13-11-2020, 02:53 PM
भैया अकेले ही ग्वालियर जाने के लिए तैयार हो गए.. मगर पापा ने कहा- तुम्हारी मम्मी को तो ठीक होने में दो महीने लग जाएंगे। तुम अकेले कैसे रहोगे तुम्हें घर के काम की और खाने की परेशानी होगी। तुम पायल को यहीं पर छोड़ दो और बहू को अपने साथ ले जाओ।
मगर भाभी ने मना कर दिया और कहा- मैं यहाँ रह जाती हूँ.. और पायल को जाने दो.. नहीं तो दो महीने कॉलेज ना जाने पर उसकी पढ़ाई खराब हो जाएगी।
इस पर पापा ने भी सहमति दे दी।
मेरा अकेले जाने का दिल तो नहीं कर रहा था.. मगर अपनी पढ़ाई के कारण मुझे भैया के साथ ग्वालियर आना पड़ा।
शुरूआत में तो अकेले का मेरा दिल नहीं लगता था.. क्योंकि घर के इतने सारे काम अकेले करना और कॉलेज भी जाना मेरे लिए कठिन हो रहा था.. मगर धीरे-धीरे आदत सी बन गई।
मैं सुबह जल्दी उठ जाती और घर के सारे काम खत्म करके भैया के लिए दोपहर तक का खाना सुबह ही बनाकर रख देती थी।
उसके बाद मैं कॉलेज चली जाती और शाम चार साढ़े चार बजे तक कॉलेज से लौटती थी।
घर आकर मैं कुछ देर टीवी देखती और फिर नहाकर रात का खाना बनाने लग जाती।
भैया भी शाम साढ़े छः सात बजे तक घर आ जाते थे।
रात का खाना मैं और भैया साथ ही खाते और उसके बाद मैं कुछ देर अपने कमरे में पढ़ाई करती और सो जाती थी।
मगर भाभी ने मना कर दिया और कहा- मैं यहाँ रह जाती हूँ.. और पायल को जाने दो.. नहीं तो दो महीने कॉलेज ना जाने पर उसकी पढ़ाई खराब हो जाएगी।
इस पर पापा ने भी सहमति दे दी।
मेरा अकेले जाने का दिल तो नहीं कर रहा था.. मगर अपनी पढ़ाई के कारण मुझे भैया के साथ ग्वालियर आना पड़ा।
शुरूआत में तो अकेले का मेरा दिल नहीं लगता था.. क्योंकि घर के इतने सारे काम अकेले करना और कॉलेज भी जाना मेरे लिए कठिन हो रहा था.. मगर धीरे-धीरे आदत सी बन गई।
मैं सुबह जल्दी उठ जाती और घर के सारे काम खत्म करके भैया के लिए दोपहर तक का खाना सुबह ही बनाकर रख देती थी।
उसके बाद मैं कॉलेज चली जाती और शाम चार साढ़े चार बजे तक कॉलेज से लौटती थी।
घर आकर मैं कुछ देर टीवी देखती और फिर नहाकर रात का खाना बनाने लग जाती।
भैया भी शाम साढ़े छः सात बजे तक घर आ जाते थे।
रात का खाना मैं और भैया साथ ही खाते और उसके बाद मैं कुछ देर अपने कमरे में पढ़ाई करती और सो जाती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.