13-11-2020, 12:15 PM
दीदी ने मुझे पास लिटा लिया। फिर मेरे ओंठ पर अपने सेक्सी ओंठ रखकर चूसने लगी। फिर वो मटक कर चली गयी। दोस्तों मेरे सगे जीजा का मकान अब बन गया था। इसलिए राधा बहन की सुसराल में और दिन नही टिक सका। क्यूंकि अब कोई बहाना ही नही बचा था। इसलिए मैं अपने घर लौट आया। अब उनकी जेठानी यानी की पूर्वी दीदी से मेरा फोन सेक्स शुरू हो गया था। दूसरे ही दिन शाम को उनका काल आ गया।
“कैसे हो??” वो पूछने लगी
“बस ठीक हूँ” मैंने बोला
“तुम्हारा नाम ले लेकर कल की रात गुजार दी। सारी रात चूत में ऊँगली करती रही” पूर्वी दीदी कहने लगी
“कैसे हो??” वो पूछने लगी
“बस ठीक हूँ” मैंने बोला
“तुम्हारा नाम ले लेकर कल की रात गुजार दी। सारी रात चूत में ऊँगली करती रही” पूर्वी दीदी कहने लगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.