13-11-2020, 02:29 PM
मैंने उस दिन अपनी सगी बहन को खूब आया। ये सिसलिसा खूब लम्बा चला। अब तो मैं हर दिन अपनी बहन को खाने लगा। मुझे उसकी बुर की आदत हो गयी तो मेहर को अपने भाई के लौड़े की आदत हो गयी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.