13-11-2020, 03:08 PM
उनकी चूत को चाटने के बाद मैंने अपना 9 इंच का बड़ा सा और बैगन की तरह मोटे लंड को भाभी के चूत पर सहलाने लगा। मैंने पहले अपने लंड को थोड़ी देर तक भाभी के चूत पर रगड़ता रहा और कुछ देर बाद मैंने जानवरों की तरह जोर लगा के अपने लंड को भाभी की नाजुक सी चूत में घुसा दिया। मेरे लंड के घुसने से भाभी के चूत का रास्ता बड़ा हो गया और वो तेजी से आंहे भरने लगी। मैं उनकी चूत को बड़ी मस्ती से चोदने लगा और भाभी का इस चुदाई से बुरा हल था, मै जितनी तेज उनी चूत बजाता वो अपने चूत को मसलते हुए…“आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..”
मेरा लंड भाभी की बुर में लगातार अंदर बाहर हो रहा था और भाभी भी आंहे भरते हुए अपनी चुदाई का मजा ले रही थी। मै बहुत तेजी से भाभी की चूत मार रहा था। मेरी स्पीड बढती ही जा रही थी। लगातार मेरा कड़ा लंड भाभी की नरम सी चूत को फाड़ते हुए उनकी चूत में घुस रहा था और भाभी अपने मम्मो को एक हाथ से मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी और …….अहह …ई ई ई ई ई…….उफ़ उफ़ उफ़……. उई माँ उई माँ………….करके चीख रही थी। भाभी को भी बहुत मजा आ रहा था। अब वो अपनी कमर को उठा कर मुझसे चुदवाने लगी।
बहुत देर बहुत तक उनकी चूत मारने के बाद मैंने अपने लंड को भाभी की फुद्दी से बाहर निकल लिया क्योकि अब मै ज्यादा देर तक टिकने वाला नही था। मैंने अपने लंड को भाभी के दोनों मम्मो के बीच में रखकर उनकी चूची को दबाकर, मै उनकी चूची को पेलने लगा। मैं अपना पूरा जोर लगाकर भाभी की बूब्स के बीच मे चोद रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा माल निकलने वाला था, इसलिए मेरी स्पीड और भी तेज हो गयी। और कुछ ही देर बाद मेरा माल निकलने लगा, मेरी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया जब मेरा माल निकला। भाभी की चुदाई पूरी होने बाद भी मैंने बहुत देर तक भाभी के चूत को पीता रहा। चुदाई खत्म होने के बाद मैंने भाभी से पूछा – “आज के बाद भी क्या कभी चुदाई करने का मौका मिलेगा मुझे”
भाभी ने जवाब दिया – “जब तक भैया नही है तब तक तुम रोज दोपहर में आना और मेरी जमकर चुदाई करना”
मै हर रोज दोपहर में भाभी के कमरे में उनकी खूब चूत बजाता। जितने दिन भैया नही थे मैंने उतने दिनों तक लगातार भाभी की चूत को चोदा। कुछ दिनों में भैया आ गये, अब मुझे भाभी को चोदने का मौका नही मिल रहा था। एक दिन घर में कोई नही था मैंने भाभी से चूत देने को कहा, भाभी मना कर रही थी मैंने किसी तरह से उनको मना लिया और उनके कमरे में उनकी चुदाई करने लगा।
मेरा लंड भाभी की बुर में लगातार अंदर बाहर हो रहा था और भाभी भी आंहे भरते हुए अपनी चुदाई का मजा ले रही थी। मै बहुत तेजी से भाभी की चूत मार रहा था। मेरी स्पीड बढती ही जा रही थी। लगातार मेरा कड़ा लंड भाभी की नरम सी चूत को फाड़ते हुए उनकी चूत में घुस रहा था और भाभी अपने मम्मो को एक हाथ से मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी और …….अहह …ई ई ई ई ई…….उफ़ उफ़ उफ़……. उई माँ उई माँ………….करके चीख रही थी। भाभी को भी बहुत मजा आ रहा था। अब वो अपनी कमर को उठा कर मुझसे चुदवाने लगी।
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मै हर रोज दोपहर में भाभी के कमरे में उनकी खूब चूत बजाता। जितने दिन भैया नही थे मैंने उतने दिनों तक लगातार भाभी की चूत को चोदा। कुछ दिनों में भैया आ गये, अब मुझे भाभी को चोदने का मौका नही मिल रहा था। एक दिन घर में कोई नही था मैंने भाभी से चूत देने को कहा, भाभी मना कर रही थी मैंने किसी तरह से उनको मना लिया और उनके कमरे में उनकी चुदाई करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.