16-03-2019, 11:23 AM
मैं तो बचकर नीचे उतर आई पर, बेचारे जीजू पकड़े गये।
***** *****नंदोई का होली का मजा सलहज के साथ
इतनी सलहजें, जीजू की खूब जम के रगड़ाई हुई। और ‘कुछ हिस्सों’ पर भाभियों की विशेष कृपा रही।
पर जीजू मेरे कम नहीं थे, उन्होंने भी खूब ‘स्तन मर्दन’ किया और खास तौर से मिश्रा भाभी के चोली फाड़ू 38डीडी जोबन, उन्होंने ब्लाउज फाड़ के बाहर निकाल लिया।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं की भाभियों ने मुझे छोड़ दिया।
आखिर मैं भी तो ननद थी, वो भी छुटकी ननदिया।
जितनी दीदी की रगड़ाई हुई थी उससे भी कहीं ज्यादा मेरी हुई।
दूबे भाभी ने तो फ्राक का ऊपरी हिस्सा फाड़ ही दिया और बाहर निकले मेरे छोटे-छोटे जोबन खूब रगड़े।
अब तक मैं भी समझ गई थी, रंग तो सिर्फ एक बहाना है।
और मिश्रा भाभी ने तो सब हदें पार कर दीं।
मेरी फ्राक उठाकर मेरी चूत पे अपनी झान्टो भरी बुर से घिस्से पे घिस्से लगाते, जीजा को दिखा-दिखा के सुनाया-
“छोट-छोट जुबना दाबे में मजा देय,
अरे साल्ली तुम्हारी चोदे में मजा देय।
एक से एक गालियां भाभियों ने मुझे दीं, चूत मरानो, भाईचोदी, गाण्डचट्टो, और उससे भी बढ़-बढ़ के गालियां मुझसे दिलवाईं, जीजा के सामने।
बल्कि मिश्रा भाभी ने तो यहां तक बोला की अगर मैं लण्ड, बुर, गाण्ड चुदाई के अलावा कुछ भी बोलूंगी
तो वो अपना हाथ कोहनी तक मेरी चूत में पेल देंगी।
इंटरवल में भाभी ढेर सारा नाश्ता, गुझिया दहीबड़े, और साथ में ठंडाई,
कहने की जरूरत नहीं सबमें भांग की डबल डोज थी। खाने के साथ गाने, कबीर गालियों भरे होली के गाने,
थोड़ी देर में सब लोग रिचार्ज हो गए।
तब तक एक भाभी जीजा को देखकर बोली-
“अरे इस बहन के भंडुए को अभी तक स्ट्रिप-टीज तो कराया नहीं…”
और तुरंत दो भाभियों ने पीछे से उनका हाथ पकड़ा और बाकी ने मिलकर उनका पाजामा उतार दिया।
मैं क्यों चूकती, जीजा को दिखाते, चिढ़ाते मैंने उसका गोला बनाया और सीधे छत पे,
अब वह सिर्फ एक खूब रंगी पुती छोटी सी देह से चिपकी ब्रीफ में थे।
“ये कौन उतारेगा?” मेरी भाभी ने सबकी ओर देखकर पूछा।
“अरे ये हक तो सिर्फ छोटी साली का है, वही उतारेगी…”
मेरी ओर इशारा करते खिलखिलाते ढूबे भाभी बोलीं।
मैं कौन पीछे रहने वाली थी, सीधे जीजू से सटकर खड़ी हो गई, अपने अधखुले, फटी फ्राक से झांकते रँगे पुते, कच्चे टिकोरे उनके सीने पे रगड़ते, उनका गाल सहलाते, अपने निचले भाग को उनके ब्रीफ से सटाकर,
एकदम ‘मार दिया जाय की छोड़ दिया जाय’ की मुद्रा में, उनके निपल को अपने लम्बे नाखून से स्क्रैच करते,
मैंने पूछा-
“क्यों जीजू, हो जाय पूरा चीरहरण?”
***** *****नंदोई का होली का मजा सलहज के साथ
इतनी सलहजें, जीजू की खूब जम के रगड़ाई हुई। और ‘कुछ हिस्सों’ पर भाभियों की विशेष कृपा रही।
पर जीजू मेरे कम नहीं थे, उन्होंने भी खूब ‘स्तन मर्दन’ किया और खास तौर से मिश्रा भाभी के चोली फाड़ू 38डीडी जोबन, उन्होंने ब्लाउज फाड़ के बाहर निकाल लिया।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं की भाभियों ने मुझे छोड़ दिया।
आखिर मैं भी तो ननद थी, वो भी छुटकी ननदिया।
जितनी दीदी की रगड़ाई हुई थी उससे भी कहीं ज्यादा मेरी हुई।
दूबे भाभी ने तो फ्राक का ऊपरी हिस्सा फाड़ ही दिया और बाहर निकले मेरे छोटे-छोटे जोबन खूब रगड़े।
अब तक मैं भी समझ गई थी, रंग तो सिर्फ एक बहाना है।
और मिश्रा भाभी ने तो सब हदें पार कर दीं।
मेरी फ्राक उठाकर मेरी चूत पे अपनी झान्टो भरी बुर से घिस्से पे घिस्से लगाते, जीजा को दिखा-दिखा के सुनाया-
“छोट-छोट जुबना दाबे में मजा देय,
अरे साल्ली तुम्हारी चोदे में मजा देय।
एक से एक गालियां भाभियों ने मुझे दीं, चूत मरानो, भाईचोदी, गाण्डचट्टो, और उससे भी बढ़-बढ़ के गालियां मुझसे दिलवाईं, जीजा के सामने।
बल्कि मिश्रा भाभी ने तो यहां तक बोला की अगर मैं लण्ड, बुर, गाण्ड चुदाई के अलावा कुछ भी बोलूंगी
तो वो अपना हाथ कोहनी तक मेरी चूत में पेल देंगी।
इंटरवल में भाभी ढेर सारा नाश्ता, गुझिया दहीबड़े, और साथ में ठंडाई,
कहने की जरूरत नहीं सबमें भांग की डबल डोज थी। खाने के साथ गाने, कबीर गालियों भरे होली के गाने,
थोड़ी देर में सब लोग रिचार्ज हो गए।
तब तक एक भाभी जीजा को देखकर बोली-
“अरे इस बहन के भंडुए को अभी तक स्ट्रिप-टीज तो कराया नहीं…”
और तुरंत दो भाभियों ने पीछे से उनका हाथ पकड़ा और बाकी ने मिलकर उनका पाजामा उतार दिया।
मैं क्यों चूकती, जीजा को दिखाते, चिढ़ाते मैंने उसका गोला बनाया और सीधे छत पे,
अब वह सिर्फ एक खूब रंगी पुती छोटी सी देह से चिपकी ब्रीफ में थे।
“ये कौन उतारेगा?” मेरी भाभी ने सबकी ओर देखकर पूछा।
“अरे ये हक तो सिर्फ छोटी साली का है, वही उतारेगी…”
मेरी ओर इशारा करते खिलखिलाते ढूबे भाभी बोलीं।
मैं कौन पीछे रहने वाली थी, सीधे जीजू से सटकर खड़ी हो गई, अपने अधखुले, फटी फ्राक से झांकते रँगे पुते, कच्चे टिकोरे उनके सीने पे रगड़ते, उनका गाल सहलाते, अपने निचले भाग को उनके ब्रीफ से सटाकर,
एकदम ‘मार दिया जाय की छोड़ दिया जाय’ की मुद्रा में, उनके निपल को अपने लम्बे नाखून से स्क्रैच करते,
मैंने पूछा-
“क्यों जीजू, हो जाय पूरा चीरहरण?”