13-11-2020, 02:54 PM
घर में अँधेरा होने के कारण भैया ठीक से मेरी सूरत तो देख नहीं पा रहे थे.. मगर मैंने भाभी की नाईटी पहन रखी थी और मैं कद-काठी में भी भाभी के समान ही थी.. इसलिए भैया शायद मुझे भाभी समझ रहे थे।
भैया के कमरे में भी बिल्कुल अँधेरा था।
मैंने उन्हें बिस्तर पर सुला दिया और अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ी तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर झटके से खींच लिया और फिर से भाभी का नाम लेकर कहा- कहाँ जा रही हो रानी..
भैया के कमरे में भी बिल्कुल अँधेरा था।
मैंने उन्हें बिस्तर पर सुला दिया और अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ी तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर झटके से खींच लिया और फिर से भाभी का नाम लेकर कहा- कहाँ जा रही हो रानी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.