13-11-2020, 02:31 PM
मेरे मम्मो को पीना बंद करने के बाद रमेंद्र ने मेरे दोनों चुचियो की बीच से पीना शुरू किया और पीते पीते मेरी नाभि तक पहुच गया। जब रमेंद्र मेरी चूची से नीचे की ओर बढ़ रहा था मेरा तो जोश बढ़ने लगा था। मै मदहोश होने लगी थी। फिर रमेंद्र ने मेरे पैजामे को धीरे से निकाल दिया, रात के अँधेरे में मेरे पैंटी का रंग दिख नही रहा था तो रमेंद्र ने मुझसे पूछा की पैंटी का रंग क्या है? मैंने बोला काले रंग का है। रमेंद्र ने पहले मेरी बुर पर अपना हाथ सहलाया, मेरा तो बदन काँप उठा। फिर उसने मेरी पैंटी को निकाल दिया। और अपनी अंगुलियो को मेरी चूत में डालने लगा। आह क्या आनन्द आ रहा था। मुझे तो बहुत मजा आ रहा था। लेकिन ये मजा सजा में बदलने वाला था। रमेंद्र ने अपनी उंगली से मेरी चूत में इतनी तेज कर रहा था की मै अपने आप रोक नही पाई और मेरे मुह से अहह …. अह्ह्ह …… उफ्फ़ …उफ्फ्फ….. प्लीज़ ….. उह्ह ….करके चीखने लगी। रमेंद्र मेरे चूत में उंगली डालने की स्पीड को बढ़ा रहा था मै और तेजी से चीखने लगी और अंत में मेरी चूत का पानी निकलने लगा। जैसे ही मेरी चूत से पानी निकला रमेंद्र ने अपना मुह मेरी चूत में लगा कर मेरी चूत का पानी पीने लगा। मेरी चूत का पानी पीने के बाद कहता है की क्या स्वाद है।
मेरी बुर का पानी पीने के बाद उसने मेरी चूत को पीने लगा, पहले तो उसने मेरी चूत की उपरी हिस्से की छोटी सी गुलाबी रंग के दाने को अपने जीभ से चाटने लगा। मै बेकाबू के साथ साथ मदहोश भी हो रही थी। रमेंद्र लगातार मेरी चूत को पी रहा था। कसम से मुझे बहुत मजा आ रहा था। जब रमेंद्र मेरी बुर को पी कर थक गया तो उसने मेरी चूत को पीना बंद कर दिया। उसने अपना पैंट खोला और अपना बड़ा सा 9 इंच लंबा और खूब मोटा सा लंड को निकाला। रमेंद्र चाहता था की मै उसके लंड को चुसू तो मैंने पहले उसके लंड को पकड़ा लेकिन लंड इतना मोटा थी की मेरे हाथ में ठीक से नही आ रहा था। मैंने पहले उसके लंड को सहलने लगी, मेरे लंड सहलाने से उसका लंड और भी तन जाता। फिर मैंने उसका लंड अपने मुह में रख कर चूसने लगी। कभी मै अपने जीभ से चाटती तो कभी पूरा लंड को अपने मुह में ले लेती। जब मै रमेंद्र का लंड चूस रही थी तो रमेंद्र का बुरा हाल हो रहा था, उसका जोश और भी बढ़ने लगा। मै उसके लंड को लगातार चूस रही थी और रमेंद्र मेरी मम्मो को मसलने में लगा हुआ था। मै बड़ी मस्ती से रमेंद्र का लंड चूस रही थी , की रमेंद्र बेकाबू होने लगा उसने अपना लंड मेरी मुह से निकाला और मुझे लिटा दिया। और उसने पहले मेरी बुर पर अपना लंड रख दिया और धीरे से अपने लंड से सहलाने लगा। मै बेकाबू होने लगी, मेरा बदन ऐठने लगा।
रमेंद्र ने थोडा सा जोर लगाके अपने लंड को मेरी चूत में उतार दिया और मेरी मुह से अहह करके आवाज़ निकल आई। मैंने सोचा नही था की रमेंद्र चोदने में इतना तेज है। रमेंद्र ने अपना पूरा जोर लगा के मेरी बुर में पेलने लगा। और मेरे मुह से अहह…. अह्ह्ह…. ओह्ह…..ओह्ह्ह….. इइई …..इइई… सीईई…..प्लीज़,………आराम से उई….माँ,……. कितना दर्द हो रहा है। जिस तरह से रमेंद्र मुझे चोद रहा था ऐसा लग रहा था कि मेरा भोसड़ा कहीं फट ना जाये। जितनी तेज रमेंद्र मेरे भोसड़े को फाड़ने में लगा हुआ था, मै उतना ही चीख रही थी। मेरा बुरा हल हुआ जा रहा था दर्द से। रमेंद्र कि इसमें कोई गलती नही उसका लंड इतना मोटा था। मेरे तो आसूँ निकल आया। रमेंद्र का जोश तो अभी बढ़ रहा था, ये तो अभी शुरुआत थी। रमेंद्र कि स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी। मै तो पछता रही थी कि क्यों मैंने रमेंद्र को बुलाया चोदने के लिए। रमेंद्र लगातार मेरी चूत को चोदने में लगा हुआ था और मेरे मुह से चीख पर चीख अहह ……आ …आ … अहह ….. उफ्फ्फ … उफ्फ्फ. करके चीख रही थी। लेकिन मैंने इतनी जबरदस्त चुदाई पहले नही करवाई थी। मुझे भी धीरे धीरे मजा आने लगा, मै मस्ती से चुदवाने लगी। अह्ह्ह……. अहह… आ …. आ…. येह ……. उफ्फ़ ……. । मै तो अपने चुदाई का पूरा मजा उठाने लगी थी। बहुत देर तक उसने मेरी भोसड़े को फाड़ा।
फिर उसने मेरी गांड मारना चाहा, मैंने थोडा विरोध किया क्योकि उसका लंड बहुत मोटा था। लेकिन रमेंद्र ने मुझे किसी तरह से मना लिया। मैं अपने गांड को रमेंद्र कि तरफ कर दिया , रमेंद्र ने अपने मुह से थूक निकाला और मेरी गांड में लगाने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने थोडा थूक अपने लंड में भी लगाया और धीरे से मेरी गांड में डाल दिया। जब थोडा सा लंड मेरी गांड में गया तो मै तो चीख पडी, पर धीरे धीरे जब उसका लंड मेरी गांड में जाता रहा तो मुझे मज़ा आने लगा। रमेंद्र की स्पीड बढ़ने लगी और मेरा दर्द भी जिस स्पीड से मेरी गांड को मारने में लगा हुआ था मै तो केवल अह्ह्ह ……आ…..आ… आ….. ईईईईईई……. उई….. माँ अहह….. करके चीख रही थी, लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था। मै अपने लाइफ में कई बार चुद चुकी हूँ लेकिन इतनी मस्त चुदाई मेरी कभी नही हुई। रमेंद्र लगातार मेरी गांड मार रहा था, कभी कभी तो रमेंद्र थोडा जोर लगा के अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा देता और थोड़ी देर रुक जाता, उसके ऐसा करने से मुझे और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जब रमेंद्र मेरी गांड मार चुका तो उसने अपने लंड को मेरे दोनों मम्मो के बीच में रख कर चोदने लगा। अब मुझे थोडा आराम मिला, बस अब थोड़ी देर में रमेंद्र का माल निकलने वाला था ऐसा लग रहा था। रमेंद्र मेरी चुचियों के बीच में पेलने में लगा हुआ था और मै उसकी गोली को सहला रही थी। उसकी स्पीड बढ़ने लगी। रमेंद्र अपनी पूरी जोर लगा के मेरी चुचियों के बीच में चोद रहा था। थोड़ी देर में उसका माल निकने लगा, उसका सारा माल मेरे गले पर गिर रहा था और कुछ बुँदे मेरी मुह भी गिरा। मैंने कुछ बूंदों को चाट लिया कितना अच्छा स्वाद था।
मैंने अपने गले को साफ किया, और कपड़े पहन कर रमेंद्र की बाहों में बाहें डाल कर उसको किस करने लगी। मेरे मन में अचनक से एक ख्याल आया, मैंने रमेंद्र से पूछा -एक राउंड और हो जाए? उसने कहा नही कोई आ गया तो। मैंने कहा कोई नही आयेगा। किसी तरह से मैंने रमेंद्र को मना लिया।
मेरी बुर का पानी पीने के बाद उसने मेरी चूत को पीने लगा, पहले तो उसने मेरी चूत की उपरी हिस्से की छोटी सी गुलाबी रंग के दाने को अपने जीभ से चाटने लगा। मै बेकाबू के साथ साथ मदहोश भी हो रही थी। रमेंद्र लगातार मेरी चूत को पी रहा था। कसम से मुझे बहुत मजा आ रहा था। जब रमेंद्र मेरी बुर को पी कर थक गया तो उसने मेरी चूत को पीना बंद कर दिया। उसने अपना पैंट खोला और अपना बड़ा सा 9 इंच लंबा और खूब मोटा सा लंड को निकाला। रमेंद्र चाहता था की मै उसके लंड को चुसू तो मैंने पहले उसके लंड को पकड़ा लेकिन लंड इतना मोटा थी की मेरे हाथ में ठीक से नही आ रहा था। मैंने पहले उसके लंड को सहलने लगी, मेरे लंड सहलाने से उसका लंड और भी तन जाता। फिर मैंने उसका लंड अपने मुह में रख कर चूसने लगी। कभी मै अपने जीभ से चाटती तो कभी पूरा लंड को अपने मुह में ले लेती। जब मै रमेंद्र का लंड चूस रही थी तो रमेंद्र का बुरा हाल हो रहा था, उसका जोश और भी बढ़ने लगा। मै उसके लंड को लगातार चूस रही थी और रमेंद्र मेरी मम्मो को मसलने में लगा हुआ था। मै बड़ी मस्ती से रमेंद्र का लंड चूस रही थी , की रमेंद्र बेकाबू होने लगा उसने अपना लंड मेरी मुह से निकाला और मुझे लिटा दिया। और उसने पहले मेरी बुर पर अपना लंड रख दिया और धीरे से अपने लंड से सहलाने लगा। मै बेकाबू होने लगी, मेरा बदन ऐठने लगा।
रमेंद्र ने थोडा सा जोर लगाके अपने लंड को मेरी चूत में उतार दिया और मेरी मुह से अहह करके आवाज़ निकल आई। मैंने सोचा नही था की रमेंद्र चोदने में इतना तेज है। रमेंद्र ने अपना पूरा जोर लगा के मेरी बुर में पेलने लगा। और मेरे मुह से अहह…. अह्ह्ह…. ओह्ह…..ओह्ह्ह….. इइई …..इइई… सीईई…..प्लीज़,………आराम से उई….माँ,……. कितना दर्द हो रहा है। जिस तरह से रमेंद्र मुझे चोद रहा था ऐसा लग रहा था कि मेरा भोसड़ा कहीं फट ना जाये। जितनी तेज रमेंद्र मेरे भोसड़े को फाड़ने में लगा हुआ था, मै उतना ही चीख रही थी। मेरा बुरा हल हुआ जा रहा था दर्द से। रमेंद्र कि इसमें कोई गलती नही उसका लंड इतना मोटा था। मेरे तो आसूँ निकल आया। रमेंद्र का जोश तो अभी बढ़ रहा था, ये तो अभी शुरुआत थी। रमेंद्र कि स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी। मै तो पछता रही थी कि क्यों मैंने रमेंद्र को बुलाया चोदने के लिए। रमेंद्र लगातार मेरी चूत को चोदने में लगा हुआ था और मेरे मुह से चीख पर चीख अहह ……आ …आ … अहह ….. उफ्फ्फ … उफ्फ्फ. करके चीख रही थी। लेकिन मैंने इतनी जबरदस्त चुदाई पहले नही करवाई थी। मुझे भी धीरे धीरे मजा आने लगा, मै मस्ती से चुदवाने लगी। अह्ह्ह……. अहह… आ …. आ…. येह ……. उफ्फ़ ……. । मै तो अपने चुदाई का पूरा मजा उठाने लगी थी। बहुत देर तक उसने मेरी भोसड़े को फाड़ा।
फिर उसने मेरी गांड मारना चाहा, मैंने थोडा विरोध किया क्योकि उसका लंड बहुत मोटा था। लेकिन रमेंद्र ने मुझे किसी तरह से मना लिया। मैं अपने गांड को रमेंद्र कि तरफ कर दिया , रमेंद्र ने अपने मुह से थूक निकाला और मेरी गांड में लगाने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने थोडा थूक अपने लंड में भी लगाया और धीरे से मेरी गांड में डाल दिया। जब थोडा सा लंड मेरी गांड में गया तो मै तो चीख पडी, पर धीरे धीरे जब उसका लंड मेरी गांड में जाता रहा तो मुझे मज़ा आने लगा। रमेंद्र की स्पीड बढ़ने लगी और मेरा दर्द भी जिस स्पीड से मेरी गांड को मारने में लगा हुआ था मै तो केवल अह्ह्ह ……आ…..आ… आ….. ईईईईईई……. उई….. माँ अहह….. करके चीख रही थी, लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था। मै अपने लाइफ में कई बार चुद चुकी हूँ लेकिन इतनी मस्त चुदाई मेरी कभी नही हुई। रमेंद्र लगातार मेरी गांड मार रहा था, कभी कभी तो रमेंद्र थोडा जोर लगा के अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा देता और थोड़ी देर रुक जाता, उसके ऐसा करने से मुझे और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जब रमेंद्र मेरी गांड मार चुका तो उसने अपने लंड को मेरे दोनों मम्मो के बीच में रख कर चोदने लगा। अब मुझे थोडा आराम मिला, बस अब थोड़ी देर में रमेंद्र का माल निकलने वाला था ऐसा लग रहा था। रमेंद्र मेरी चुचियों के बीच में पेलने में लगा हुआ था और मै उसकी गोली को सहला रही थी। उसकी स्पीड बढ़ने लगी। रमेंद्र अपनी पूरी जोर लगा के मेरी चुचियों के बीच में चोद रहा था। थोड़ी देर में उसका माल निकने लगा, उसका सारा माल मेरे गले पर गिर रहा था और कुछ बुँदे मेरी मुह भी गिरा। मैंने कुछ बूंदों को चाट लिया कितना अच्छा स्वाद था।
मैंने अपने गले को साफ किया, और कपड़े पहन कर रमेंद्र की बाहों में बाहें डाल कर उसको किस करने लगी। मेरे मन में अचनक से एक ख्याल आया, मैंने रमेंद्र से पूछा -एक राउंड और हो जाए? उसने कहा नही कोई आ गया तो। मैंने कहा कोई नही आयेगा। किसी तरह से मैंने रमेंद्र को मना लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.