13-11-2020, 12:10 PM
बड़ा आनन्द आता था। कुछ दिन बाद मेरे जीजा जी अपना मकान बनवाने लगे तो मुझे जाना पड़ा। जीजा जी अपनी नौकरी में बीसी रहते थे, उनके पास टाइम नही था। मुझे ही सब काम करवाना पड़ता था। पूर्वी दीदी रोज चाय लेकर आती। मैंने धीरे धीरे उनका हाथ पकड़ना शुरू कर दिया। वो मुझे अजीब नजर से देखने लगी। अगले दिन ससुराल में कोई नही था। सब कही गये थे। पूर्वी दीदी अकेले घर में थी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने सोचा की इस माल को आज चोद लेना चाहिये। मैं अदंर घर में गया। पूर्वी दीदी काम कर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.