13-11-2020, 02:51 PM
उनके कमरे का दरवाजा अन्दर से बन्द था और लाईट जल रही थी। मैं जल्दी से कोई ऐसी जगह देखने लगी.. जहाँ से अन्दर का नजारा देख सकूँ.. मगर काफी देर तक तलाश करने के बाद भी मुझे कोई भी ऐसी जगह नहीं मिली.. इसलिए मैं दरवाजे से ही अपना कान सटाकर अन्दर की आवाजें सुनने लगी।
अब भाभी की सिसकियों की आवाज तेज हो गई थी.. जिन्हें सुनकर मुझे भी अपनी जाँघों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था। कुछ देर बाद भाभी की सिसकियाँ ‘आहों और कराहों’ में बदल गईं.. और वे शान्त हो गईं।
अब भाभी की सिसकियों की आवाज तेज हो गई थी.. जिन्हें सुनकर मुझे भी अपनी जाँघों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था। कुछ देर बाद भाभी की सिसकियाँ ‘आहों और कराहों’ में बदल गईं.. और वे शान्त हो गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
