13-11-2020, 01:52 PM
बात करते करते रात के करीब ११ बज गए था, धीरे धीरे हम दोनों करीब आ गए थे उनका एक पैर मेरे पैर के ऊपर था और बात चिट चल रही थी, फिर वो मेरे साइड घूम के सो गयी तो उनकी दोनों चुचिया मेरे में सट रहा था, मैं उसके पीठ को सहला रहा था उका ब्रेसियर का आकार और उभार को मैं महसूस कर रहा था, मैं उनके गदराये पीठ को सहलाते हुए मैं बात कर रहा था तभी वो बोली कमल क्या मैं एक बात कह सकती हु अगर तुम मेरी कसम खाओ की किसी से शेयर नहीं करोगे मैंने कहा नहीं दीदी बोलो मैं तुम्हारी कसम खता हु,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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