13-11-2020, 02:59 PM
भैया जितनी तेजी से धक्के लगा रहे थे.. मैं भी उतनी ही तेजी से अपने कूल्हे उचका रही थी।
मेरे होंठ भैया के मुँह में थे.. फिर भी उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं।
खिड़की से ठण्डी हवा आ रही थी और बाहर मौसम भी ठण्डा था.. मगर फिर भी मैं और भैया पसीने से लथपथ हो गए थे।
आज करीब दो अढ़ाई साल के बाद मैंने किसी के साथ यौन सम्बन्ध बनाया था.. इसलिए मैं जल्द ही चरम पर पहुँच गई।
मैं भैया के शरीर से किसी जौंक की तरह चिपक गई और शान्त हो गई।
कुछ देर बाद भैया भी अपनी मंजिल पर पहुँच गए और उनका लिंग मेरी योनि में गर्म वीर्य उगलने लगा, भैया ढेर होकर मेरे ऊपर गिर गए।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.. मगर काफी देर होने के बाद भी जब भैया मेरे ऊपर से नहीं उठे तो मैं उन्हें उठाने लगी.. मगर मैंने देखा कि भैया तो मेरे ऊपर ही सो चुके थे।
मैंने भैया को अपने ऊपर से धकेल कर बिस्तर पर गिरा दिया और उठ कर अपने कमरे में आ गई।
मेरे खड़े होने से भैया का वीर्य मेरी योनि से रिस कर मेरी जाँघों पर आ गया.. जिससे मेरी जाँघें चिपक रही थीं.. इसलिए मैंने बाथरूम में जाकर अपनी योनि और जाँघों को साफ करके अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई।
अब मुझे पछतावा हो रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया? मुझे भैया को कैसे भी करके रोकना चाहिए था।
यही सब सोचते-सोचते ही मुझे नींद आ गई।
मेरे होंठ भैया के मुँह में थे.. फिर भी उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं।
खिड़की से ठण्डी हवा आ रही थी और बाहर मौसम भी ठण्डा था.. मगर फिर भी मैं और भैया पसीने से लथपथ हो गए थे।
आज करीब दो अढ़ाई साल के बाद मैंने किसी के साथ यौन सम्बन्ध बनाया था.. इसलिए मैं जल्द ही चरम पर पहुँच गई।
मैं भैया के शरीर से किसी जौंक की तरह चिपक गई और शान्त हो गई।
कुछ देर बाद भैया भी अपनी मंजिल पर पहुँच गए और उनका लिंग मेरी योनि में गर्म वीर्य उगलने लगा, भैया ढेर होकर मेरे ऊपर गिर गए।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.. मगर काफी देर होने के बाद भी जब भैया मेरे ऊपर से नहीं उठे तो मैं उन्हें उठाने लगी.. मगर मैंने देखा कि भैया तो मेरे ऊपर ही सो चुके थे।
मैंने भैया को अपने ऊपर से धकेल कर बिस्तर पर गिरा दिया और उठ कर अपने कमरे में आ गई।
मेरे खड़े होने से भैया का वीर्य मेरी योनि से रिस कर मेरी जाँघों पर आ गया.. जिससे मेरी जाँघें चिपक रही थीं.. इसलिए मैंने बाथरूम में जाकर अपनी योनि और जाँघों को साफ करके अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई।
अब मुझे पछतावा हो रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया? मुझे भैया को कैसे भी करके रोकना चाहिए था।
यही सब सोचते-सोचते ही मुझे नींद आ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
