13-11-2020, 02:53 PM
अब तो मुझे बस मेरे लिए ही खाना बनाना था.. इसलिए मैंने थोड़ा सा खाना बनाकर खा लिया।
बिजली खराब थी और मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई कर नहीं सकती थी.. इसलिए मैं अपने कमरे में आकर ऐसे ही लेट गई।
बाहर बारिश तो नहीं हो रही थी.. मगर बिजली चमक रही थी और ठण्डी हवा चल रही थी.. इसलिए पता नहीं कब मेरी आँख लग गई।
कुछ देर बाद अचानक दरवाजे के खटखटाने की आवाज से मेरी नींद खुल गई।
मैं समझ गई कि भैया आ गए है। मैंने जो मोमबत्ती जला रखी थी.. वो खत्म होकर बुझ चुकी थी.. मगर खिड़की से इतनी रोशनी आ रही थी कि मैं थोड़ा बहुत देख सकती थी।
मैं जल्दी से दरवाजा खोलने चली गई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो भैया सीधे मेरे ऊपर गिर पड़े.. शायद वो दरवाजे का सहारा लेकर ही खड़े थे.. अगर मैंने उन्हें पकड़ा नहीं होता तो वो सीधे मुँह के बल फर्श पर गिर जाते।
भैया के मुँह से शराब की तेज बदबू आ रही थी। उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि वो ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।
मैंने भैया को पकड़ कर उनके कमरे में ले जाने लगी.. तो उन्होंने भाभी का नाम ले कर मुझे कस कर पकड़ लिया और कुछ बड़बड़ाने लगे।
बिजली खराब थी और मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई कर नहीं सकती थी.. इसलिए मैं अपने कमरे में आकर ऐसे ही लेट गई।
बाहर बारिश तो नहीं हो रही थी.. मगर बिजली चमक रही थी और ठण्डी हवा चल रही थी.. इसलिए पता नहीं कब मेरी आँख लग गई।
कुछ देर बाद अचानक दरवाजे के खटखटाने की आवाज से मेरी नींद खुल गई।
मैं समझ गई कि भैया आ गए है। मैंने जो मोमबत्ती जला रखी थी.. वो खत्म होकर बुझ चुकी थी.. मगर खिड़की से इतनी रोशनी आ रही थी कि मैं थोड़ा बहुत देख सकती थी।
मैं जल्दी से दरवाजा खोलने चली गई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो भैया सीधे मेरे ऊपर गिर पड़े.. शायद वो दरवाजे का सहारा लेकर ही खड़े थे.. अगर मैंने उन्हें पकड़ा नहीं होता तो वो सीधे मुँह के बल फर्श पर गिर जाते।
भैया के मुँह से शराब की तेज बदबू आ रही थी। उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि वो ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।
मैंने भैया को पकड़ कर उनके कमरे में ले जाने लगी.. तो उन्होंने भाभी का नाम ले कर मुझे कस कर पकड़ लिया और कुछ बड़बड़ाने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.