13-11-2020, 03:30 PM
र फिर मौक़ा नहीं मिला था पुरे साल, क्यों की भाई राखी के तीसरे दिन ही वापस दिल्ली चला गया था, और उसकी जॉब लग गई थी दुबई चला गया था वह उसकी जॉब लग गई थी. कल ही फ़ोन आया बोला मैं आज रात दिल्ली पहुंच रहा हु, मैं रक्षाबंधन में अपने बहन को कैसे नाराज कर सकता हु. हम दोनों हसने लगे. मैं भी फिर से एक बार मजे लेने के मूड में हु.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
