13-11-2020, 04:24 PM
नाभि को पीने के बाद मैंने अपनी मौसी की चूत को पैंटी के ऊपर से सूंघना शुरू किया, और साथ में मै अपने हाथो से उनकी मस्त मस्त चूचियों को भी दबा रहा था। मैंने मौसी की पैंटी को निकल कर उस सूंघने लगा, पैंटी से मौसी के जिस्म की खुशबू मेरे अंदर जा कर मेरी कमोतेजना को बढ़ा रही थी। मैंने अपनी मौसी की चूत को पीने से पहले मैंने उनकी टांगो को चाटते हुए मै उनकी कोमल और चिकनी जांघों पर पहुंचा। जब मै उनके पूरे शरीर को चट रहा था, तो मौसी …..अहह आह आह …..हा ह हा ….. सी सी सी …… करके सिसक रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.