13-11-2020, 04:10 PM
मासी की साँसे गरम गरम बाहर निकल रही थी। जब भी मै मासी का निप्पल काटता मासी..अई…अई… अई..अई. .इसस्..स्स्स्..स्स्..स्स् करने लगती।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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