13-11-2020, 03:22 PM
माँ तैयार हो गई, वो वो दोनों मामा घर के लिए निकल पड़े. बोले देखो बहुत दिन बाद जा रहे है, अगर रात को आने नहीं दे तो सुबह सुबह आएंगे, तुम दोनों भाई बहन अच्छे से रहना. खूब मस्ती करना, और हां ये ले दो हजार रूपये फिल्म देख लेना और जो मन होगा खरीद भी लेना. वो दोनों चले गए और अब हम दोनों को तो खुली छूट मिल गई थी. दोनों घूमने निकल गए . मोवी देखि खाना खाया पर कुछ खरीदी नहीं, शाम को करीब चार बज रहे थे तभी माँ पापा का फ़ोन आया वो दोनों बोले हम लोग सुबह आएंगे.
मेरा भाई थोड़ा चुपचाप हो गया था, शायद वो डर रहा था, और डरना भी चाहिए, पर मैं सब कुछ समझ गई थी, मैं पूछी भइया इस रक्षा बंधन पर आपने इतना कुछ दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, और हां आपने भी बोला था मैं भी गिफ्ट लूंगा, अभी तक आपने माँगा नहीं, तो वो बोले नहीं नहीं छोडो, मुझे पता नहीं नहीं दोगी. मैं बोली मांग कर तो देखो . वो बोले नहीं नहीं, छोडो, मैंने बोली अरे बोलो तो सही, वो हड़बड़ा रहे थे, मैं समझ गई, मैं आगे बढ़ी और उनके आँखों में आँखे डाल कर बोली, चलो मानगो जो लेना है, वो बडबाडते हुए कांपते हुए होठो से बोले,
मेरा भाई थोड़ा चुपचाप हो गया था, शायद वो डर रहा था, और डरना भी चाहिए, पर मैं सब कुछ समझ गई थी, मैं पूछी भइया इस रक्षा बंधन पर आपने इतना कुछ दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, और हां आपने भी बोला था मैं भी गिफ्ट लूंगा, अभी तक आपने माँगा नहीं, तो वो बोले नहीं नहीं छोडो, मुझे पता नहीं नहीं दोगी. मैं बोली मांग कर तो देखो . वो बोले नहीं नहीं, छोडो, मैंने बोली अरे बोलो तो सही, वो हड़बड़ा रहे थे, मैं समझ गई, मैं आगे बढ़ी और उनके आँखों में आँखे डाल कर बोली, चलो मानगो जो लेना है, वो बडबाडते हुए कांपते हुए होठो से बोले,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
