13-11-2020, 02:52 PM
मैं समझ गई कि उनका काम हो गया है और कभी भी दरवाजा खुल सकता है.. इसलिए मैं जल्दी से अपने कमरे में आकर सो गई.. मगर अब नींद कहाँ आने वाली थी।
उत्तेजना से मेरा बदन जल रहा था और मेरी योनि तो जैसे सुलग ही रही थी।
अपने आप मेरा हाथ योनि पर चला गया वैसे मुझे उंगली से अपना काम किए बहुत दिन हो गए थे।
जब से महेश जी मुझसे यौन सम्बन्ध बनाने लगे थे.. मैंने उंगली से मैथुन करना छोड़ दिया था.. क्योंकि उस समय मैं इतनी डरी रहती थी कि इन सब बातों के बारे में सोचने का ध्यान ही नहीं रहता था और वैसे भी मेरी वासना शान्त हो जाती थी।
मगर आज भैया-भाभी की उत्तेजक आवाजें सुनने के बाद मैं इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैं उंगली से अपनी उत्तेजना को शान्त किए बिना नहीं रह सकी।
इसी तरह मैंने बहुत सी बार भैया-भाभी के कमरे में इस तरह की आवाजों को सुना और जब दिल करता तो उंगली से अपनी वासना को शान्त कर लेती थी।
इसी तरह से दो साल बीत गए और मैं बीएससी फाईनल में पहुँच गई।
उत्तेजना से मेरा बदन जल रहा था और मेरी योनि तो जैसे सुलग ही रही थी।
अपने आप मेरा हाथ योनि पर चला गया वैसे मुझे उंगली से अपना काम किए बहुत दिन हो गए थे।
जब से महेश जी मुझसे यौन सम्बन्ध बनाने लगे थे.. मैंने उंगली से मैथुन करना छोड़ दिया था.. क्योंकि उस समय मैं इतनी डरी रहती थी कि इन सब बातों के बारे में सोचने का ध्यान ही नहीं रहता था और वैसे भी मेरी वासना शान्त हो जाती थी।
मगर आज भैया-भाभी की उत्तेजक आवाजें सुनने के बाद मैं इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैं उंगली से अपनी उत्तेजना को शान्त किए बिना नहीं रह सकी।
इसी तरह मैंने बहुत सी बार भैया-भाभी के कमरे में इस तरह की आवाजों को सुना और जब दिल करता तो उंगली से अपनी वासना को शान्त कर लेती थी।
इसी तरह से दो साल बीत गए और मैं बीएससी फाईनल में पहुँच गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.