13-11-2020, 03:21 PM
तभी भैया नहा कर बाथरूम से वापस आया, वो सिर्फ तौलिया लपेटा हुआ था, वो मुझे देखा तो देखते ही रह गया, उसकी नजर मेरी चूचियों पर था, मैं भी उसके गठीले बदन को निहार रही थी. क्यों की उसके डोले शोले बन गए थे, फिर मैंने कहा भैया जल्दी कपडे पहन लो. मुहूर्त बिता जा रहा है, वो तुरंत ही चला गया और वो कपडे पहन रहा था और मैं राखी की थाली तैयार करने लगी.
वो कपडे पहन का आ गया और मेरी थाली भी तैयार हो गई. माँ पापा वही सोफे पे बैठे थे, हम दोनों सेंटर टेबल के दोनों छोर पर खड़े थे और बिच में थाली राखी थी. राखी बांधने लगी. वो काफी खुश था माँ पापा भी बैठे बैठे मुस्कुरा रहे थे, जब मैं कोई भी चीज लेने के लिए झुकती थी, मेरे गले के ऊपर से चूचियां दिखती, मेरा भाई निहार रहा था, अब मुझे भी खराब नहीं लग रहा था, मैं भी दुप्पटा ऊपर कर ली और अंग प्रदर्शन में कोई कमी नहीं छोड़ी, इतना सब होते होते मैं भी आकर्षति होने लगी.
वो कपडे पहन का आ गया और मेरी थाली भी तैयार हो गई. माँ पापा वही सोफे पे बैठे थे, हम दोनों सेंटर टेबल के दोनों छोर पर खड़े थे और बिच में थाली राखी थी. राखी बांधने लगी. वो काफी खुश था माँ पापा भी बैठे बैठे मुस्कुरा रहे थे, जब मैं कोई भी चीज लेने के लिए झुकती थी, मेरे गले के ऊपर से चूचियां दिखती, मेरा भाई निहार रहा था, अब मुझे भी खराब नहीं लग रहा था, मैं भी दुप्पटा ऊपर कर ली और अंग प्रदर्शन में कोई कमी नहीं छोड़ी, इतना सब होते होते मैं भी आकर्षति होने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.