13-11-2020, 03:22 PM
और फिर मिठाई खिलाई, भैया ने मुझे दो हजार रूपये दिए, माँ पापा बोले अरे वह दो हजार, क्या बात है? अपने बहन से बहुत प्यार करने लगा है, पिछले साल तक तो पांच सौ देता था, और सब ठहाका मार कर हसने लगे. तभी पापा बोले निर्मला तुम भी तैयार हो जाओ, चलो मैं भी तेरे साथ ही अपने ससुराल चला जाऊं, तुम अपने भाई को राखी बाँध लेना और मैं थोड़ा एन्जॉय भी कर लूंगा, मैं वह से वापस कमरे में चली गई. तभी पापा बोल रहे थे, सरहज को भी देख लूंगा, बड़ी माल है तुम्हारी भाभी. तो माँ बोली चुप हो जाओ, मुझे तो खुश कर ही नहीं पाते हो और चले है, सरहज को खुश करने, वो तेरे जैसे चार चार मर्द से भी अगर चुदवा ले तो भी उसको पूर्ति नहीं होगी, आपका तो छोटा भी हो गया है. और वो दोनों हसने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.