17-03-2019, 11:58 AM
दोस्तों ! नमस्कार !
मैं कई कहानियां literotica dot com (किन्ही कारणों से ) अलग अलग नाम से पोस्ट की थी (जैसे की masterji1970, seksyseema, seemawithravi, raviram69 आदि), जो की मैं इस BIG PLATFORM पर पोस्ट करने जा रहा हूँ //
आपसे सहयोग की उम्मीद से ...
आपका
// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit)
// दोस्तों यह कहानी मुझे इटरनेट पर मिली थी / मुझे ये कहानी बहुत पसंद है / इस कहानी का असली श्रेय इसके लेखक को ही मिलता चाहिए //
// दोस्तों ! मैंने कहानी को कुछ ज्यादा सेंसुअल व् सेक्सी बनाने के लिए अपनी तरफ से कुछ edit किया है, ताकि कहानी में कुछ और आनंद को बढाया जा सके / क्योंकि कहानी जितनी ज्यादा विस्तृत होगी, कहानी का मजा उतना ही ज्यादा आयेगा //
// सुनील पण्डित //
अध्याय 1
होली का मौसम, गर्मी की शुरुवात और ठंड का अंत, ये मौसम ही बना ही मौज मस्ती के लिए इसीलिए शायद हमारे पूर्वजो ने होली की शुरुवात की, रंगों का त्यौहार, मस्ती का त्यौहार, लेकिन बदलते हुए सालो में और परिस्थितियों ने इस त्यौहार के स्वरूप को ही बदल दिया है, आज होली में दारू पीने वालो, नशे में हुल्लड़ करने वालो और मस्ती के नाम पर सामाजिक मर्यादाओ को भंग करने वालो की जमात ही दिखाई देती है , परिवार के लोग इन सबसे थोड़ा दूर ही रहते है ,लेकिन गांव में नही वहां का मौहोल आज भी उतना ही निर्दोष बना हुआ है,लेकिन इस शराब ने वहां का माहौल भी खराब किये हुए है, फिर भी पारिवारिक लोग भी इसका मजा उठाते है,और खासकर मेरे गांव में तो खूब होली खेली जाती है,
ये कहानी मेरे उस होली की है जिसे मैं कभी भूल नही सकती ,जिसमे एक दीवार गिरी और मैं लड़की से एक औरत बनी……
मेरा नाम सोना है ,अभी अभी मेरी बड़ी दीदी सपना की शादी राज नामक लड़के से हुई जो की पास के ही गांव का रहने वाला है लेकिन शहर में रहकर जॉब करता है,शादी को अभी 5 महीने ही हुए थे की होली ने दस्तक दी ,मेरे जीजा और दीदी बहुत ही अच्छे और मुझे बहुत ही प्यार करने वाले है,मैं अभी कालेज में हु जो की पास के ही कस्बे में पड़ता है,मेरी दीदी ने मुझे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था ,जबकी मेरे घर वाले लड़की को पढ़ना ठिक ही नही समझते,
घर वालो के इसी रवैये का भुगतान मेरी दीदी ने भी किया था,उन्हें कालेज जाने ही नही दिया गया,लेकिन उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया और घर वालो से लड़कर मुझे कालेज भेजा,जीजू भी बहुत ही ओपन माइंड के है ,वो मेरे गांव के पहले दामाद थे जिन्होंने दहेज नही लिया,हमारे परिवार में उनकी इज्जत इसी बजह से बहुत ही ज्यादा होती है,दूसरी ओर हमारे समाज में लड़के वाले हमेशा से ही अपनी मनमानी करते रहे है खासकर दामाद तो जैसे लड़की के घरवालों के लिए भगवान ही होता है,
वो कुछ भी गलत करे सब माफ,यहां तक की मैंने कई लोगो को लड़कियों को मरते ही देखा है और घरवाले लड़की को ही डांट लगा देते है की पति है थोड़ा मार भी दिया तो क्या हो गया,मर्द है किसी दूसरी लड़की के साथ संबंध बना भी लिया तो क्या हो गया...मुझे इन सब चीजो से और ऐसे सोच से घिन सी आती है लेकिन क्या करे समाज में सोच ऐसे घर कर गई है की इसे युही तो मिटाया नही जा सकता इसके लिए लड़कियों को पढ़ना और आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा,
ऐसे इस मामले में जीजू जी का कोई जवाब नही वो दीदी को थोड़ी भी तकलीफ नही देते,बल्कि हमारे घर वालो की मदद को भी तैयार रहते है,और कोई भी नखरा नही दिखाते,सच कहु तो मेरे जीजू सोना है,...
सपना दीदी और मैं दोनो ही बहुत ही गोरी और गांव की भरी हुई लडकिया है,गांव में घूमना और खेतो और घर के काम करना हमे पसंद रहा,गांव वालो की गंदी नजर हमेशा से ही हम पर रही लेकिन सपना दीदी के रहते कोई भी आंख उठाकर देखने की हिम्मत नही करता वो किसी को भी माँ बहन की गली देने से नही चूकती थी ,लेकिन मेरा स्वभाव थोड़ा शांत है और उनके जाने के बाद ही मुझे पता चला की मैं जवान हो गई हु और मर्दो के लिए इतनी आकर्षक हो गई हु ,
मेरे उजोरो की चोटी छुपे नही छुपती और गोल नितम्भ जैसे सब कुछ कहना चाहती हो,गोरा बदन और मदमस्त यौवन की वजह से मेरे पीछे गांव के हर आवारा लड़के पड़े रहते है,यहां तक की अधेड़ और बुड्ढे भी मेरी जवानी को निहारे बिना नही रहते,मेरे रिस्ते के चाचा और ताऊ भी नजर बचा कर मुझे निहार ही लेते है,पहले तो मुझे कुछ समझ नही आता था लेकिन उनका यू देखना या तो मेरे मन में उनके लिए घृणा भर देता या मैं थोड़ी मचल जाती ,
आखिर जवानी का उफान थो मेरे अंदर भी था लेकिन ये कब फूटने वाला था और कैसे फूटने वाला था ये तो मैंने सपने भी नही सोचा था….
मैं कई कहानियां literotica dot com (किन्ही कारणों से ) अलग अलग नाम से पोस्ट की थी (जैसे की masterji1970, seksyseema, seemawithravi, raviram69 आदि), जो की मैं इस BIG PLATFORM पर पोस्ट करने जा रहा हूँ //
आपसे सहयोग की उम्मीद से ...
आपका
// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit)
// दोस्तों यह कहानी मुझे इटरनेट पर मिली थी / मुझे ये कहानी बहुत पसंद है / इस कहानी का असली श्रेय इसके लेखक को ही मिलता चाहिए //
// दोस्तों ! मैंने कहानी को कुछ ज्यादा सेंसुअल व् सेक्सी बनाने के लिए अपनी तरफ से कुछ edit किया है, ताकि कहानी में कुछ और आनंद को बढाया जा सके / क्योंकि कहानी जितनी ज्यादा विस्तृत होगी, कहानी का मजा उतना ही ज्यादा आयेगा //
// सुनील पण्डित //
//होली में जीजा ने चोली के बटन खोले, नंगी करके मुम्मे पर रंग लगाया //
अध्याय 1
होली का मौसम, गर्मी की शुरुवात और ठंड का अंत, ये मौसम ही बना ही मौज मस्ती के लिए इसीलिए शायद हमारे पूर्वजो ने होली की शुरुवात की, रंगों का त्यौहार, मस्ती का त्यौहार, लेकिन बदलते हुए सालो में और परिस्थितियों ने इस त्यौहार के स्वरूप को ही बदल दिया है, आज होली में दारू पीने वालो, नशे में हुल्लड़ करने वालो और मस्ती के नाम पर सामाजिक मर्यादाओ को भंग करने वालो की जमात ही दिखाई देती है , परिवार के लोग इन सबसे थोड़ा दूर ही रहते है ,लेकिन गांव में नही वहां का मौहोल आज भी उतना ही निर्दोष बना हुआ है,लेकिन इस शराब ने वहां का माहौल भी खराब किये हुए है, फिर भी पारिवारिक लोग भी इसका मजा उठाते है,और खासकर मेरे गांव में तो खूब होली खेली जाती है,
ये कहानी मेरे उस होली की है जिसे मैं कभी भूल नही सकती ,जिसमे एक दीवार गिरी और मैं लड़की से एक औरत बनी……
मेरा नाम सोना है ,अभी अभी मेरी बड़ी दीदी सपना की शादी राज नामक लड़के से हुई जो की पास के ही गांव का रहने वाला है लेकिन शहर में रहकर जॉब करता है,शादी को अभी 5 महीने ही हुए थे की होली ने दस्तक दी ,मेरे जीजा और दीदी बहुत ही अच्छे और मुझे बहुत ही प्यार करने वाले है,मैं अभी कालेज में हु जो की पास के ही कस्बे में पड़ता है,मेरी दीदी ने मुझे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था ,जबकी मेरे घर वाले लड़की को पढ़ना ठिक ही नही समझते,
घर वालो के इसी रवैये का भुगतान मेरी दीदी ने भी किया था,उन्हें कालेज जाने ही नही दिया गया,लेकिन उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया और घर वालो से लड़कर मुझे कालेज भेजा,जीजू भी बहुत ही ओपन माइंड के है ,वो मेरे गांव के पहले दामाद थे जिन्होंने दहेज नही लिया,हमारे परिवार में उनकी इज्जत इसी बजह से बहुत ही ज्यादा होती है,दूसरी ओर हमारे समाज में लड़के वाले हमेशा से ही अपनी मनमानी करते रहे है खासकर दामाद तो जैसे लड़की के घरवालों के लिए भगवान ही होता है,
वो कुछ भी गलत करे सब माफ,यहां तक की मैंने कई लोगो को लड़कियों को मरते ही देखा है और घरवाले लड़की को ही डांट लगा देते है की पति है थोड़ा मार भी दिया तो क्या हो गया,मर्द है किसी दूसरी लड़की के साथ संबंध बना भी लिया तो क्या हो गया...मुझे इन सब चीजो से और ऐसे सोच से घिन सी आती है लेकिन क्या करे समाज में सोच ऐसे घर कर गई है की इसे युही तो मिटाया नही जा सकता इसके लिए लड़कियों को पढ़ना और आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा,
ऐसे इस मामले में जीजू जी का कोई जवाब नही वो दीदी को थोड़ी भी तकलीफ नही देते,बल्कि हमारे घर वालो की मदद को भी तैयार रहते है,और कोई भी नखरा नही दिखाते,सच कहु तो मेरे जीजू सोना है,...
सपना दीदी और मैं दोनो ही बहुत ही गोरी और गांव की भरी हुई लडकिया है,गांव में घूमना और खेतो और घर के काम करना हमे पसंद रहा,गांव वालो की गंदी नजर हमेशा से ही हम पर रही लेकिन सपना दीदी के रहते कोई भी आंख उठाकर देखने की हिम्मत नही करता वो किसी को भी माँ बहन की गली देने से नही चूकती थी ,लेकिन मेरा स्वभाव थोड़ा शांत है और उनके जाने के बाद ही मुझे पता चला की मैं जवान हो गई हु और मर्दो के लिए इतनी आकर्षक हो गई हु ,
मेरे उजोरो की चोटी छुपे नही छुपती और गोल नितम्भ जैसे सब कुछ कहना चाहती हो,गोरा बदन और मदमस्त यौवन की वजह से मेरे पीछे गांव के हर आवारा लड़के पड़े रहते है,यहां तक की अधेड़ और बुड्ढे भी मेरी जवानी को निहारे बिना नही रहते,मेरे रिस्ते के चाचा और ताऊ भी नजर बचा कर मुझे निहार ही लेते है,पहले तो मुझे कुछ समझ नही आता था लेकिन उनका यू देखना या तो मेरे मन में उनके लिए घृणा भर देता या मैं थोड़ी मचल जाती ,
आखिर जवानी का उफान थो मेरे अंदर भी था लेकिन ये कब फूटने वाला था और कैसे फूटने वाला था ये तो मैंने सपने भी नही सोचा था….
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!