13-11-2020, 12:13 PM
मैं फटाफट करके धक्के पर धक्के देने लगा। मेरा लंड जल्दी जल्दी उनकी बुर को जड तक फाड़ने लगा। दीदी की हालत खराब होने लगी। मैं उसकी मस्त मस्त बुर को हाथ से सहलाने लगा। हाथ में मैंने थूक लिया और उनके चूत के दाने पर रगड़ने लगा। जैसे जैसे रगड़ रहा था उनके पुरे जिस्म में कम्पन होने लगा। वो पागल होने लगी। उनकी हालत किसी बकरी जैसी हो गयी थी जिसके गले पर छुरी चल रही थी। वो भी आनन्दित होने मजा लूटने लगी।
“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी
“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.