13-11-2020, 01:59 PM
देखते ही देखते उसके बदन में एक झटका सा लगा और उसने अपनी चूत को ढंक लिया। मैं फट से वहां से वापस आ गया और चद्दर को घुटनों के ऊपर तक ले के सो गया। चांदनी अपनी चूत धो के कुछ देर में बहार आ गई। वो चुपके से अपने सोने की जगह पर जा के लेट गई। मेरे दिल और दिमाग में अभी भी उसके बड़े बूब्स ही थे। मैंने भी अपनी पेंट के अन्दर हाथ डाला और चांदनी के चुचों को याद करते हुए ही मुठ मार ली। ठंडी ठंडी पेंट में गरम गरम वीर्य निकल गया मेरा। तब कही जा के मुझे मस्त नींद आई। काश चांदनी मुझे एक बार कहती की भैया मेरी चूत आज तुम मार लो!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.