरा ये टकराया ना “उन्होंने मेरे उजोरो को जोरो से दबाया
“आह दीदी छि “मैं और भी शर्मा गई थी लेकिन सच पूछो तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा
“क्यो बोल ना “दीदी ने जोर दिया लेकिन मैं सर नीचे किये ही ना में सर हिलाया
“ओहो ..समझ गई बदमाश सब समझ गई ,तेरे जीजू भी समझ गए थे और इसी लिए तेरे इन कबूतरों को देख रहे थे ,इसलिए उन्हें डांट पड़ी ,”
“क्यो “मैं पागलो जैसा प्रश्न कर बैठी ,जिसपर दीदी जोरो से हँसी
“क्योकि मेरी रानी उनका हक तेरे नही मेरे कबूतरों पर है”दीदी फिर से खिलखिलाई
“वो मेरे जीजू है देख लिया तो क्या हुआ “मैंने थोड़े शांत स्वर में कहा
“अच्छा तो कल इन्हें मसलवा भी लेना अपने जीजू से ,बड़ी आयी जीजू की साली “दीदी ने तोड़े मजाक में ही कहा था लेकिन मुझे ये सोच के ही कुछ अजीब सा लगा की जीजू का हाथ मेरे उजोरो को मसल रहा है,
“छि दीदी मैं क्यो मसलवाउ आप ही ऐसा करो “दीदी फिर से हँसी
“वो तो मैं रोज ही करवाती हु”दीदी ने हंसते हुए कहा ,लेकिन मेरी आंखे बड़ी हो गई
“दीदी आपको दर्द नही होता “मैं आश्चर्य में थी
“तू सच में अभी बच्ची ही है,तेरे जीजू को बोलकर तुझे थोड़ा बड़ा करना पड़ेगा नही तो यंहा के कमीने लड़को के ही जाल में फंस जाएगी “दीदी के बातो में थोड़ी गंभीरता थी जिसे मैं नही समझ पाई
“तुझे अभी बहुत पढ़ना है बहुत आगे जाना है ,इन लोगो को दिखाना है की एक गांव की लड़की क्या कर सकती है,और इसमें मैं और तेरे जीजू हमेशा तेरे साथ रहेंगे”दीदी अब सच में पूरी तरह से गंभीर थी,
“लेकिन दीदी पढ़ाई तो मैं कर ही रही हु,फिर मैं क्यो बिगडूंगी”
दीदी थोड़ी शांत हो गई
“तुझे नही पता की ये लोग कैसे है,जवान लड़की के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है ,और तेरी तो जवानी झलक रही है,पता नही अगर तुझे सबका चस्का लग गया तो फिर क्या होगा,साले तुझे बदनाम भी करेंगे और तेरा मजा भी उठाएंगे,....नही नही तू मेरे साथ ही रहना ,अब शहर में ही पड़ना ,”
दीदी जैसे अपने आप से ही बाते कर रही थी,जो की मेरे समझ के बाहर थी ,
“दीदी ...दीदी “मैंने थोड़े जोर से कहा
“ह्म्म्म ओह मैं तो ना जाने कहा खो गई थी,चल जल्दी सो जा कल होली है ना तेरे जीजू भी शाम तक आ जाएंगे …”
“मैं तो उनसे बहुत होली खेलूंगी “मैं बहुत ही एक्साइटेट थी,
“हम्म पता नही होली के अलावा और क्या क्या खेलने वाली है तू “दीदी की अजीब बात से मेरा मुह बन गया लेकिन दीदी हँस पड़ी
// सुनील पण्डित //
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!