13-11-2020, 04:16 PM
मासी की चीखे निकल जाती। फिर भी मासी “..उंह उंह उंह हू… हूँ…हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह…अई… अई…अई…..” करती रहती और गांड उठा उठा के मरवाती रहती। मैं कब झड़ने वाला हो रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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