13-11-2020, 01:46 PM
तभी वो वापस आने लगी. मैं चुपचापहो गया, शांत हो गया पर मेरा लंड शांत नहीं था, वो तम्बू बना कर खड़ा था. सरिता दीदी जैसे ही आई बोली आलोक तुम जाग रहे हो. मैं कुछ भी नहीं बोला, वो फिर से बोली तू जाग रहे हो. मैं फिर भी चुप था. उसने फिर से कहा मैं सब समझ रही हु, तुम क्या देख रहे थे, तुम्हे शर्म नहीं आई एक जवान बहन को रात में ऐसे घूरते हुए. मैंने जाग गया, मैं डर गया था की पता नहीं वो माँ से तो नहीं कह देगी, तभी वो मेरे पलंग पर बैठ गई और मेरा लौड़ा पकड़ ली. मेरा लौड़ा काफी मोटा और तना हुआ था. वो भी ये है सबूत मुझे घूरने का, मैंने कहा सॉरी दीदी, गलती हो गई अब ऐसा नहीं होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
