13-11-2020, 03:21 PM
फिर सो गई क्यों की तीन बज रहे थे. सुबह का इंतज़ार था. मैं छह बजे उठी. उठा कर तैयार हुई. लाल रंग की एक ड्रेस पहनी, बढ़िया से मेकअप की, बाल खुले थे चूतड़ तक लटक रहे थे. चूचियां बड़ी बड़ी थी, आगे की और टाइट थी, मैंने नई ब्रा पहनी जो की चूचियों को आगे से नुकीला कर रहा था. मेरी माँ देखि वो बोली, अरे मेरी बेटी तो आज राजकुमारी लग रही है. अब तो तेरे लिए मुझे लड़का देखना पड़ेगा. मैं शरमा गई. बोली चुप हो जाओ माँ आप ऐसी ही बोलते रहती हु.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
