13-11-2020, 02:53 PM
इस तरह कुछ दिन बीत गए।
बारिश का मौसम था.. इसलिए हफ्ते भर से लगातार बारिश हो रही थी.. जिस कारण एक भी कपड़ा सूख नहीं रहा था और दो दिन से बिजली (लाईट) भी खराब थी। रात को मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चलता था।
मेरे कपड़े ना सूखने के कारण मैं ब्रा और पैन्टी तो पहले से ही भाभी के पहन रही थी.. मगर एक दिन तो शाम को जब मैं नहाने लगी तो मेरे पास नहाकर पहनने के लिए एक भी कपड़ा नहीं था।
मैंने जो कपड़े पहन रखे थे बस वो ही सूखे थे.. इसलिए मैंने उनको अगले दिन कॉलेज में पहन कर जाने के लिए निकाल कर रख दिए और नहाकर अन्दर बिना कुछ पहने ही भाभी की नाईटी पहन ली।
वैसे भी एक तो बिजली नहीं थी.. ऊपर से रात में कौन देख रहा था। इसके बाद मैं खाना बनाने लग गई.. मगर तभी भैया ने फोन करके बताया- मैं एक पार्टी में हूँ.. मुझे आने में देर हो जाएगी.. और मैं खाना भी खाकर ही आऊँगा।
बारिश का मौसम था.. इसलिए हफ्ते भर से लगातार बारिश हो रही थी.. जिस कारण एक भी कपड़ा सूख नहीं रहा था और दो दिन से बिजली (लाईट) भी खराब थी। रात को मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चलता था।
मेरे कपड़े ना सूखने के कारण मैं ब्रा और पैन्टी तो पहले से ही भाभी के पहन रही थी.. मगर एक दिन तो शाम को जब मैं नहाने लगी तो मेरे पास नहाकर पहनने के लिए एक भी कपड़ा नहीं था।
मैंने जो कपड़े पहन रखे थे बस वो ही सूखे थे.. इसलिए मैंने उनको अगले दिन कॉलेज में पहन कर जाने के लिए निकाल कर रख दिए और नहाकर अन्दर बिना कुछ पहने ही भाभी की नाईटी पहन ली।
वैसे भी एक तो बिजली नहीं थी.. ऊपर से रात में कौन देख रहा था। इसके बाद मैं खाना बनाने लग गई.. मगर तभी भैया ने फोन करके बताया- मैं एक पार्टी में हूँ.. मुझे आने में देर हो जाएगी.. और मैं खाना भी खाकर ही आऊँगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.