13-11-2020, 02:55 PM
कमरे में अँधेरा था जिस कारण भैया मेरी सूरत नहीं पहचान पा रहे थे.. मगर भैया पर मेरे चीखने का भी कोई असर नहीं हो रहा था।
उन्होंने भाभी का नाम बड़बड़ाते हुए फिर से मुझे दबोच लिया और अचानक मेरी नाईटी को उलट दिया। नीचे मैंने पैन्टी भी नहीं पहन रखी थी.. इसलिए मैंने अपने घुटने मोड़ लिए और अपनी नाईटी को पकड़ने लगी।
मैं अपनी नाईटी को ठीक कर पाती.. इससे पहले भैया ने एक हाथ से मेरी दोनों जाँघों को दबाकर मेरे घुटनों को सीधा कर दिया और मेरी नंगी योनि पर अपना मुँह टिका दिया।
यह सब भैया ने इतनी जल्दी और अचानक किया कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाई।
मैंने अपनी दोनों जाँघें एक-दूसरे चिपका कर बन्द कर रखी थीं.. जिससे भैया की जीभ मेरे योनि द्वार तक तो नहीं पहुँच पा रही थी.. मगर भैया मेरी योनि की फाँकों को चूसने लग गए।
अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू करना कठिन हो गया था.. क्योंकि अब भैया मेरे सबसे संवेदनशील अंग पर अपनी जीभ से हरकत कर रहे थे.. जिससे मेरे रोम-रोम में चिंगारियां सी सुलगने लगीं।
अब तो मैं भी बहकने लगी थी और मेरी जुबान भी कपकँपाने लगी। मैंने फिर से काँपती आवाज में भैया को कहा- भ..अ..ऐ..य..आ.. अ..आ..प..अ… ये..ऐ.. क..अ..य..आ.. क..अ..र..अ…र.. अ..ह..ऐ… ह..अ..ओ…!
मैं भैया को हटा कर उठने की कोशिश करने लगी.. मगर तभी भैया ने मेरे कूल्हों के नीचे अपने दोनों हाथों को डालकर मेरी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया और मेरी योनि की फाँकों को अपने मुँह में भर कर इतनी जोर से चूस लिया कि मुझे अपनी योनि का अंदरूनी भाग खिंचकर भैया के मुँह में जाता सा महसूस हुआ और मेरे मुँह से ‘इईईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. भैया.. आहह..’ की आवाज निकल गई।
उन्होंने भाभी का नाम बड़बड़ाते हुए फिर से मुझे दबोच लिया और अचानक मेरी नाईटी को उलट दिया। नीचे मैंने पैन्टी भी नहीं पहन रखी थी.. इसलिए मैंने अपने घुटने मोड़ लिए और अपनी नाईटी को पकड़ने लगी।
मैं अपनी नाईटी को ठीक कर पाती.. इससे पहले भैया ने एक हाथ से मेरी दोनों जाँघों को दबाकर मेरे घुटनों को सीधा कर दिया और मेरी नंगी योनि पर अपना मुँह टिका दिया।
यह सब भैया ने इतनी जल्दी और अचानक किया कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाई।
मैंने अपनी दोनों जाँघें एक-दूसरे चिपका कर बन्द कर रखी थीं.. जिससे भैया की जीभ मेरे योनि द्वार तक तो नहीं पहुँच पा रही थी.. मगर भैया मेरी योनि की फाँकों को चूसने लग गए।
अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू करना कठिन हो गया था.. क्योंकि अब भैया मेरे सबसे संवेदनशील अंग पर अपनी जीभ से हरकत कर रहे थे.. जिससे मेरे रोम-रोम में चिंगारियां सी सुलगने लगीं।
अब तो मैं भी बहकने लगी थी और मेरी जुबान भी कपकँपाने लगी। मैंने फिर से काँपती आवाज में भैया को कहा- भ..अ..ऐ..य..आ.. अ..आ..प..अ… ये..ऐ.. क..अ..य..आ.. क..अ..र..अ…र.. अ..ह..ऐ… ह..अ..ओ…!
मैं भैया को हटा कर उठने की कोशिश करने लगी.. मगर तभी भैया ने मेरे कूल्हों के नीचे अपने दोनों हाथों को डालकर मेरी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया और मेरी योनि की फाँकों को अपने मुँह में भर कर इतनी जोर से चूस लिया कि मुझे अपनी योनि का अंदरूनी भाग खिंचकर भैया के मुँह में जाता सा महसूस हुआ और मेरे मुँह से ‘इईईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. भैया.. आहह..’ की आवाज निकल गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
