13-11-2020, 02:58 PM
भैया ने एक हाथ से अपने लिंग को मेरी योनि के प्रवेश द्वार पर रख कर जोर का धक्का मारा.. एक ही झटके में भैया का पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया.. जिससे मुझे हल्का सा दर्द हुआ और दर्द व उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से ‘अआआह..ह…ह..’ की आवाज निकल गई।
मेरे दिमाग में एक बार फिर से खयाल आया कि मैं यह क्या कर रही हूँ? मगर उत्तेजना के कारण मेरा ख्याल दिमाग में ही दब कर रह गया..
क्योंकि अब भैया धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाने लग गए थे.. जिससे मुझे मजा आ रहा था और वैसे भी अब तो सारी सीमाएँ और मर्यादाएँ टूट चुकी थीं इसलिए मैं भी अपने पैर भैया के पैरों में फंसा कर अपने कूल्हों को उचका-उचका कर भैया का साथ देने लगी और मेरे मुँह से ‘इईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. अआआह.. उहहह..’ की आवाजें निकलने लगीं।
भैया लगातार धक्के लगाते रहे और मैं ऐसे ही सिसकियाँ भरती रही। धीरे-धीरे भैया की गति बढ़ने लगी और फिर से वो मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगे।
इस बार मैं भी उनके एक होंठ को चूसने लगी।
भैया तो बिल्कुल नंगे थे मगर मेरी नाईटी बस मेरे पेट तक ही उल्टी हुई थी.. जिससे मेरा शरीर भैया के नंगे शरीर को स्पर्श नहीं कर रहा था और भैया भी नाईटी के ऊपर से ही मेरे उरोजों को दबा रहे थे.. इसलिए मैंने खुद ही अपनी नाईटी को खिसका कर अपने उरोजों के ऊपर तक उलट लिया और भैया की पीठ को अपनी बाँहों में भर कर दबाने लगी।
मेरे दिमाग में एक बार फिर से खयाल आया कि मैं यह क्या कर रही हूँ? मगर उत्तेजना के कारण मेरा ख्याल दिमाग में ही दब कर रह गया..
क्योंकि अब भैया धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाने लग गए थे.. जिससे मुझे मजा आ रहा था और वैसे भी अब तो सारी सीमाएँ और मर्यादाएँ टूट चुकी थीं इसलिए मैं भी अपने पैर भैया के पैरों में फंसा कर अपने कूल्हों को उचका-उचका कर भैया का साथ देने लगी और मेरे मुँह से ‘इईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. अआआह.. उहहह..’ की आवाजें निकलने लगीं।
भैया लगातार धक्के लगाते रहे और मैं ऐसे ही सिसकियाँ भरती रही। धीरे-धीरे भैया की गति बढ़ने लगी और फिर से वो मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगे।
इस बार मैं भी उनके एक होंठ को चूसने लगी।
भैया तो बिल्कुल नंगे थे मगर मेरी नाईटी बस मेरे पेट तक ही उल्टी हुई थी.. जिससे मेरा शरीर भैया के नंगे शरीर को स्पर्श नहीं कर रहा था और भैया भी नाईटी के ऊपर से ही मेरे उरोजों को दबा रहे थे.. इसलिए मैंने खुद ही अपनी नाईटी को खिसका कर अपने उरोजों के ऊपर तक उलट लिया और भैया की पीठ को अपनी बाँहों में भर कर दबाने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.