13-11-2020, 04:30 PM
पर मुझे तो कैसे भी उनके रसीले होठो का रस पीना था। मैंने उनकी बात नही मानी और आखिर में उनके होठ से अपने होठ जोड़ दिए और मुंह में लेकर चूस डाला। नीचे चुदाई की क्रिया चालू थी। कुहू मौसी की सांसो की खुशबु लेते हुए मैं कमर उठा उठाकर उनकी चूत मारने लगा। वो “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” करती रही। फिर धीरे धीरे मुझसे सब शर्म दूर हो गयी। मुझे अपना बॉयफ्रेंड बनाकर सेक्स करने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.