13-11-2020, 04:25 PM
बहुत देर तक मेरा लंड चूसने के बाद मैंने मौसी की चूत को बजाने के लिया तैयार हो गया और अपने मोटे लंड से मौसी की रबड़ी की तरह मुलायम और रसीली चूत के गुलाबी दाने पर रगड़ने लगा, मौसी तो कामातुर होती जा रही थी। मैंने जानवारो की तरह अपने लंड से मौसी की चूत में जोर लगा के डालने लगा। जब मैंने अपनी मौसी की फुद्दी को बजाना शुरू किया तो पहले मेरी रफ़्तार धीमी थी और मौसी के चीखने की आवाज़ भी धीमी थी। लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने मेरे मोटे लंड की मौसी की कोमल चूत में जाने की रफ़्तार बढ़ने लगी तो मौसी भी बड़ी तेज से ………….. प्लीसससससस……..प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” माँ माँ….ओह माँ” करके चीखने लगी लेकिन जितना जादा चीख रही थी उन्हें उतना ही मजा आ रहा था। मै लगातार अपने लंड को अपने मौसी की चूत माँ डाल रहा था, मेरा लंड कभी अंदर तो कभी बाहर। मेरी रफ़्तार बहुत तेज हो गई, मै बहुत तेजी से मौसी की फुद्दी को बजा रहा था और मौसी भी बड़े मज़े से चीखती हुई मेरे लंड का मजा उठा रही थी। उनको मेरे लंड से चुदने में इतना मजा आ रहा था की वो अपनी कमर और गांड को उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.