17-03-2019, 09:55 AM
सास : हाट स्वीट सास
जाने से पहले रीतू भाभी इनसे जम के गले मिलीं , चूम्मा चाटी हुयी , एकदम खुल के और इन्होने अपनी सलहज की चूंचिया और चूतड़ दबाये
तो मेरी भाभी ने भी , उनका हथियार दबा के बोला , कल बताउंगी सलहज का मजा।
फिर मम्मी को सुनाती बोलीं ,
" अरे ननदोई जी आज रात मौका है , अपनी पत्नी के मातृभूमि का दर्शन जरूर कर लीजियेगा। "
" हँसते हुए , अपनी सलहज को दबाते हुये वो बोले , ' एकदम '.
" उस खाई को देख लीजियेगा जहाँ से ये मेरी मेरी प्यारी ननद और आपकी सेक्सी सालियाँ निकली हैं "
वो बोली
" एकदम सलहज जी , सिर्फ देख ही नहीं लूंगा , बल्कि गहराई की नाप जोख भी कर लूंगा " वो कहाँ चूकने वाले थे।
....
मम्मी बगल में खड़ी मुस्करा रही थी।
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना था।
आज दिन में तो उसकी किताब खुली तकनहीं थी और दो दिन बाद , उसके हाईकॉलेज के बोर्ड के इक्जाम का पहला पेपर था वो भी मैथ का। रीतू भाभी की एक छोटी ननद थी , टीचर। तय ये हुआ था की वो आज रात उसे पूरी तरह रिवाइज करवाएंगी और अगले दिन भी वो उन्ही के साथ पढ़ेगी यहाँ घर पे तो होली का हंगामा रहेगा। हाँ , हम लोगों के जाने के पहले वो कल शाम को आ जायेगी।
छुटकी बोली , " मम्मी मैं भी जाऊं , भाभी के साथ , कल सुबह आ आउंगी , भाभी के साथ "
एकदम , मम्मी बोलीं।
वो तीनो लोग चली गयी।
बचे हम तीन।
मम्मी , मैं और ये।
….शाम से ही मम्मी उन्हें जबरदस्त लाइन मार रही थीं , ललचा लुभा रही थी. और उनके मुंह से पानी टपक रहा था।
वो मम्मी के उभारों के जबरदस्त दीवाने थे आगे के भी , पीछे के भी।
ये बात मुझे पता थी और मम्मी को भी।
मैंने उन्हें और नंदोई जी को बात करते सुना था। नंदोई जी बोले
" यार तेरी सास के चूतड़ गजब के हैं। "
" सिर्फ चूतड़ ही नहीं , चूंचियां भी , एकदम भरी भरी और मस्त कड़ी। मन करता है दोनों चूची पकड़ के निहुरा के चोद दूँ "
वो बोले। फिर कुछ रुक के जोड़ा ,
" और चूंचियां ऐसे ब्लाउज से बाहर टपकती रहती हैं , बस मन करता है चूस लूं , दबा दबा के सब रस पी लूँ। "
पहले तो मुझे कुछ बुरा लगा
फिर मैंने सोचा की यार अगर दो जवान मर्द मम्मी के जोबन फिदा हैं इस तरह तो ये तो खुश होने की बात है। "
और आज शाम से मम्मी का जोबन सच में ब्लाउज से टपका पड रहा था।
उन्होंने सफेद रंग का ब्लाउज पहन रखा था , स्लीवलेस और वो भी साइड से बहुत गहरा कटा हुआ।
न सिर्फ उनकी मांसल काँखे साफ दिख रही थी , बल्कि उसमें छोटे छोटे काले बाल भी।
चोली स्टाइलका , लो कट आलमोस्ट बैकलेस और बहुत ही टाइट। मम्मी के 38 डी डी वाले उभारो का न सिर्फ कटाव और उभार दिख रहा था , बाली वो सफेद पारभासी ब्लाउज में खुल के झलक भी रहे थे।
खाने की मेज पे जब वो झुक के उन्हें कुछ परोसतीं , तो उनके ग़द्दर दूधिया जोबन तो दिखते ही , अठ्ठनी के साइज के जामुनी रंग के बड़े बड़े खड़े निपल भी झाँक रहे थे।
और यही नहीं , साडी भी उन्होंने शिफॉन की पहन रखी थी , आलमोस्ट ट्रांसपरेंट।
कूल्हे के भी नीचे से बांधी , और वो भी बहुत टाइट।
और तरबूज क दो फांक ऐसे उनके बड़े चूतड़ , जब वो चलती तो कसर मसर , कसर मसर करते दीखते ही ,
बीच की दरार भी साफ साफ झलक रही थी।
और अब आज रात घर में सिर्फ वो मैं और मम्मी थे।
छुटकी , मंझली और रीतू भाभी के जाने के बाद मम्मी ने बाहर का दरवाजा बंद किया ,
और अपने बेड रूम की ओर चल दी. उनके पीछे , ' वो ' और , सबसे पीछे मैं।
मम्मी ने बेड रूम में पहुँच के दरवाजा बंद कर लिया , और मुड़ के मुझसे कहा
" हे , सुन हमीं तो हैं , आज तू मेरे पास ही सो जा। "
शादी के पहले भी मैं अक्सर मम्मी के पास ही सोती थी।
" और मम्मी , मैं? " वो भी बोले।
मम्मी ने प्यार से उन्हें बाहों में भरा , और उनके बालो पे हाथ फिराते बोलीं ,
" एकदम , क्यों नहीं एक और मेरी बेटी और एक ओर बेटा। "
मम्मी के हाथ उठाने से साइड से उनके उभारो का 'स्वेल ' एकदम साफ दिख रहा था बल्कि उनके गालों से रगड़ खा रहा था और उनकी कांख और उसके छोटे छोटे बाल भी , सीधे उनकी नाक के पास। वो महक किसी को भी पागल बना देती , वो तो पहले से ही पागल थे मम्मी के जोबन के।
उसी तरह उनसे से सटी चिपकी मम्मी ने उन्हें और छेड़ा ,
" लेकिन तुम क्या इतने ढेर सारे कपडे पहन के सोते हो। "
वो एक टाइट टी शर्ट और बॉक्सर शार्ट पहने थे।
" एकदम नहीं , मम्मी "
मैं बोली ।
अब मैं भी मैदान में आ गयी और जब तक वो कुछ समझे , मैंने और मम्मी ने उनकी शर्ट खींच के निकाल दी।
अब वो सिर्फ बहुत छोटे से बॉक्सर शार्ट में थे , और अब उनकी सारी मसल्स साफ दिख रही थीं।
मम्मी उनकी शर्ट खूंटी पे टांग रही थी तो मैंने पाला बदला और अब 'उनकी ' और आ गयी।
" मम्मी क्या आप इत्ते ढेर सारे कपडे पहन के सोएंगी "
और मैंने मम्मी का आँचल पकड़ के खींचा। थोड़ी देर में उनकी साडी मेरे हाथ में थी और वो भी सिर्फ , साया ब्लाउज में।
मम्मी की साडी उनके शर्ट के ऊपर मैंने टांग दी।
लेकिन मैं कैसे बचती।
मम्मी ने मेरी साडी खींच दी।
हम दोनों मा बेटी के साथ साथ पक्की सहेली भी थे।
कुछ ही देर में हम सब बिस्तर पे थे। मम्मी बीच में और मैं और वो दोनो साइड में।
मैंने लाइट बंद कर दी , लेकिन नाइट लाइट में अभी भी सब कुछ दिख रहा था।
वो लललचायी नजरो से मम्मी के सफेद ब्लाउज से झांकते मम्मों को देख रहे थे , लेकिन बेचारे , झिझक भी रहे थे।
पहल मैंने ही की।
मैं अपने 'इनके ' लिए कुछ भी कर सकती थी।
जाने से पहले रीतू भाभी इनसे जम के गले मिलीं , चूम्मा चाटी हुयी , एकदम खुल के और इन्होने अपनी सलहज की चूंचिया और चूतड़ दबाये
तो मेरी भाभी ने भी , उनका हथियार दबा के बोला , कल बताउंगी सलहज का मजा।
फिर मम्मी को सुनाती बोलीं ,
" अरे ननदोई जी आज रात मौका है , अपनी पत्नी के मातृभूमि का दर्शन जरूर कर लीजियेगा। "
" हँसते हुए , अपनी सलहज को दबाते हुये वो बोले , ' एकदम '.
" उस खाई को देख लीजियेगा जहाँ से ये मेरी मेरी प्यारी ननद और आपकी सेक्सी सालियाँ निकली हैं "
वो बोली
" एकदम सलहज जी , सिर्फ देख ही नहीं लूंगा , बल्कि गहराई की नाप जोख भी कर लूंगा " वो कहाँ चूकने वाले थे।
....
मम्मी बगल में खड़ी मुस्करा रही थी।
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना था।
आज दिन में तो उसकी किताब खुली तकनहीं थी और दो दिन बाद , उसके हाईकॉलेज के बोर्ड के इक्जाम का पहला पेपर था वो भी मैथ का। रीतू भाभी की एक छोटी ननद थी , टीचर। तय ये हुआ था की वो आज रात उसे पूरी तरह रिवाइज करवाएंगी और अगले दिन भी वो उन्ही के साथ पढ़ेगी यहाँ घर पे तो होली का हंगामा रहेगा। हाँ , हम लोगों के जाने के पहले वो कल शाम को आ जायेगी।
छुटकी बोली , " मम्मी मैं भी जाऊं , भाभी के साथ , कल सुबह आ आउंगी , भाभी के साथ "
एकदम , मम्मी बोलीं।
वो तीनो लोग चली गयी।
बचे हम तीन।
मम्मी , मैं और ये।
….शाम से ही मम्मी उन्हें जबरदस्त लाइन मार रही थीं , ललचा लुभा रही थी. और उनके मुंह से पानी टपक रहा था।
वो मम्मी के उभारों के जबरदस्त दीवाने थे आगे के भी , पीछे के भी।
ये बात मुझे पता थी और मम्मी को भी।
मैंने उन्हें और नंदोई जी को बात करते सुना था। नंदोई जी बोले
" यार तेरी सास के चूतड़ गजब के हैं। "
" सिर्फ चूतड़ ही नहीं , चूंचियां भी , एकदम भरी भरी और मस्त कड़ी। मन करता है दोनों चूची पकड़ के निहुरा के चोद दूँ "
वो बोले। फिर कुछ रुक के जोड़ा ,
" और चूंचियां ऐसे ब्लाउज से बाहर टपकती रहती हैं , बस मन करता है चूस लूं , दबा दबा के सब रस पी लूँ। "
पहले तो मुझे कुछ बुरा लगा
फिर मैंने सोचा की यार अगर दो जवान मर्द मम्मी के जोबन फिदा हैं इस तरह तो ये तो खुश होने की बात है। "
और आज शाम से मम्मी का जोबन सच में ब्लाउज से टपका पड रहा था।
उन्होंने सफेद रंग का ब्लाउज पहन रखा था , स्लीवलेस और वो भी साइड से बहुत गहरा कटा हुआ।
न सिर्फ उनकी मांसल काँखे साफ दिख रही थी , बल्कि उसमें छोटे छोटे काले बाल भी।
चोली स्टाइलका , लो कट आलमोस्ट बैकलेस और बहुत ही टाइट। मम्मी के 38 डी डी वाले उभारो का न सिर्फ कटाव और उभार दिख रहा था , बाली वो सफेद पारभासी ब्लाउज में खुल के झलक भी रहे थे।
खाने की मेज पे जब वो झुक के उन्हें कुछ परोसतीं , तो उनके ग़द्दर दूधिया जोबन तो दिखते ही , अठ्ठनी के साइज के जामुनी रंग के बड़े बड़े खड़े निपल भी झाँक रहे थे।
और यही नहीं , साडी भी उन्होंने शिफॉन की पहन रखी थी , आलमोस्ट ट्रांसपरेंट।
कूल्हे के भी नीचे से बांधी , और वो भी बहुत टाइट।
और तरबूज क दो फांक ऐसे उनके बड़े चूतड़ , जब वो चलती तो कसर मसर , कसर मसर करते दीखते ही ,
बीच की दरार भी साफ साफ झलक रही थी।
और अब आज रात घर में सिर्फ वो मैं और मम्मी थे।
छुटकी , मंझली और रीतू भाभी के जाने के बाद मम्मी ने बाहर का दरवाजा बंद किया ,
और अपने बेड रूम की ओर चल दी. उनके पीछे , ' वो ' और , सबसे पीछे मैं।
मम्मी ने बेड रूम में पहुँच के दरवाजा बंद कर लिया , और मुड़ के मुझसे कहा
" हे , सुन हमीं तो हैं , आज तू मेरे पास ही सो जा। "
शादी के पहले भी मैं अक्सर मम्मी के पास ही सोती थी।
" और मम्मी , मैं? " वो भी बोले।
मम्मी ने प्यार से उन्हें बाहों में भरा , और उनके बालो पे हाथ फिराते बोलीं ,
" एकदम , क्यों नहीं एक और मेरी बेटी और एक ओर बेटा। "
मम्मी के हाथ उठाने से साइड से उनके उभारो का 'स्वेल ' एकदम साफ दिख रहा था बल्कि उनके गालों से रगड़ खा रहा था और उनकी कांख और उसके छोटे छोटे बाल भी , सीधे उनकी नाक के पास। वो महक किसी को भी पागल बना देती , वो तो पहले से ही पागल थे मम्मी के जोबन के।
उसी तरह उनसे से सटी चिपकी मम्मी ने उन्हें और छेड़ा ,
" लेकिन तुम क्या इतने ढेर सारे कपडे पहन के सोते हो। "
वो एक टाइट टी शर्ट और बॉक्सर शार्ट पहने थे।
" एकदम नहीं , मम्मी "
मैं बोली ।
अब मैं भी मैदान में आ गयी और जब तक वो कुछ समझे , मैंने और मम्मी ने उनकी शर्ट खींच के निकाल दी।
अब वो सिर्फ बहुत छोटे से बॉक्सर शार्ट में थे , और अब उनकी सारी मसल्स साफ दिख रही थीं।
मम्मी उनकी शर्ट खूंटी पे टांग रही थी तो मैंने पाला बदला और अब 'उनकी ' और आ गयी।
" मम्मी क्या आप इत्ते ढेर सारे कपडे पहन के सोएंगी "
और मैंने मम्मी का आँचल पकड़ के खींचा। थोड़ी देर में उनकी साडी मेरे हाथ में थी और वो भी सिर्फ , साया ब्लाउज में।
मम्मी की साडी उनके शर्ट के ऊपर मैंने टांग दी।
लेकिन मैं कैसे बचती।
मम्मी ने मेरी साडी खींच दी।
हम दोनों मा बेटी के साथ साथ पक्की सहेली भी थे।
कुछ ही देर में हम सब बिस्तर पे थे। मम्मी बीच में और मैं और वो दोनो साइड में।
मैंने लाइट बंद कर दी , लेकिन नाइट लाइट में अभी भी सब कुछ दिख रहा था।
वो लललचायी नजरो से मम्मी के सफेद ब्लाउज से झांकते मम्मों को देख रहे थे , लेकिन बेचारे , झिझक भी रहे थे।
पहल मैंने ही की।
मैं अपने 'इनके ' लिए कुछ भी कर सकती थी।